बांग्लादेश को बनाने और पाकिस्तान से आजादी दिलाने वाली मुजीबुर्रहमान से जुड़ी हर एक विरासत, हर एक नामोनिशानी को मिटाने पर तुल गई है यूनुस सरकार. पहले तो उनसे जुड़ी छुट्टियां कैंसिल की, फिर मूर्तियां और दफ्तरों में लगी तस्वीरों को रफा दफा किया गया, फिर टका (करेंसी) से बांग्लादेश के संस्थापक की तस्वीरें हटाई गईं तो अब नारा जॉय बांग्ला भी राष्ट्रीय नारा नहीं रहेगा.
अब बांग्लादेश का राष्ट्रीय नारा जॉय बांग्ला नहीं
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार एक के बाद एक हर फैसले पलटने में लगी हुई है. बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को हाईकोर्ट के उस अहम फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान के लोकप्रिय ‘जॉय बांग्ला’ को देश का राष्ट्रीय नारा घोषित किया गया था.
अंतरिम सरकार ने 2 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में अपील याचिका दायर कर 10 मार्च, 2020 के हाई कोर्ट के फैसले पर जिसमें जॉय बांग्ला को राष्ट्रीय नारा बताया गया था, उस फैसले को रोक लगाने की मांग की थी. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल अनीक आर हक ने कहा, “अपीलीय खंडपीठ के आदेश के बाद ‘जॉय बांग्ला’ को अब राष्ट्रीय नारा नहीं माना जाएगा.”
हसीना सरकार ने जॉय बांग्ला को घोषित किया था राष्ट्रीय नारा
शेख हसीना सरकार ने ‘जॉय बांग्ला’ को देश के राष्ट्रीय नारे के रूप में घोषित किया गया था और सरकार को आवश्यक कदम उठाने का आदेश दिया था ताकि नारे का इस्तेमाल सभी राज्य समारोहों और शैक्षणिक संस्थानों की सभाओं में किया जा सके. 20 फरवरी, 2022 को हसीना की अगुवाई वाली कैबिनेट ने इसे राष्ट्रीय नारे के रूप में मान्यता देते हुए नोटिस जारी किया था. पर अब यूनुस सरकार में जॉय बांग्ला राष्ट्रीय नारा नहीं रहा है.
बंगबंधु से जुड़ी निशानियां मिटा रही यूनुस सरकार
हाल ही में, बांग्लादेश ने अपनी करेंसी नोटों से शेख मुजीबुर्रहमान की तस्वीर को हटाने की प्रक्रिया शुरू की गई है. अब बांग्लादेश के नोटों पर जुलाई के महीने में हुए छात्र आंदोलन की झलक दिखेगी. वहीं उनसे जुड़ी सारी छुट्टियां भी रद्द कर दी गई हैं.