बांग्लादेश की कोर्ट एक के बाद एक भारत के विरोधियों पर मेहरबान हो रही है. बांग्लादेश के हाईकोर्ट ने शस्त्र अधिनियम के तहत दर्ज एक मामले में असम के अलगाववादी संगठन उल्फा के भगोड़े कमांडर परेश बरुआ की उम्रकैद की सजा को 14 साल में बदल दिया है, जबकि कई अन्य आरोपियों को बरी कर दिया है.
इससे पहले बांग्लादेश की कोर्ट ने परेश बरुवा की मौत की सजा को रद्द कर दिया था और आजीवन कारावास में बदल दिया था. असम के यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट (उल्फा) का प्रतिबंधित कमांडर बरुआ भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की मोस्ट वांटेड सूची में शामिल हैं.
पहले फांसी की सजा माफ, अब उम्रकैद की सजा में कमी
बरुआ और बांग्लादेश के पूर्व गृह राज्य मंत्री लुत्फोज्जमान बाबर, कई पूर्व सैन्य अधिकारियों, नागरिक अधिकारियों और निजी नागरिकों को असम में उल्फा के गुप्त ठिकानों पर 10 ट्रक हथियारों की तस्करी के आरोपों में 2014 में दोषी ठहराया गया था. बांग्लादेश उच्च न्यायालय ने पिछले साल 18 दिसंबर को मामले में बरुआ की मौत की सजा को कम कर उम्रकैद में बदल दिया था.
परेश बरुआ वो उग्रवादी है, जो भारत विरोधी गतिविधियों का संचालन करता था और असम में भारत विरोधी गतिविधियों को मदद देता था. जिस मामले में परेश बरुआ और बीएनपी के पूर्व मंत्री लुत्फोज्जमान पर रहम दिखाई गई है, वो भारत से जुड़ा हुआ है. भारत के खिलाफ काम करने वाले आतंकवादी संगठनों के लिए 10 ट्रक हथियार और गोला-बारूद मुहैया कराया गया था, जिसमें खालिदा जिया के मंत्री की संलिप्तता पाई गई थी.
मामला 10 ट्रक मेड इन चाइना हथियार से जुड़ा, भारत के खिलाफ थी प्लानिंग
साल 2004 में बीएनपी-जमात गठबंधन सरकार के दौरान बांग्लादेश पुलिस ने आधी रात को चटगांव में कर्णफुली नदी के किनारे जेट घाट से हथियारों से भरे 10 ट्रक बरामद किए थे. जांच में खुलासा हुआ था कि चीन निर्मित हथियारों की तस्करी भारत विरोधी गतिविधियों के लिए की जा रही थी. बरामद किए गए हथियारों में रॉकेट लॉन्चर और ग्रेनेड थे. जिन्हें भारत के उग्रवादी संगठन भारत के उग्रवादी संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) को भेजा जा रहा था. उस वक्त असम उल्फा प्रभावित था. उल्फ कमांडर परेश बरुआ ने असम में उग्रवाद को काफी बढ़ावा दिया था.
खालिदा जिया सरकार ने दी थी बरुआ को शरण
हथियारों की यह बड़ी खेप बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और जमात-ए-इस्लामी के शासन के दौरान जब्त की गई थी. भारत विरोधी ताकतों को हथियारों की तस्करी में तत्कालीन गृह राज्य मंत्री लुत्फोज्जमान बाबर की संलिप्तता के सबूत मिले थे. बाबर ने 2001 से 2006 तक बीएनपी के सदस्य के रूप में खालिदा जिया सरकार में गृह राज्य मंत्री के तौर पर काम किया था. उस वक्त खालिदा जिया सरकार ने भारत में उग्रवाद फैलाने वाले परेश बरुआ को बांग्लादेश में शरण दी थी.
2009 में आई हसीना सरकार, उग्रवादियों पर एक्शन, 14 को मिली थी फांसी की सजा
हथियार तस्करी के मामले में 30 जनवरी 2014 को चटगांव मेट्रोपॉलिटन सेशन जज एसएस मुजीबुर रहमान ने विशेष अधिकार अधिनियम के तहत 14 लोगों को मौत की सजा सुनाई थी. जिस वक्त सजा सुनाई गई थी बांग्लादेश की सत्ता शेख हसीना के हाथों में थी. जिन लोगों को मौत की सजा दी गई थी, उनमें जमात-ए-इस्लामी के पूर्व प्रमुख मोतिउर रहमान निजामी, पूर्व गृह राज्य मंत्री लुत्फोज्जमान बाबर, उल्फा के परेश बरुआ, पूर्व डीजीएफआई निदेश मेजर जनरल (रि.) रेजाकुल हैदर चौधरी और पूर्व एनएसआई महानिदेशक अब्दुर रहीम शामिल थे. इन दोषियों में से मोतिउर रहमान निजामी को मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए साल 2016 में फांसी दी गई थी.
उल्फा ने 2023 में किया भारत से समझौता, बरुआ को चीन से संरक्षण?
उल्फा ने पिछले साल दिसंबर 2023 में भारत के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. खुद गृहमंत्री अमित शाह और असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा की मौजूदगी में 40 साल बाद भारत सरकार और उल्फा के कमांडर्स के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे. परेश बरुआ हालांकि, उस शांति समझौते में शामिल नहीं था.
परेश बरुआ उल्फा के एक अलग गुट उल्फा आई का कमांडर है. वर्तमान में परेश बरुआ कहां है ये किसी को नहीं पता. पर ऐसी रिपोर्ट्स आई थीं कि फरार परेश बरुआ चीन-म्यांमार की सीमा में छिपा हुआ है, जहां उसे चीन से धन और संरक्षण प्राप्त होता है.
यूनुस सरकार में भारत विरोधियों को मिलने लगी छूट
बांग्लादेश की कोर्ट ने भारत के दुश्मन लुत्फोज्जमान बाबर समेत 6 लोगों को बरी कर दिया है. कोर्ट में बाबर के वकीलों ने ये दलील दी थी कि पिछली सरकार (शेख हसीना सरकार) ने राजनीतिक दुर्भावना के चलते उनके खिलाफ काम किया था. बहरहाल बरुआ को सजा घटाना और 6 लोगों को बरी करना भारत के खिलाफ माना जा रहा है. क्योंकि एक बार फिर से साबित हो गया है, कि नया बांग्लादेश भारत विरोधी की तरह से काम करता है.