नाटो देशों के सैनिकों पर परमाणु हथियारों से हमला करने वाले देश बेलारूस एससीओ संगठन का दसवां सदस्य बन गया है. कजाखस्तान की राजधानी अस्ताना में आयोजित शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) के दो दिवसीय शिखर सम्मेलन के आखिरी दिन सभी नौ सदस्य देशों ने बेलारूस को संगठन में शामिल करने के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए. भारत, रूस, चीन, पाकिस्तान और ईरान सहित कुल नौ देश अभी तक इस क्षेत्रीय संगठन का हिस्सा थे.
बेलारूस को शामिल करने के बाद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि एससीओ अब एक मल्टीलेटर दुनिया के सेंटर ऑफ पावर के तौर स्थापित हो चुका है. जानकारों की मानें तो एससीओ संगठन अब अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिमी देशों का जियो-पॉलिटिकल काउंटरवेट बन गया है.
रशिया का पड़ोसी देश बेलारूस, यूक्रेन युद्ध के बाद से ही मॉस्को के समर्थन में खड़ा पाया गया है. जंग की शुरुआत से ही बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको की रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से जबरदस्त दोस्ती है. लुकाशेंको को अक्सर क्रेमलिन में देखा जा सकता है. यहां तक की जब पुतिन के आदेश पर मई के महीने में जब रूस ने नॉन-स्ट्रैटेजिक न्यूक्लियर एक्सरसाइज की थी तो बेलारुस को भी इसमें शामिल किया गया था. हालांकि, यूक्रेन युद्ध के शुरुआती हफ्तों में बेलारूस की राजधानी मिन्स्क में दोनों देशों (रूस और यूक्रेन) की शांति वार्ता भी हुई थी. लेकिन वार्ता बेनतीजा रही थी.
लेकिन लुकाशेंको का देश हाल ही में तब सुर्खियों में आया जब बॉर्डर पर नाटो देशों के सैनिकों के जमावड़े को लेकर बेलारूस ने परमाणु हथियार इस्तेमाल करने की धमकी दे डाली. बेलारूस के सेना प्रमुख ने कहा है कि अगर देश की संप्रभुता और स्वतंत्रता पर आंच आई तो टेक्टिकल न्यूक्लियर हथियारों का इस्तेमाल करने से गुरेज नहीं किया जाएगा (बेलारूस ने दी परमाणु हमले की चेतावनी, NATO सैनिकों का जमावड़ा है बॉर्डर पर).
हाल ही में ये खबर आई थी कि रूस ने नॉन-स्ट्रैटेजिक न्यूक्लियर हथियार बेलारूस को दिए हैं. दोनों देशों ने मई के महीने में साझा एटमी हथियारों के साथ मिलिट्री एक्सरसाइज भी की थी.
दरअसल, बेलारूस के उप-रक्षा मंत्री का ये बयान, नाटो देशों के सैनिकों की तैनाती के बाद आया था. रुस-यूक्रेन युद्ध के बीच नाटो देशों की सेनाओं ने बेलारूस के करीब बड़ी तैनाती की है. बेलारूस का बॉर्डर रूस, यूक्रेन, पौलेंड, लातविया और लिथुआनिया से सटा हुआ है. यूक्रेन युद्ध के दौरान, बेलारुस अपने पड़ोसी और घनिष्ट मित्र रूस के साथ हमेशा साथ खड़ा हुआ दिखाई पड़ता है.
एससीओ मीटिंग में पुतिन ने एक बार फिर कहा कि यूक्रेन से शांति वार्ता के लिए कभी मना नहीं किया है. लेकिन इस बार पुतिन ने कहा कि यूक्रेन से शांति इस्तांबुल सम्मेलन के तहत ही की जा सकती है. लेकिन शांति वार्ता से पहले युद्धविराम नहीं किया जाएगा. रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू (फरवरी 2022) होने के महज कुछ हफ्ते बाद ही तुर्की की मध्यस्थता में शांति समझौते पर चर्चा की गई थी. लेकिन रूस का आरोप है कि इस समझौते को यूक्रेन ने पश्चिमी देशों के उकसावे पर कूड़ेदान में डाल दिया गया था.
खास बात ये है कि एससीओ सम्मेलन में तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन भी शामिल हुए थे और पुतिन से खास मुलाकात की थी. तुर्की एक मात्र नाटो देश है जो अस्ताना में आयोजित एससीओ कॉन्फ्रेंस में शामिल हुआ था. एससीओ में करीब एक दर्जन पार्टनर देश शामिल हैं.