अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन को दिए हथियारों को रुस के खिलाफ इस्तेमाल की इजाजत दे दी है. बाइडेन ने ये कदम यूक्रेन युद्ध के दो साल पूरा होने के बाद दिया है. माना जा रहा है कि अपने मिलिट्री एडवाइजर के दबाव और रुस द्वारा खारकीव में किए गए जमीनी हमले के बाद बाइडेन ने अपना फैसला दिया है. हालांकि, रुस की तरफ से कोई प्रतिक्रिया अभी तक सामने नहीं आई है लेकिन मंगलवार को पुतिन ने कहा था कि ये ‘आग से खेलने’ के समान है.
जानकारी के मुताबिक, बाइडेन ने यूक्रेन को रुस के सीमावर्ती इलाकों में अमेरिकी हथियारों के इस्तेमाल की इजाजत दी है. यानी जहां यूक्रेन को आत्मरक्षा करनी हो वहीं अमेरिका के हथियारों का इस्तेमाल किया जा सकता है. रुस में ‘डीप-इनसाइड’ अमेरिका के हथियारों का प्रयोग नहीं किया जा सकता है. बाइडेन के इस फैसले पर अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिकंन ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हमें युद्ध के मुताबिक, ‘अपने आप को ढालना होगा’. अभी तक यूक्रेन की सेना रुस के सामने डिफेंसिव टेक्टिक्स अपनाती रही है. ऐसे में अमेरिका और दूसरे मित्र देशों से टैंक, आर्मर्ड व्हीकल, एयर-डिफेंस मिसाइल ही मिलते आए थे. लेकिन लॉन्ग रेंज मिसाइल मिलने से यूक्रेन इन्हें रुस के भीतर इस्तेमाल करना चाहता था.
नाटो और पश्चिमी देश भी लंबे समय से रुस के खिलाफ हथियारों को इस्तेमाल करने की मांग कर रहे थे लेकिन अमेरिका राष्ट्रपति इसके लिए तैयार नहीं थे. अब जब खारकीव प्रांत में रूसी सेना 8-10 किलोमीटर अंदर घुस गई है और करीब एक दर्जन यूक्रेनी गांवों पर कब्जा कर लिया है तो अमेरिका के कान खड़े हो गए हैं. खारकीव शहर पर भी बड़े हमले सामने आए हैं. ऐसे में अमेरिका को अंदेशा है कि क्रीमिया और डोनबास (दोनेत्स्क, लुहांस्क, मारियूपो और जपोरिजिया) के बाद अब रुस की निगाह खारकीव पर लगी है. खारकीव की दूरी रुस के बॉर्डर से महज 30 किलोमीटर है जबकि रुस के सीमावर्ती शहर बेलगोरोड की दूरी करीब 60 किलोमीटर है.
युद्ध शुरु होने के बाद से ही यूक्रेन भी रुस के सीमावर्ती बेलगोरोड शहर में हमला कर रहा है. इसमें ऑयल डिपो से लेकर शहर के मॉल तक शामिल हैं. हेलीकॉप्टर से भी अटैक किया जा रहा है. कई बार यूक्रेन ने ड्रोन के जरिए रुस के भीतरी इलाकों में बड़े अटैक किए हैं. क्रीमिया में भी यूक्रेन ने अमेरिका की लॉन्ग रेंज मिसाइल का इस्तेमाल किया है. लेकिन युद्ध में रुस का पलड़ा भारी है. कई जगह पर यूक्रेन के सैनिक अपने सैन्य ठिकानों को छोड़कर भाग खड़े हुए हैं. ऐसे में अमेरिका के सामने अपने हथियारों का रुस के खिलाफ इस्तेमाल के अलावा कोई बड़ा विकल्प सामने नहीं था. यूक्रेन को अमेरिका से ही सबसे बड़ी सैन्य मदद मिलती है. क्लस्टर बम से लेकर एटीएसीएमएस (लंबी दूरी की) मिसाइल तक अमेरिका ने यूक्रेन को मुहैया कराई हैं. हाल ही में अमेरिकी कांग्रेस (ससद) ने यूक्रेन को 61 बिलियन डॉलर की सैन्य मदद का ऐलान किया है.
अमेरिका के साथ-साथ जर्मनी ने भी यूक्रेन को अपने हथियारों को रुस के खिलाफ इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी है. इंग्लैंड (यूके) ने भी स्टॉर्म-शैडो मिसाइल को रुस के खिलाफ प्रयोग की अनुमति दे दी है. इसके अलावा यूक्रेन ने एक दर्जन से ज्यादा यूरोपीय और नाटो देशों के साथ सिक्योरिटी एग्रीमेंट किया है ताकि रुस के खिलाफ मजबूत किलेबंदी की जा सके.
अमेरिका और नाटो देशों के हथियारों को लेकर रुस ने फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. लेकिन हाल ही में जब फ्रांस के सैनिकों को यूक्रेनी सेना की तरफ से लड़ने की बात सामने आई थी तो पुतिन ने दो टूक कह दिया था कि ऐसा हुआ तो यूक्रेन युद्ध एक ‘ग्लोबल कॉन्फ्लिक्ट’ यानी विश्व-युद्ध में तब्दील हो सकता है. उज्बेकिस्तान की यात्रा के दौरान पुतिन ने इशारों में कह दिया था कि रुस के पास भी अमेरिका के ‘बराबर स्ट्रेटेजिक (परमाणु) हथियार’ हैं.