लड़ाकू विमानों के सौदे की आड़ में किसी देश की ‘संप्रभुता’ में टांग अड़ाने को लेकर ब्राजील के राष्ट्रपति ने अमेरिका की जमकर खिंचाई की है. ब्राजील के राष्ट्रपति लुला डा सिल्वा ने वर्ष 2014 में स्वीडन से किए गए 36 ग्रिपेन फाइटर जेट के सौदे में अमेरिका के दखल पर कड़ा ऐतराज जताया है.
लुला के मुताबिक, बोइंग कंपनी की तरफ से ब्राजील के सरकारी मामलों में ‘हस्तक्षेप’ की कड़ी आलोचना की है. क्योंकि अमेरिका के न्यायिक विभाग (मंत्रालय) ने स्वीडन की कंपनी साब से ब्राजील से हुए लड़ाकू विमानों के सौदे की पूरी जानकारी मांगी है. क्योंकि इस डील में साब के साथ-साथ अमेरिकी एविएशन कंपनी बोइंग भी टेंडर प्रक्रिया में शामिल हुई थी.
वर्ष 2014 में ब्राजील ने स्वीडन की साब कंपनी से 36 ग्रिपेन फाइटर जेट का सौदा किया था. इस डील की कुल कीमत 5.4 बिलियन डॉलर (करीब 45 हजार करोड़) थी. इस सौदे के लिए ग्रिपेन के अलावा अमेरिका की बोइंग कंपनी और फ्रांस की दासो कंपनी में दौड़ में शामिल थीं. बोइंग अपने एफ-18 सुपर होरनेट ब्राजील की वायुसेना को देने के लिए इच्छुक थी तो दासो अपने रफाल (राफेल) फाइटर.
जानकारी के मुताबिक, अपने पहले कार्यकाल के दौरान लुला (2003-11), इस सौदे के लिए फ्रांस के रफाल फाइटर जेट खरीदना चाहते थे. लेकिन 2011 में डिल्मा राउसेफ (2011-16) ब्राजील की राष्ट्रपति बन गई और उन्होंने सौदा स्वीडन की साब कंपनी को दे दिया.
इसी साल फिर से लुला ब्राजील के राष्ट्रपति चुने गए हैं. लुला के मुताबिक, अमेरिका प्रशासन से गुस्सा है कि ब्राजील ने लड़ाकू विमानों का सौदा स्वीडन की कंपनी को क्यों दिया है. लुला के मुताबिक, ब्राजील सरकार के फैसले से अमेरिका नाखुश है और संप्रभुता में हस्तक्षेप कर रहा है.
गौरतलब है कि हाल ही में ब्राजील की सुप्रीम कोर्ट ने एक्स (ट्विटर) को अपने देश में बैन कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश ब्राजील के कानूनों का पालन न करने के चलते दिया था.
ऐसे में अब फाइटर जेट सौदे को लेकर अमेरिका और ब्राजील में तलवारें खिंच गई हैं.
खास बात है कि अमेरिका की बोइंग कंपनी इनदिनों खराब हालात से गुजर रही है. कंपनी की खराब परफॉर्मेंस के चलते बोइंग ने अपने सीईओ को कंपनी से निकला दिया है. साथ ही नुकसान के चलते बोइंग ने अपने 10 प्रतिशत यानी करीब 17 हजार कर्मचारियों की छंटनी का ऐलान किया है. (Boeing जमीन पर, सीईओ को देना पड़ा इस्तीफा)
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