देश में बढ़ने वाली है नौसेना की ताकत, क्योंकि फ्रांस से आ रहे हैं 26 घातक लड़ाकू विमान रफाल एम. प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) ने रफाल (या राफेल) के मरीन वर्जन की डील को हरी झंडी दे दी है.
भारत और फ्रांस की सरकार के बीच रफाल -एम सौदे की कीमत करीब 63 हजार करोड़ है. इस गर्वमेंट टू गर्वमेंट (यानी जी2जी) डील के तहत भारतीय नौसेना को 22 सिंगल-सीटर और चार ट्विन-सीटर विमान मिलेंगे. फरवरी के महीने में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के बुलावे पर फ्रांस गए थे, तभी से उम्मीद की जा रही थी कि जल्द ही इस सौदे को अंतिम रूप दिया जा सकता है.
सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने दी मंजूरी
इस मेगा खरीद परियोजना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने मंजूरी दे दी है. जुलाई 2023 में रक्षा मंत्रालय ने फ्रांस से 26 रफाल समुद्री जेट विमानों की खरीद को मंजूरी दी थी. रफाल एम को स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर तैनात किया जाएगा. मंत्रालय ने फ्रांस से तीन स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की खरीद को भी मंजूरी दी थी. रफाल -एम जेट फ्रांस की दासो एविएशन कंपनी की ओर से तैयार किए गए भारतीय वायुसेना के राफेल विमानों की तरह अत्याधुनिक तकनीक और क्षमता से लैस होंगे.
नौसेना के लिए राफेल एम बनेगा गेमचेंजर
साल 2023 में के जुलाई के महीने में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस की राजधानी पेरिस में आयोजित ‘बेस्टिल-डे परेड’ में हिस्सा लेने गए थे, तब रक्षा मंत्रालय ने इन 26 रफाल (एम) और फ्रांस से ही तीन (03) स्कॉर्पिन क्लास सबमरीन खरीदने की मंजूरी दी थी. इसके बाद अक्टूबर के महीने में रक्षा मंत्रालय ने फ्रांस को इन फाइटर जेट को खरीदने के लिए लेटर फॉर रिक्वेस्ट भेजा था, जो टेंडर प्रक्रिया का अहम हिस्सा होता है. इसी के जवाब में दिसंबर (2023 में) फ्रांस ने अपना लेटर ऑफ एक्सप्टेंस (एलओए) रक्षा मंत्रालय को भेजा. नौसेना के लिए जो 26 रफाल (एम) खरीदे जाएंगे, उनमें 22 सिंगल सिटर फाइटर जेट होंगे और चार ट्विन-सीटर यानि ट्रेनिंग के लिए होंगे. जरुरत पड़ने पर ट्रेनर को भी फाइटर रोल में तब्दील किया जा सकता है.
भारतीय नौसेना के पास मेरीटाइम कॉम्बेट के लिए फिलहाल रुस के 45 मिग-29 के लड़ाकू विमान हैं. लेकिन ये अब पुराने पड़ते जा रहे हैं. हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने डीआरडीओ के साथ मिलकर एलसीए-तेजस का मेरीटाइम वर्जन तैयार किया है जिसके एलसीए (नेवल) के नाम से जाना जाता है. लेकिन सिंगल इंजन होने के कारण नौसेना इस फाइटर जेट को एयरक्राफ्ट कैरियर पर तैनात करने में हिचकिचा रही है. ऐसे में एचएएल ने ‘डेक बेस्ड ट्विन इंजन फाइटर जेट’ (टीईडीबीएफ यानी टेडबेफ) पर काम करना शुरु कर दिया है. टेडबेफ का प्रोटो वर्जन 2026 तक आने की उम्मीद है और इसका प्रोडक्शन 2030 से शुरु हो जाएगा. 2040 तक 45 टेडबेफ नौसेना को मिल सकते हैं. यही वजह है कि इस गैप को भरने के लिए 26 रफाल (एम) की जरूरत है.
आईएनएस विक्रांत के लिए भारतीय नौसेना ने शुरुआत में रफाल (एम) के साथ अमेरिकी एफ/ए-18 सुपर होरनेट को भी टेंडर प्रक्रिया में शामिल किया था. हालांकि, दोनों ही मेरीटाइम फाइटर जेट की क्षमताएं लगभग बराबर थी. लेकिन बाद में नौसेना ने रफाल (एम) को इसलिए चुना क्योंकि भारतीय वायुसेना पहले से 36 रफाल लड़ाकू विमान इस्तेमाल कर रही है. ऐसे में नौसेना के फाइटर पायलट्स की ट्रेनिंग और रफाल (एम) की मेंटेनेंस और रखरखाव में काफी मदद मिलेगी.