एक सैनिक के लिए ‘बूट पहनकर देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देना’ पूरे देश के लिए एक बड़ी सीख होती है. सीडीएस जनरल बिपिन रावत का पूरा जीवन और मृत्यु तक इस बात की गवाह है. ये कहना है देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का.
सोमवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में एक स्कूल में देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत की मूर्ति का अनावरण करते वक्त बोल रहे थे. रक्षा मंत्री के मुताबिक, “निश्चित रूप से जनरल बिपिन रावत जी का जाना राष्ट्र के लिए अपूरणीय क्षति है, उनकी कमी को तो हम कभी नहीं भर पाएंगे, लेकिन जाते-जाते भी वह हमें एक बहुत बड़ी सीख दे गए कि जब वह इस दुनिया से गए तो जाते हुए भी वह ऑन ड्यूटी थे. जाते हुए भी वह राष्ट्र सेवा का ही कार्य कर रहे थे. उनका अंतिम पल तक ऑन ड्यूटी रहना, उनकी निष्ठा, और राष्ट्र के प्रति उनके प्रेम की भावना को दिखाता है.”
खुद रक्षा मंत्री ने जनरल बिपिन रावत को याद करते हुए कहा कि “जब भी मुझे रक्षा से जुड़े किसी खास विषय पर परामर्श की जरूरत होती, तो जनरल रावत का नाम मेरे सामने सबसे पहले आता था.” जनरल रावत न सिर्फ भारत के पहले सीडीएस थे, वह न केवल जांबाज और पराक्रमी सैनिक थे, बल्कि इनके साथ-साथ वह एक अच्छे इंसान थे.
राजनाथ सिंह के मुताबिक, “जनरल बिपिन रावत जी भारत के उस सैन्य परंपरा का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसमें हम यह मानते हैं कि एक सैनिक भले ही जन्म कहीं भी ले, लेकिन वह पूरे राष्ट्र की सुरक्षा के लिए तत्पर रहता है, वह सिर्फ उस क्षेत्र का ही सैनिक नहीं होता, बल्कि पूरे भारतवर्ष को अपना क्षेत्र समझता है.”
रक्षा मंत्री के मुताबिक, जनरल बिपिन रावत जी का उदाहरण जब देखते हैं तो उनका जन्म उत्तराखंड में हुआ, कश्मीर में उन्हें गोली लगी, सेना में रहते हुए उन्होंने भारत के उत्तरी सीमा के साथ-साथ उत्तर-पूर्वी सीमा में भी अपनी सेवा दी, और दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से उनका जब देहांत हुआ तो उस दिन भी वह राष्ट्र सेवा के ही किसी कार्य हेतु भारत के दक्षिणी हिस्से में जा रहे थे. उनका पूरा जीवन भारत के अलग-अलग क्षेत्रों को समर्पित रहा. उनका जन्म भले उत्तराखंड में हुआ लेकिन देश के सभी क्षेत्रों से उनका बराबर संबंध रहा. रक्षा मंत्री ने बताया कि किस तरह जनरल रावत ने चीन और पाकिस्तान से सटी सीमाओं के मजबूत किलेबंदी की थी.
8 दिसंबर 2022 को देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत का अपनी पत्नी और 11 सैन्य अफसरों के साथ एक हेलीकॉप्टर क्रैश में मृत्यु हो गई थी. उस वक्त जनरल बिपिन रावत वेलिंगटन (तमिलनाडु) स्थित डिफेंस स्टाफ कॉलेज में सैन्य अधिकारियों को संबोधित करने जा रहे थे. जनरल बिपिन रावत को पूरा देश आज भी एक कुशल मिलिट्री कमांडर और दुश्मनों के खिलाफ आक्रामक कार्यशैली के कारण बेहद पसंद करता है.
रक्षा मंत्री के मुताबिक, “एक सरकार के रूप में हमारा भी यह हमेशा प्रयास रहता है कि हम इस देश के सैनिकों की गरिमा को बनाए रखें, तथा इस राष्ट्र की सुरक्षा में जो उनका योगदान है, उसे स्मरण करें. आज यदि भारत लगातार विकास कर रहा है, आज यदि भारत दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बना रहा है, तो इसका एक महत्वपूर्ण कारण यह भी है कि हमारे सैनिक पूरी दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ भारत की सुरक्षा कर रहे हैं.”
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