चुनाव के बहाने चीन ने एक बार फिर भारत के खिलाफ अनाप-शनाप बयानबाजी शुरु कर दी है. चीन के मुताबिक, चुनावी अभियान के दौरान भारत के नेता चीन के खिलाफ भाषण देंगे जिससे दोनों देशों के बीच संबंध खराब हो सकते हैं.
चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, जैसे-जैसे भारत के आम चुनाव नजदीक आ रहे हैं, इस बात की आशंका बढ़ रही है कि चुनाव अभियान में दोनों देशों के बीच तनाव को बढ़ाया जाएगा. ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, चीन ने चाहता है कि दोनों देशों के बीच संबंधों को भारत की राजनीतिक पार्टियां वोट साधने के लिए इस्तेमाल करें.
चीन ने हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अरुणाचल प्रदेश की यात्रा पर एक बार फिर ऐतराज जताया है. 1962 के युद्ध का जिक्र करते हुए चीन ने कहा है कि ऐतिहासिक कारणों से भारत के चीन से संबंध अच्छे नहीं रहे हैं. लेकिन चीन ने पहले के मुकाबले अब भारत से संबंधों को ज्यादा स्थिर बताया है.
दोनों देशों के बीच बढ़ते व्यापार और गलवान घाटी की झड़प से चीनी मीडिया का काफी ध्यान भारत की तरफ है. हाल ही में विदेश मंत्री एस जयशंकर की उस टिप्पणी का हवाला देते हुए कि विवाद और तनातनी के चलते ‘दोनों देशों को कोई फायदा नहीं हुआ है’, चीन ने कहा है कि सीमा-विवाद और व्यापार संबंधी मुद्दों को जल्द से जल्द सुलझाया जाना चाहिए.
हाल ही में विदेश मंत्री ने चीन को ‘चैलेंजिंग और कंपैटेटिव पड़ोसी’ बताया था. एस जयशंकर ने माना है कि “अगर भारत को चीन से निपटना है तो भारत को एक ऐसी अर्थव्यवस्था की जरूरत है जो इसके लिए तैयार हो.” 2020 के गलवान संघर्ष के बाद चीन के साथ भारत के संबंध खराब हुए. अभी चीन ने बड़ी संख्या में अपनी सेना एलएसी के पास तैनात की हुई है. जवाबी कार्रवाई में भारत ने भी अपने सैनिकों की तैनाती की बढ़ा दी है. हाल ही में खबर आई थी कि पश्चिमी सीमा (पाकिस्तान सीमा) से हटाकर भारत ने 10 हजार अतिरिक्त सैनिक चीन से सटी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर तैनात कर दिए हैं. इस खबर के सामने आने से चीन तिलमिला गया था.
एस जयशंकर ने कहा है कि “चीन से निपटने के लिए पहले समस्या को पहचानना होगा. फिर इसके लिए खुद को तैयार करना होगा. फिर रिएक्शन दें और इसके बाद ही आप चीन को मैनेज कर सकते हैं.”
चुनाव के बहाने चीन ने भारतीय मीडिया और पश्चिमी देशों को अपने लपेटे में लेकर आलोचना की है. चीन ने ऐसे में भारतीय मतदाताओं को ‘फेक-न्यूज’ से अलर्ट रहने की सलाह दी है.
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