छह साल बाद अपने इंजन और एवियोनिक्स को पूरी तरह अपग्रेड करने के बाद चीन का जे-20 स्टेल्थ फाइटर जेट एक बार फिर मैदान में कूद गया है. इस बार चीन ने स्वदेशी जे-20 ‘चेंगदू’ फाइटर जेट को सिक्किम के करीब तिब्बत के शिगात्से एयरबेस पर तैनात किया है. ओपन सोर्स इंटेलिजेंस ने शिगात्से एयर बेस की सैटेलाइट तस्वीरें जारी की है जिसमें एक दर्जन जे-20 फाइटर जेट कतार में खड़े दिखाई पड़ रहे हैं. माना जा रहा है कि सिक्किम के करीब हाशिमारा एयरबेस पर भारतीय वायुसेना द्वारा रफाल फाइटर जेट की पूरी एक स्क्वाड्रन की तैनाती के जवाब में चीन ने ऐसा किया है. लेकिन सवाल ये है कि क्या वाकई ‘माइटी-ड्रैगन’ (जे-20) भारत के ओमनी-रोल फाइटर जेट रफाल को टक्कर दे पाएगा भी या नहीं.
वर्ष 2018 में अरुणाचल प्रदेश से सटी एलएसी की एयरस्पेस पर कुछ ऐसा हुआ था कि चीन ने अपने तथा-कथित ‘स्टेल्थ’ फाइटर जेट जे-20 को हमेशा-हमेशा के लिए पूरी दुनिया की नजरों से छिपा लिया था. एक साल पहले यानी 2017 में ही चीन ने बेहद जोश खरोश के साथ स्टेल्थ फाइटर जेट जे-20 बनाने का दावा किया था. अमेरिका के एफ-22 और एफ-35 के बाद दुनिया में ये तीसरा ऐसा फाइटर जेट था जिसे स्टेल्थ फाइटर जेट माना जा रहा था. ‘स्टेल्थ’ यानी ऐसा लड़ाकू विमान जो दुनिया की किसी रडार और फाइटर जेट की पकड़ में ना आ सके. लेकिन भारतीय वायुसेना के सुखोई फाइटर जेट ने अरुणाचल प्रदेश से सटी चीनी एयरस्पेस में जे-20 यानी चेंगदू फाइटर जेट को ‘डिटेक्ट’ कर लिया था. उस वक्त तत्कालीन वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने इस बात की तस्दीक की थी.
अरुणाचल प्रदेश से सटी एलएसी की एयरस्पेस की निगहबानी के लिए भारतीय वायुसेना ने असम के तेजपुर और झाबुआ में सुखोई फाइटर जेट की पूरी स्क्वाड्रन तैनात कर रखी है. सुखोई के ‘डिटेक्ट’ करने के चलते एशिया के पहले स्टेल्थ फाइटर जेट बनाने का दम भरने वाले चीन का सपना अधूरा रह गया. इस घटना के बाद से जे-20, जिसे चीन ने ‘माइटी-ड्रैगन’ का नाम दिया है फिर नहीं दिखाई दिया. ईका-दुका शिनजियांग के होटन एयरबेस पर जरूर ट्रायल देते हुए दिखाई पड़ा.
यही वजह है कि जब जे-20 शिगात्से एयरबेस पर दिखाई पड़ा है तो जानकारी यही मान रहे हैं कि हो सकता है चीन ने ट्रायल के लिए दुनिया के दूसरे सबसे ऊंचे एयरबेस पर चेंगदू की तैनाती की हो. क्योंकि शिगात्से में अभी भी चीन के पुराने जे-10 फाइटर जेट तैनात रहते हैं. नई सैटेलाइट तस्वीरों में जे-20 के साथ जे-10 भी दिखाई पड़ रहे हैं. जे-10 रुस के मिग-21 का चीनी वर्जन है और 60 के दशक से ओपरेट किए जा रहे हैं (https://x.com/AllSourceA/status/1795869359736238366).
शिगात्से की दूरी सिक्किम बॉर्डर से महज 150 किलोमीटर है. इतनी ही दूरी सिक्किम बॉर्डर से हाशिमारा (हासीमारा) एयरबेस की है. हासीमारा में भारतीय वायुसेना के रफाल की एक पूरी स्क्वाड्रन तैनात है (18 फाइटर जेट).
शिगात्से (12,408 फीट) की गिनती दुनिया के सबसे ऊंचे एयरबेस के तौर पर की जाती है. पहले नंबर पर है पूर्वी लद्दाख का नियोमा एयरबेस, जिसके पुनर्निर्माण की प्रक्रिया तेजी से चल रही है. ओपन सोर्स इंटेलिजेंस की सैटेलाइट तस्वीरों में शिगात्से एयर बेस के रनवे पर भी एक फाइटर जेट खुले हुए पैराशूट के साथ लैंड करते हुए दिखाई पड़ रहा है. ये सैटेलाइट तस्वीरें 27 मई की बताई जा रही हैं.
जानकारी के मुताबिक, 2018 में जिस जे-20 फाइटर जेट को भारतीय सुखोई ने डिटेक्ट किया था, जिसमें चीन ने अब आमूल-चूल अपग्रेड किए हैं. पहला तो ये कि इसमें रुसी इंजन के बजाए अब स्वदेशी इंजन लगाया गया है. चेंगदू टू-इन इंजन स्टेल्थ फाइटर जेट है, जिसे चीन फीफ्थ जेनरेशन होने का दावा करता है. चेंगदू में
हालांकि, चीन के बाहर एविएशन एक्सपर्ट्स को चीन के दावे पर अभी पूरा विश्वास नहीं है. भारत के पास भी फिलहाल कोई स्टेल्थ फाइटर जेट नहीं है. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) पांचवे श्रेणी के स्टेल्थ फाइटर जेट ‘एमका’ (एडवांस मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट) के डिजाइन और डेवलपमेंट पर काम कर रहा है. एमका के बनने में अभी 8-10 साल लग सकते हैं. लेकिन भारत के पास ओमनी-रोल रफाल (राफेल) फाइटर जेट है जिसके बारे में कहा जाता है कि ये दुश्मन के ‘चार-चार फाइटर जेट’ के बराबर एक अकेला है.
हाल ही में फ्रांस ने अपने रफाल फाइटर जेट से न्यूक्लियर मिसाइल का परीक्षण कर पूरी दुनिया को चौंका दिया है. वर्ष 2016 में जब भारत ने फ्रांस से 36 रफाल फाइटर जेट खरीदने का सौदा किया था तो उस वक्त खुलकर कभी ये दावा नहीं किया गया था. गुपचुप तरीके से भारतीय की रक्षा-सुरक्षा तंत्र से जुड़े सीनियर अधिकारी इस बात की तरफ इशारा जरुर करते थे. लेकिन फ्रांस ने परमाणु परीक्षण कर रफाल की ताकत को कई गुना बढ़ा दिया है. साफ है कि भारत के 36 रफाल भी इस ताकत से लैस हैं. यही वजह है कि रफाल फाइटर जेट की डील बेहद महंगी साबित हुई थी (फ्रांस ने रफाल से लॉन्च की Nuclear मिसाइल, रुस से है ठनी).
इसके अलावा पूर्वी लद्दाख जैसे बेहद ऊंचाई और ठंडे इलाकों में तैनाती के लिए भी फ्रांस ने भारतीय रफाल को खास तकनीक से लैस किया है. यही वजह है कि भारत आने के तुरंत बाद ही रफाल फाइटर जेट को पूर्वी लद्दाख में तैनात कर दिया गया था. रफाल के ट्रायल की भी जरूरत भी नहीं पड़ी थी. जबकि जे-20 अभी बेहद ऊंचाई वाले एयरबेस पर ट्रायल स्टेज पर है.
जे-20 में चीन ने स्वदेशी ‘पीएल-15’ एयर टू एयर मिसाइल से लैस किया है. हालांकि, इस मिसाइल की रेंज रफाल में लगी ‘मिटियोर’ मिसाइल की तरह ही करीब 200 किलोमीटर है लेकिन रैमजेट इंजन के चलते मिटियोर मिसाइल पीएल-15 के खिलाफ बाजी मार जाती है. पीएल-15 में सोलिड रॉकेट मोटर है. इससे पीएल-15 की रेंज तो बढ़ जाती है लेकिन ‘रैमजेट’ इंजन के चलते मिटियोर मिसाइल का ‘नो-एस्केप जोन’ काफी बड़ा है. साफ है कि भले ही रफाल 4.5 जेनरेशन का है लेकिन जे-20 पर भारी पड़ सकता है.
हाल ही में पूर्व वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने भी दावा किया था कि गलवान घाटी की झड़प के बाद चीन ने भारत के “एक रफाल फाइटर जेट के मुकाबले एलएसी पर चार जे-20 तैनात किए थे.’ यानी एक रफाल, चार-चार जे-20 पर भारी पड़ सकता है.
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