दुनिया की सबसे बड़ी नेवी के दम पर समंदर में दादागिरी झाड़ने वाले चीन ने अपने सबसे सीनियर नेवल कमांडर को रक्षा मंत्री चुना है. कमांडर डॉन्ग जुन रक्षा मंत्री बनने से पहले ताइवान और साउथ चायना सी की जिम्मेदारी निभाने वाले थियेटर कमांड में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. चीन के इतिहास में ये पहली बार हुआ है कि किसी नेवी के कमांडर को रक्षा मंत्री बनाया गया है. अभी तक पीएलए (आर्मी) के कमांडर ही इस पद पर रहते आए थे.
इसी साल अगस्त के महीने से चीन के रक्षा मंत्री ली शांफगू रहस्यमय परिस्थितियों में गायब हो गए थे. माना जा रहा है कि सैन्य उपकरणों की खरीद में हुए धांधली के चलते चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने उन्हें गुपचुप तरीके से पद से हटा दिया था और जेल पहुंचा दिया गया था. तभी से दुनिया की सबसे बड़ी आर्मी वाले चीन के रक्षा मंत्री का पद खाली था (https://youtu.be/rvxFHRRdpsM?si=85iblQ-1N5DK0rC9)
शुक्रवार को चीन ने इस बात की घोषणा की कि सेंट्रल मिलिट्री कमीशन (सीएमसी) के वाइस प्रेसिडेंट डॉन्ग जुन को रक्षा मंत्री चुना गया है. जुन को रक्षा मंत्री बनाना दर्शाता है कि चीन अब एक बड़ी समुद्री-ताकत बनना चाहता है. चीन की जिस दक्षिणी थिएटर कमांड में जुन डिप्टी कमांडर के तौर पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं वो साउथ चायना सी की जिम्मेदारी निभाती है. इसी साउथ चायना सी में चीन का फिलीपींस और वियतनाम जैसे पड़ोसी देशों से समुद्री-विवाद चल रहा है. चीन के युद्धपोत इन देशों के जहाज इस क्षेत्र में नहीं आने देते हैं.
जुन, चीन की पूर्वी थियेटर कमांड में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं जिसके अंतर्गत ताइवान आता है. पिछले कुछ सालों से चीन ने ताइवान के इर्द गिर्द युद्धाभ्यास कर पूरी दुनिया की नींद उड़ा रखी है. हालांकि, शी जिनपिंग ने कहा है कि चीन ताइवान पर आक्रमण नहीं करेगा लेकिन सामरिक जानकार इस दावे पर कम ही विश्वास कर रहे हैं. यही वजह है कि जुन की नियुक्ति बेहद अहम मानी जा रही है.
चीन के पास इस वक्त दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना है जिसमें 350 से भी ज्यादा युद्धपोत और पनडुब्बियां का एक बड़ा जंगी बेड़ा है. इसके अलावा चीन ने हॉर्न ऑफ अफ्रीका के जिबूती में अपना पहला विदेशी मिलिट्री बेस बनाया है. चीन की मिलिशिया बोट्स अटलांटिक महासागर में भी फिशिंग के नाम पर पहुंच रही हैं. साफ है कि अमेरिका की तरह चीन अब दुनियाभर के समंदर में अपना प्रभुत्व फैलाना चाहता है.
चीन की नौसेना आज हिंद महासागर में एंटी-पायरेसी पेट्रोल के नाम पर अपने फुटप्रिंट जमाना चाहती है. हालांकि, भारतीय नौसेना साफ कर चुकी है कि आईओआर (इंडियन ओसियन रीजन) में भारत ही नेट सिक्योरिटी प्रोवाइडर है लेकिन चीनी नौसेना अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रही है. हाल ही में चीन की नौसेना ने अदन की खाड़ी और सोमालियाई समुद्री क्षेत्र के लिए अपना खास वीएचएफ चैनल 16 लॉन्च किया था ताकि मुसीबत में फंसे व्यापारिक जहाज और ऑयल टैंकर (शिप) की मदद की जाए. चीन ने चैनल 16 को ऐसे समय में लॉन्च किया था भारतीय नौसेना सोमालियाई समुद्री-लुटेरों के कब्जे से माल्टा के एक कार्गो शिप को नहीं बचा पाई थी. साथ ही अरब सागर में लाईबेरिया के एक जहाज पर ड्रोन अटैक हुआ था (Red Sea में भारतीय जहाज पर ड्रोन अटैक, अमेरिका का आरोप हूती विद्रोहियों ने किया हमला)
लेकिन चीन के नए रक्षा मंत्री को पीएलए (नेवी) की ‘साइलेंट रिस्पांस’ वाली छवि को भी सुधारने की चुनौती होगी. हाल ही में अमेरिका के रक्षा विभाग (पेंटागन) ने आरोप लगाया था कि रेड सी ( लाल सागर) में जब हूती विद्रोहियों (या सोमालियाई दस्यु) ने इजरायल से जुड़े एक जहाज पर हमला करने की कोशिश की तो चीनी युद्धपोतों ने उसके मदद की गुहार को अनदेखा कर दिया था. ऐसे में चीन की नौसेना क्या एक रेस्पोंसिबल ग्लोबल नेवी बन पायेगी उस पर सवाल खड़े हो जाते हैं (PLA Navy का चैनल silent है क्या !)
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