July 3, 2024
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चीन का सुपर-कैरियर लॉन्च, भारत अलर्ट

ब्लू-वाटर नेवी बनने की फिराक में चीन अपनी समुद्री ताकत को लगातार बढ़ाने में जुटा है. 350 युद्धपोत के साथ चीन पहले ही अमेरिकी नौसेना को पीछे छोड़ चुका है लेकिन ड्रैगन की भूख अभी शांत नहीं हुई है. खबर ये है कि चीन ने अपना तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर समंदर में लॉन्च कर दिया है. डॉकयार्ड में खड़े ‘फुजियान’ नाम के इस विमानवाहक युद्धपोत की तस्वीरें भी सामने आ चुकी है. इस देखकर नेवल एक्सपर्ट फुजियान को ‘सुपर-कैरियर’ की उपाधि दे रहे हैं.

एक विमान वाहक युद्धपोत (एयरक्राफ्ट कैरियर) का निर्माण करना एक बहुत ही जटिल कार्य है. लेकिन एशिया में सुपर पावर बनने की छटपटाहट में चीन ने 1 मई को अपने पहले सुपर कैरियर को समुद्री परीक्षण के लिए भेजकर अपनी बढ़ती क्षमताओं का प्रदर्शन किया है. चीन के पहले सुपर-कैरियर का नाम अपने देश के फुजियान (या फुज्यान) प्रांत के नाम पर है. चीन ने ‘मई दिवस’ (मजदूर दिवस) को पूरी दुनिया के सामने फुजियान को प्रदर्शित करने के लिए खास चुना था.

चीन का नवीनतम कैरियर भी दुनिया का संभवत पहला पारंपरिक शक्ति द्वारा संचालित कैरियर है जिसमें इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापुल्ट (कैटोबार) लॉन्च सिस्टम (ईएमएएलएस) है. जबकि आज सेवा में प्रायः सभी अन्य कैरियर ईएमएएलएस के साथ परमाणु ऊर्जा संचालित हैं, जिनका उपयोग अमेरिकी नौसेना और फ्रेंच नौसेना कर रही है. पूरी दुनिया की निगाहें अब इस तरफ लगी है कि चीन का नया मिलिट्री प्लेटफॉर्म पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए-नेवी) के हाथों में कितना प्रभावी होगा और यह चीनी प्रभाव को क्षेत्रीय समुद्री स्थिति में कैसे बढ़ावा दे सकता है.

कितना पावरफुल है फुजियान

चीन अपनी सैन्य और रक्षा क्षमताएं लंबे समय तक दुनिया से छुपाता रहा है. अधिकांश बुनियादी जानकारी प्रमुख व्यापार आयोजनों के दौरान जारी किए गए ब्रोशर (विवरणिका) से सामने आती है. हालांकि, प्रमुख विवरण अज्ञात रहते हैं और आमतौर पर विशेषज्ञों द्वारा मान्यताओं पर आधारित होते हैं. उपलब्ध तस्वीरों के आधार पर, फुजियान की लंबाई लगभग 316 मीटर है, और डेक अधिकतम 76 मीटर चौड़ा है. डेक पर तीन कैटापुल्ट रनवे हैं यानी बेहद तेजी से तीन फाइटर जेट के ऑपरेशन इसपर हो सकते हैं. हालांकि, इस तरह के ऑपरेशन के लिए बेहद ज्यादा पावर की जरूरत होती है जो थोड़ी टेढ़ी खीर होती है. लेकिन मेरीटाइम एक्सपर्ट मानते हैं कि तीन कैटापुल्ट सिस्टम होने से एक फायदा ये है कि अगर एक या दो खराब भी हो जाएं तो कैरियर के ऑपरेशन्स जारी रहेंगे. करीब 80 हजार टन के वजन वाले इस एयरक्राफ्ट कैरियर की तुलना अमेरिका के ‘जेराल्ड फोर्ड’ क्लास से की जा रही है.

युद्धपोत पर दिखाई देने वाले उपकरणों की बात करते हुए, इसमे उन्नत स्वदेशी निगरानी और ट्रैकिंग रडार लगाया गया है, जो समूह के विमान  उड़ान संचालन का अवलोकन करेगा. आत्मरक्षा उपकरण में, यह एचक्यू-10 कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली और एच-पी 11 ऑटोकैनन (30 एमएम) से लैस होगा. ये ऑटोकैनन एक क्लोज-इन वेपन सिस्टम है, जो बेहद करीबी दूरी पर लक्ष्य को मार गिराने के लिए एक अत्यंत सटीक हथियार है.

कौन कौन से एयरक्राफ्ट होंगे तैनात

फुजियान पर अत्याधुनिक चीनी लड़ाकू विमान न्यू जे-15, पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जे-35 और केजे-600 एयरबोर्न अर्ली वार्निंग (एईडब्लू) एयरक्राफ्ट तैनात रहेंगे. जे-15 विमान पीएलए नौसेना के ‘शानडोंग’ और ‘लियाओनिंग’ एयरक्राफ्ट कैरियर से पहले ही उड़ान भर रहे हैं. वही नया विमान वर्तमान में कैटापुल्ट टेकऑफ के लिए तैयार किया जा रहा है. अन्य विमान भी परीक्षण चरण में हैं, जैसे जे-35. केजे -600 चीन को अमेरिका के ई-2 ‘हॉकआई’ की बराबरी करने के लिए विकसित किया जा रहा है. ये वर्तमान में परीक्षण में हैं और पोत से संचालित करने के लिए पूरी तरह से प्रमाणित होने से पहले समय लगेगा. इनके साथ सर्च एंड रेस्कयू (खोज और बचाव) और परिवहन मिशन के लिए जेड-20 जैसे हेलीकॉप्टर भी फुजियान पर तैनात रहेंगे.

फुजियान को पीएलए नेवी की जंगी बेड़े  में शामिल होने में फिलहाल दो साल का समय लग सकता है. इस दौरान ये समुद्री परीक्षण का अनुभव करेगा, ताकि इंजन, उपकरणों, क्रू, डेक कार्यों, विमानों के साथ संचालन, और अन्य क्षेत्रों में बिना किसी दिक्कत के  प्रदर्शन कर पाए और सुचारू कामकाज को सुनिश्चित किया जा सके. यह चीन द्वारा एक बड़ी परियोजना है, जिसमें देश द्वारा पहली बार कई जटिल तकनीकों का एकीकरण किया गया है, और इसलिए, सेवा में शामिल होने से पहले समय लगेगा. विशेषज्ञों का मानना है कि पीएलए नेवी का यह विमानवाहक पोत 2026 के अंत तक शामिल होगा.

और एक विमान वाहक पोत ?

विशेषज्ञों का मानना है कि चीन निकट भविष्य में अधिक विमान वाहक पोत बनाने की उम्मीद की जा सकती है. यह एक प्रयास होगा जिसमें अमेरिका की समुद्री-ताकत को टक्कर देने और समुद्र में उसके प्रभाव को कम करना बीजिंग का मकसद होगा.

भारत के लिए क्या है चुनौती

भारत के पास वर्तमान में दो विमानवाहक युद्धपोत है, आईएनएस विक्रमादित्य और स्वदेशी आईएनएस विक्रांत. भविष्य के लिए, दूसरे विक्रांत श्रेणी के विमान वाहक पोत के निर्माण को मंजूरी देने के लिए एक प्रक्रिया चल रही है. विशेषज्ञों का मानना है कि तीन विमान वाहक युद्धपोत पर्याप्त बल और प्रतिक्रिया समय के साथ राष्ट्रीय सीमाओं की रक्षा के लिए सक्षम है. भारतीय नौसेना की वर्तमान आवश्यकताओं के लिए कम तादाद के पोत उपयुक्त होंगे. यदि एक वाहक अस्थायी रूप से उपलब्ध नहीं रहता है, तो बाकी दो पूर्वी और पश्चिमी समुद्री तट की रक्षा करने में तैयार  होंगे, जो कि  रणनीतिक हित के प्रमुख क्षेत्रों की रक्षा करेंगे, साथ ही आवश्यकता पड़ने पर ओफेंसिव ऑपरेशन्स भी कर सकते हैं.

पूर्वी लद्दाख से सटी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) से लेकर हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए भारत कमर कस चुका है. ऐसे में चीन की बढ़ती समुद्री ताकत पर भारत की पैनी निगाह टिकी हुई है.

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