पश्चिमी मीडिया के नैरेटिव को काउंटर करने के लिए चीन और रुस ने हाथ मिला लिया है. रुस की सरकारी न्यूज एजेंसी तास ने चीनी समकक्ष शिन्हुआ के साथ न्यूज कोपरेशन पर समझौता किया है. ये समझौता रुस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के चीन दौरे के दौरान किया गया (16-17 मई). ये खबर ऐसे समय में आई है जब यूरोपीय यूनियन (ईयू) ने रुस के कई मीडिया प्लेटफॉर्म को एक साथ बैन कर दिया है.
पुतिन के दो दिवसीय चीन दौरे के दौरान कई आर्थिक और व्यापारिक समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए. दोनों देशों ने मिलकर अमेरिका सहित सभी पश्चिमी देशों को धमकाते हुए ‘कोल्ड वार मानसिकता’ को छोड़ने की चेतावनी दी. साथ ही एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में किसी भी सैन्य गठजोड़ को सीधे तौर से चेतावनी देते हुए कहा कि ये ‘काउंटर-प्रोडक्टिव’ हो सकता है. साफ है कि निकट भविष्य में चीन और रुस मिलकर अमेरिका के नेतृत्व में बने ‘स्विफ्ट’ और ‘एयूकेयूएस’ जैसे गठबंधनों के खिलाफ मोर्चा खोल सकते हैं. लेकिन जिस समझौते की तरफ दुनिया का ध्यान कम गया, वो था तास और शिन्हुआ के बीच हुआ एग्रीमेंट (Indo Pacific में सैन्य गठबंधन काउंटर-प्रोडक्टिव, रुस और चीन की अमेरिका को धमकी).
रुस और चीन के सामरिक संबंधों को मजबूती प्रदान करने के लिए ही तास और शिन्हुआ ने ये समझौता किया है. इस समझौते के तहत दोनों देशों की सरकारी न्यूज एजेंसियां खबरों के आदान-प्रदान के साथ ही खबरों को लेकर सहयोग भी करेंगे.
जिस वक्त पुतिन बीजिंग के दौरे पर थे ईयू ने रुस के वॉयस ऑफ यूरोप, रिया नोवोस्ती, इजवेस्तिया और रुसियाकाया गैजेट जैसे मीडिया प्लेटफॉर्म पर 29 देशों में प्रतिबंध लगा दिया. ईयू ने ये कहकर इन रूसी मीडिया हाउस को बैन किया कि ये सभी क्रेमलिन यानी रुसी राष्ट्रपति के दफ्तर के ‘अधीन’ हैं. साथ ही ये सभी रुसी मीडिया यूक्रेन युद्ध को लेकर ‘दुष्प्रचार’ करते हैं और ‘प्रोपेगेंडा’ न्यूज प्रसारित करते हैं. ईयू का आरोप है कि अगले कुछ हफ्तों में यूरोपीय यूनियन की संसद के लिए चुनाव होने जा रहे हैं और रूसी मीडिया के जरिए राजनीतिक पार्टियों को प्रभावित करने की कोशिश की जा सकती है.
यूक्रेन युद्ध (फरवरी 2022) के शुरुआत होने के महज कुछ दिनों के भीतर ही ईयू ने रुस के आरटी (रशिया टुडे) और स्पूतनिक सहित कई मीडिया आउटलेट्स को बैन कर दिया था. हाल ही में बेल्जियम और चेक गणराज्य ने भी रुस के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए अपने-अपने देशों में जांच शुरु कर दी है.
वहीं रुस का आरोप है कि पूरी दुनिया पर पश्चिमी देशों का नैरेटिव हावी है. अमेरिका और यूरोपीय देशों का मीडिया यूक्रेन युद्ध को लेकर सच्ची-झूठी खबरें प्रकाशित करता है या प्रसारित करता है. रुसी मीडिया के पश्चिमी देशों में प्रतिबंध के चलते मॉस्को का पक्ष सामने नहीं आ पाता है. अधिकतर पश्चिमी मीडिया के जर्नलिस्ट और प्रतिनिधियों ने रुस के नए मीडिया कानून के चलते मॉस्को को छोड़कर अपने-अपने देश जा चुके हैं. ऐसे में रुस ने चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के साथ समझौता किया है ताकि चीन के जरिए रुस का पक्ष दुनिया तक पहुंच सके.
यूक्रेन युद्ध के शुरुआत में रुस की सेना द्वारा जंग के मैदान में बढ़त बनाए जाने के बावजूद पश्चिमी मीडिया ने ऐसा नैरेटिव तैयार किया कि पूरी दुनिया को लगने लगा कि पुतिन की सेना कमजोर पड़ रही है. ऐसे में रुस ने भी पिछले कुछ महीनों में अपना इनफार्मेशन वारफेयर काफी मजबूत किया है. शिन्हुआ से समझौता भी इसी कड़ी का हिस्सा है.