By Nalini Tewari
भारत पर लगाए गए मनमाने अमेरिकी टैरिफ को लेकर चीन ने भारत की तरफदारी की है. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा कि चीन हमेशा से टैरिफ के दुरुपयोग का विरोध करता आया है और इस पर हमारा रुख स्पष्ट और स्थायी है. वहीं दिल्ली में चीन के राजदूत ने ट्रंप पर तल्ख टिप्पणी करते हुए ‘बुली’ बता डाला है.
चीन भारत साथ ऐसे वक्त में खड़ा हुआ है, जब चर्चा है कि पीएम नरेंद्र मोदी 31-01 सितंबर को चीन का दौरा कर सकते हैं.
बदमाश को एक इंच दिया जाए तो वो एक मील ले लेता है: चीनी राजदूत
दिल्ली में चीनी राजदूत शू फेइहोंग ने गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की आलोचना करते हुए उन्हें “बदमाश” कहा. शू फेइहोंगे ने एक्स पर बिना नाम लिए लिखा, ‘बदमाश को अगर एक इंच दिया जाए तो वह एक मील ले लेता है.’
राजदूत ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी और ब्राजील के राष्ट्रपति के मुख्य सलाहकार के बीच हालिया फोन कॉल का एक अंश भी साझा किया. इस बातचीत में वांग यी ने कहा कि, ‘अन्य देशों को दबाने के लिए टैरिफ का इस्तेमाल संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन है और यह विश्व व्यापार संगठन के नियमों को कमजोर करता है.’
अमेरिका का सिद्धांत, भारत अच्छा मित्र तभी तक जब तक बागी न हो:चीन
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारत पर टैरिफ की दरें 50 प्रतिशत तक बढ़ाये जाने पर चीन की मीडिया ने ट्रंप प्रशासन की तीखी आलोचना की है. चीन की ओर से कहा गया है कि अमेरिका-भारत व्यापार संबंधों में आई नाटकीय गिरावट सिर्फ रूसी कच्चे की खरीद का मामला नहीं है. बल्कि यह एक आज्ञाकारी मित्र के बागी हो जाने का मामला है. अमेरिकी सिद्धातों के अनुसार, ‘भारत एक ‘महान मित्र’ हो सकता है, लेकिन केवल तभी जब वह आज्ञाकारी रहे. वाशिंगटन भारत की नीतियों में तटस्थता को विश्वसासघात और कूटनीतिक आजादी को धोखा के रूप में देखता है.
भारत की कूटनीति ने दी है अमेरिकी दादागीरी को टक्कर: चीनी मीडिया
चीन की मीडिया ने लिखा है कि भारत की रणनीतिक स्वायत्तता ने अमेरिकी दादागीरी को जोर की टक्कर दी है. अमेरिका का ये दोगलापन है कि अमेरिका और यूरोप भारत पर रूस के साथ बिजनेस करने का आरोप लगाते हैं लेकिन ये खुद रूस से भारी आयात करते हैं. अमेरिका और भारत के रिश्तों में ये बदलाव अचानक हुआ लगता है. इसी साल फरवरी में ही अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारतीय प्रधानमंत्री मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया था. उस वक्त ट्रंप ने मोदी को अपना शानदार मित्र बताया था. लेकिन कुछ ही महीनों बाद, व्यापार वार्ता विफल हो गई और भारत और अमेरिका के बीच रिश्ते जल्द ही बिखर गए.
दिल्ली-मॉस्को के घनिष्ठ संबंधों को टारगेट कर रहे ट्रंप: चीनी एक्सपर्ट्स
चीन के एक्सपर्ट्स का मानना है कि हाल के वर्षों में भारत ने भू-राजनीति में रणनीतिक संतुलन बनाए रखने की कोशिश की है. भारत ने ब्रिक्स और शंघाई सहयोग संगठन में शामिल होकर एक बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था की पैरवी की है.
अमेरिका लगातार टैरिफ बढ़ाकर भारत को समझौता करने के लिए मजबूर करना चाहता है. साथ ही चूंकि रूस पर अमेरिका का सीधा आर्थिक दबाव उनके छोटे व्यापार के कारण सीमित है इसलिए वाशिंगटन अब दो लक्ष्य हैं. नई दिल्ली के मॉस्को के साथ घनिष्ठ संबंधों को टारगेट कर रहा है. ये दो लक्ष्य हैं, रूस को कंट्रोल करना और भारत पर दंडात्मक कार्यवाही करना.”
एससीओ की बैठक में हिस्सा लेंगे पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करीब 6 साल बाद चीन की यात्रा पर करने वाले हैं. गलवान में झड़प के बाद पीएम मोदी का यह पहला चीन दौरा होगा. 31 अगस्त से 1 सितंबर के बीच चीन में शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन की समिट होने वाली है और कहा जा रहा कि पीएम मोदी इस समिट में हिस्सा ले सकते हैं.रणनीतिक तौर पर पीएम मोदी का चीन दौरा बेहद अहम है, क्योंकि हाल ही में रूस के बाद चीन ने भी भारत के साथ मिलकर त्रिपक्षीय साझेदारी पर सहमति जताई है. वहीं ये दौरा सांकेतिक तौर पर डोनाल्ड ट्रंप के लिए एक संदेश भी है कि भारत के चीन के साथ संबंध सुधर रहे हैं.
ट्रंप ने भारत पर लगाया है 50 प्रतिशत टैरिफ
राष्ट्रपति ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर भारत से आने वाले सामानों पर 25 फीसदी अतिरिक्त शुल्क लगाने का आदेश दिया है. इसे लेकर भारत ने भी पलटवार किया है कि वो राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखेगा और दबाव में झुकेगा नहीं.