एलएसी विवाद सुलझाने के बाद भारत से संबंधों को पटरी पर आता देख चीन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बेसब्री से इंतजार कर रहा है. बीजिंग चाहता है कि इस साल एससीओ शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी हिस्सा लेने के लिए जरूर चीन आएं.
शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) की अध्यक्षता इस साल चीन के हवाले हैं. ऐसे में एससीओ सदस्य-देशों के राष्ट्राध्यक्षों का समिट चीन में होने जा रहा है. खुद चीन ने विदेश सचिव विक्रम मिसरी से एससीओ सम्मेलन में पीएम मोदी की मौजदूगी की बात इशारों में कही है.
विदेश सचिव, दो दिवसीय (26-27 जनवरी) बीजिंग दौरे पर गए थे. इस दौरान कई अहम मुद्दों पर सहमति बनी. इनमें पांच साल बाद फिर से कैलाश मानसरोवर यात्रा शुरू करने और दोनों देशों के बीच सीधी उड़ान शामिल है.
पाकिस्तान के चलते पीएम मोदी नहीं शामिल हुए एससीओ समिट में
दरअसल, पाकिस्तान के चलते पीएम मोदी एससीओ की दो समिट में शामिल नहीं हुए हैं. कजाख्स्तान (3-4 जुलाई 2024) में भी पीएम मोदी की जगह विदेश मंत्री एस जयशंकर गए थे और फिर पिछले साल अक्टूबर में पाकिस्तान में हुए सम्मेलन में भी.
कजाख्स्तान के सम्मेलन में पीएम मोदी देश में आम चुनाव के चलते शामिल नहीं हुए थे. कजाख्स्तान में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग सहित पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी शामिल हुए थे. पाकिस्तान में हुए सम्मेलन में पुतिन और शी भी शामिल नहीं हुए थे.
पीएम मोदी के सक्रिय ना होने से एससीओ संगठन कमजोर पड़ता दिखाई पड़ रहा है. यही वजह है कि इस साल चीन चाहता है कि पीएम मोदी जरूर शामिल हो.
यूरेशियाई संगठन की बैठक इस साल चीन में
एससीओ एक यूरेशियाई संगठन है जिसमें भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, कज़ाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ईरान और बेलारूस सदस्य देश हैं. एससीओ का मुख्यालय, चीन की राजधानी बीजिंग में है. ऐसे में अगर एससीओ सम्मेलन अगर चीन में होता है और पीएम मोदी शामिल नहीं हुए तो चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भद्द पिट सकती है. यही वजह है कि चीन, पीएम मोदी की मौजूदगी चाहता है.
विदेश सचिव विक्रम मिसरी और चीन के उप-विदेश मंत्री सुन वीडोंग के बीच हुई वार्ता के बाद बीजिंग ने आधिकारिक बयान जारी कर एससीओ में भारत की सक्रिय भागीदारी की बात कही है.
चीनी राजदूत ने एससीओ बैठक लिए कही ये बात
भारत में चीन के राजदूत शु फीहोंग ने कहा कि “भारत ने एससीओ की अध्यक्षता के लिए चीन को पूरी तरह समर्थन दिया है और संगठन की बैठक में सक्रिय भूमिका निभाएगा.”
चीनी राजदूत के मुताबिक, दोनों देश द्विपक्षीय और बहुपक्षीय आयोजन में हिस्सा लेंगे तथा सामरिक संचार को मजबूत करने तथा आपसी राजनीतिक विश्वास बढ़ाने पर सहमत हुए हैं. (https://x.com/China_Amb_India/status/1883967452486463598)
हालांकि, भारत के विदेश मंत्रालय ने विक्रम मिसरी के बीजिंग दौरे पर जो आधिकारिक बयान सोमवार को जारी किया था, उसमें एससीओ का कोई जिक्र नहीं था. (https://www.mea.gov.in/press-releases.htm?dtl/38946/Visit_of_Foreign_Secretary_to_China)
इस साल गर्मियों में शुरु हो जाएगी मानसरोवर यात्रा
भारत के विदेश मंत्रालय के मुताबिक, दोनों देश इसी साल गर्मियों में मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू करने के लिए तैयार हो गए हैं.
पहले कोरोना और फिर गलवान घाटी की झड़प (2020) के चलते दोनों देशों के बीच चल रही तनातनी के चलते कैलाश मानसरोवर यात्रा को बंद कर दिया गया था.
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, विदेश सचिव विक्रम मिसरी के बीजिंग दौरे के बाद दोनों देश एक-दूसरे के मीडिया, थिंक-टैंक और सामान्य लोगों के बीच आदान-प्रदान के लिए भी तैयार हो गए हैं.
साथ ही दोनों देश एक दूसरे के शहरों को सीधी फ्लाइट से जोड़ने के लिए भी तैयार हो गए हैं.
ट्रांस-बॉर्डर नदियों का डाटा करेंगे साझा
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, दोनों देश हाइड्रोलॉजिकल डाटा और ट्रांस-बॉर्डर नदियों पर सहयोग को लेकर एक एक्सपर्ट स्तर की मीटिंग को लेकर भी सहमति बनी है.
दरअसल, ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन, दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने की तैयारी कर रहा है. भारत के लिए खतरे की घंटी इसलिए है क्योंकि ये बांध उस मोड़ पर बन रहा है जहां ब्रह्मपुत्र नदी अरुणाचल प्रदेश में दाखिल हो रही है.
इस साल, भारत और चीन के बीच राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे हो रहे हैं. ऐसे में दोनों देश, पब्लिक डिप्लोमेसी के जरिए एक दूसरे को समझने की लिए तैयार हो गए हैं ताकि आपसी विश्वास और भरोसा कायम किया जा सके.
दोनों देश चरणबद्ध तरीके से इन वार्ताओं और सहमति को लागू करने के लिए तैयार हुए हैं. साथ ही आर्थिक और व्यापारिक क्षेत्र में दोनों देशों के बीच जो भी मतभेद हैं, उन पर भी मिसरी और चीनी उप-विदेश मंत्री ने चर्चा की.
चीनी विदेश मंत्री वांग यी का अहम बयान
मिसरी से मुलाकात के दौरान चीनी विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और चीन को “एक दूसरे पर संदेह और अलगाव के बजाय आपसी समझ और आपसी समर्थन पर जोर दिया था.” (एक-दूसरे पर शक बंद करें, वांग यी की विदेश सचिव से मुलाकात)