चीन के विदेश मंत्री वांग यी के दौरे के बीच चीन ने भारत-पाकिस्तान संबंधों में मध्यस्थता की पेशकश की है. चीनी विदेश मंत्रालय ने बीजिंग में बड़ा बयान देते हुए कहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच दोस्ताना संबंध जरूरी है और उनकी समस्याओं के समाधान में चीन सकारात्मक भूमिका निभा सकता है.
भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने को तैयार: चीन
अमेरिका के साथ चल रहे तनाव और बिगड़े संबंध के बीच भारत-चीन करीब आ रहे हैं. गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने दिल्ली आकर संबंधों को सुधारने पर जोर दिया. वांग यी ने पीएम मोदी, एस जयशंकर और अजीत डोवल से मुलाकात की और कहा कि भारत-चीन को विश्वास के साथ आगे बढ़ना चाहिए.
इस बीच चीन ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि पड़ोसी देश भारत और पाकिस्तान के बीच दोस्ताना और सहयोग बढ़ना चाहिए. चीनी प्रवक्ता माओ निंग ने कहा कि “अगर दोनों देशों (भारत-पाकिस्तान) की इच्छा हुई तो वो मध्यस्थता के लिए तैयार है.”
भारत-पाकिस्तान को आपसी बातचीत से समाधान निकालना चाहिए: माओ निंग
विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग से मंगलवार को पूछा गया कि भारत-पाकिस्तान के तनावपूर्ण इतिहास और वर्तमान को देखते हुए चीन आने वाले समय में दोनों देशों के बीच कैसे तालमेल बैठाएगा. इस सवाल का जवाब देते हुए माओ निंग ने कहा, “सैद्धांतिक रूप से देखें तो, चूंकि भारत और पाकिस्तान दोनों ही चीन के महत्वपूर्ण पड़ोसी हैं, चीन दोनों के साथ दोस्ताना और सहयोग का संबंध विकसित करने का इच्छुक है.”
माओ निंग ने कहा, “भारत और पाकिस्तान के बीच जो भी मुद्दे हैं, उन्हें दोनों देश आपसी बातचीत से सुलझाएं. चीन ये उम्मीद करता है कि दोनों देश सही समाधान तक पहुंचेंगे. माओ निंग ने यह भी कहा कि अगर भारत और पाकिस्तान तैयार हों, तो चीन इस प्रक्रिया में सकारात्मक भूमिका निभाने को तैयार है.”
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के साथ खड़ा था चीन
ये बात दुनिया के सामने है कि पहलगाम नरसंहार की निंदा करने वाले चीन ने थोड़े ही दिनों में रंग बदलते हुए पाकिस्तान का साथ दिया था. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीन ने पाकिस्तान को हथियार मुहैया कराए थे.
इतना ही नहीं पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की क्या सैन्य तैयारियां हैं इसके लिए चीन ने पाकिस्तान को भारतीय सैन्य गतिविधियों की रियल-टाइम जानकारी दी थी, जिसमें भारतीय सैन्य टुकड़ियों की तैनाती और मिसाइल पथों की निगरानी शामिल थी. चीन ने 5 सैटेलाइट्स को विशेष रूप से भारतीय सैन्य ठिकानों की निगरानी के लिए तैनात किया. इन सैटेलाइट्स ने भारतीय वायुसेना और सैन्य गतिविधियों की तस्वीरें और रडार डेटा दिया. इस बात का खुलासा खुद भारतीय सेना के उप-प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर. सिंह ने किया था.
इसके अलावा चीन ने विदेशों में अपने दूतावासों के जरिए रफाल फाइटर जेट्स गिराए जाने का प्रोपेगेंडा भी फैलाया था. हालांकि चीन की चाल सफल नहीं हो पाई थी. भारत ने पाकिस्तान को कड़ी मात दी थी.
पाकिस्तान अमेरिका की करीबा से चीन को खतरा
चीन ने आंख बंद करके पाकिस्तान में बहुत निवेश किया है, जिसमें बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव शामिल है. लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान, अमेरिका के करीब जा रहा है. पाकिस्तान के फेल्ड मार्शन असीम मुनीर दो बार अमेरिका में जाकर नाक रगड़ने गया था. डोनाल्ड ट्रंप की चापलूसी करने के चक्कर में पाकिस्तान ने नोबल पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया है.
वहीं भारत की ओर से क्रेडिट न दिए जाने से नाराज ट्रंप ने पाकिस्तान में तेल खोजने का समझौता किया है. ट्रंप पाकिस्तान में रेयर खनिज-संपदा-तेल खोजने का ऐलान कर चुके हैं. ऐसे में अगर पाकिस्तान में अमेरिका घुसता है, तो चीन का बीआरआई खटाई में पड़ सकता है. वैसे ही बलूचिस्तान लड़ाकों के चक्कर में चीन को भारी नुकसान हुआ है, ऊपर से अमेरिका भी पाकिस्तान में निवेश करेगा, जो सामरिक दृष्टि से चीन के लिए खतरा हो सकता है.
ऐसे में चीन चाहता है कि वो भारत-पाकिस्तान के बीच रिश्ते सुधारे. एससीओ की बैठक में शहबाज शरीफ शामिल हो रहे हैं और पीएम मोदी भी मौजूद रहेंगे. शहबाज बार-बार अमेरिका हो या चीन, सऊदी अरब हो या रूस, सबसे ये गुहार लगा रहे हैं कि भारत से बात करवाई जाए. लेकिन भारत पहले ही कह चुका उसे किसी की भी मध्यस्थता मंजूर नहीं है.