चीन और फिलीपींस के साथ तनातनी के बीच दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मोस को लेकर चीन बेचैन हो गया है. ब्रह्मोस वही मिसाइल है जिसे हाल ही में भारत ने चीन के दुश्मन देश फिलीपींस को सौंपी है. बीजिंग और मनीला के बीच साउथ चाइना सी में जबर्दस्त तनाव है. ऐसे में मनीला को मिसाइल की पहली खेप पहुंचने के तकरीबन एक सप्ताह बाद चीनी सेना की ओर से ब्रह्मोस मिसाइल पर प्रतिक्रिया दी है. चीन की सेना का कहना है कि “दो देशों के सुरक्षा सहयोग से किसी तीसरे पक्ष के हितों और क्षेत्रीय स्थिरता को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए.”
भारत पर सधी प्रतिक्रिया, पर अमेरिका पर भड़का चीन
भारत ने ब्रह्मोस मिसाइलों का पहला बैच 19 अप्रैल को फिलीपींस की राजधानी मनीला में पहुंचाया है. ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की डिलीवरी पर हुए सवाल पर चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल वू कियान ने कहा है कि “चीन का हमेशा विश्वास रहा है कि दोनों देशों के बीच रक्षा और सुरक्षा सहयोग से किसी तीसरे पक्ष को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए. साथ ही इससे किसी तीसरे देश की क्षेत्रीय शांति और स्थिरता बाधित नहीं होनी चाहिए.” चीनी सेना के प्रवक्ता ने भारत पर सधी प्रतिक्रिया देते हुए अमेरिका की भी आलोचना की है. वू कियान ने इसी महीने अमेरिका की ओर से फिलीपींस को भेजी गई मीडिया रेंज की बैलिस्टिक मिसाइल का विरोध किया. चीन रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता वू कियान ने कहा- “एशिया-प्रशांत में अमेरिका की ओर से बैलिस्टिक मिसाइलों की तैनाती का हम कड़ा विरोध करते हैं, अमेरिका का यह कदम क्षेत्रीय देशों की सुरक्षा को गंभीर रूप से खतरे में डालते हुए क्षेत्रीय शांति को खतरा पैदा करता है.”
भारत-चीन पर सीमा पर हालत स्थिर: वू कियान
चीनी प्रवक्ता वू कियान ने पीएम मोदी और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के बयान पर बात करते हुए कहा है कि “भारत-चीन सीमा पर इस समय हालात सामान्य तौर पर स्थिर हैं और दोनों पक्षों ने पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध को सुलझाने के लिए प्रभावी संचार कायम रखा है” दरअसल कुछ दिनों पहले एक इंटरव्यू में पीएम मोदी ने उम्मीद जताई थी कि भारत और चीन राजनयिक तथा सैन्य स्तरों पर सकारात्मक द्विपक्षीय साझेदारी के माध्यम से अपनी सीमाओं पर शांति कायम रखेंगे. पीएम मोदी ने इंटरव्यू में कहा था कि “भारत और चीन के बीच स्थिर और शांतिपूर्ण संबंध ना केवल हमारे दोनों देशों के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र और दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं”
चीनी सैन्य प्रवक्ता वू ने कहा, ‘‘दोनों पक्षों ने राजनयिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से प्रभावी संचार बनाए रखा है, सकारात्मक, रचनात्मक संवाद किया है तथा सकारात्मक प्रगति हासिल की है, गतिरोध को सुलझाने के लिए जल्द से जल्द परस्पर समाधान पर पहुंचने के लिए सहमत हो गए हैं.”
पहले डोकलाम, फिर गलवान हिंसा के बाद से भारत-चीन में तनाव
पिछले चार साल से भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर तनातनी चल रही है. गलवान घाटी की झड़प के बाद से दोनों देशों ने एक-एक लाख सैनिकों को एलएसी पर तैनात कर रखा है. पूर्वी लद्दाख के पांच फ्लैश-पॉइंट पर तो विवाद सुलझ चुका है लेकिन कुछ विवादित इलाकों पर तनातनी जारी है. यही वजह है कि दोनों देश राजनयिक और सैन्य स्तर पर बातचीत के जरिए सभी विवाद सुलझाना चाहते हैं. भारत और चीन के बीच तकरीबन 29 बार बैठक हो चुकी है. अप्रैल 2013 में जब चीन ने पूर्वी लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) में घुसपैठ की कोशिश की तो भारतीय सेना ने भी पीएलए सेना के तंबुओं के सामने अपना कैंप लगा लिया. 25 दिन चले फेस-ऑफ यानि गतिरोध के बाद राजनीतिक और डिप्लोमेटिक स्तर से बातचीत के जरिए विवाद को सुलझाया गया. इसके बाद पहली बार भारत ने भूटान में जाकर डोकलाम इलाके में चीनी सेना को सड़क बनाने से रोक दिया था.
मालदीव से चीन की दोस्ती, भारत ने फिलीपींस को दिया ब्रह्मोस
भले ही भारत और चीन के बीच सकारात्मक बातचीत हो रही हो, पर दूध का जला छाछ फूंक फूंक कर भी पीता है, लिहाजा चीन की चालबाजी से वाकिफ भारत बहुत सावधान है. भारत के पड़ोसी देश मालदीव को हवा देकर चीन हिंद महासागर में विस्तार करना चाहता है. तो भारत ने भी कूटनीतिक और रणनीतिक साझेदारी फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइल देकर साबित कर दिया कि भारत भी चीन के हर पत्थर का जवाब ईंट से देना जानता है, इसलिए चीन की विस्तारवादी नीति के चलते भारत फिलीपींस के साथ रक्षा संबंधों को बढ़ा रहा है. चीन भी जानता है कि अब भारत पुराना भारत नहीं नया भारत है, जो सशक्त है और कूटनीतिक तौर पर बेहद मजबूत है.