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निजी बातें सुनना चाहते हैं Chinese टाइफून, अमेरिकी टेलीकॉम कंपनी को किया हैक

चीनी हैकर्स ने एक बार फिर की है अमेरिका में बड़ी घुसपैठ. चीनी हैकर्स ने अमेरिकी दूरसंचार कंपनी को हैक कर निजी संदेश और फोन कॉल सुनने हैं.

अमेरिका राष्ट्रपति के ऑफिस (व्हाइट हाउस) के एक बड़े अधिकारी के बयान से हड़कंप मच गया है. क्योंकि ये बेहद ही गंभीर मामला है. व्हाइट हाउस के अधिकारी ने दावा किया है कि चीन के हैकर्स ने नौवीं बार अमेरिका की किसी दूरसंचार कंपनी को जासूसी अभियान के तहत हैक किया है. हैकिंग के जरिए बीजिंग में बैठे जासूस और अधिकारी अमेरिकी लोगों के निजी संदेश और फोन पर हुई बातचीत के बारे में जानकारी हासिल कर रहे हैं. 

अमेरिकी लोगों के कॉल सुन रहा चीन: डिप्टी एनएसए

उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ऐनी न्यूबर्गर के दावे ने अमेरिका में सनसनी फैला दी है. डिप्टी एनएसए ने कहा, “चीनी हमले से प्रभावित नौवीं दूरसंचार कंपनी का पता लगा है. अमेरिका में पहले भी ऐसे कई मामले आ चुके हैं, लेकिन नौ दूरसंचार कंपनियों तक हैकर्स की पहुंच एक बड़ी चिंता का इशारा कर रही है.”

इससे पहले भी बाइडेन प्रशासन ने चीनी जासूसी का खुलासा कर चुकी है. बाइडेन प्रशासन के अधिकारियों ने इस महीने कहा था कि कम से कम आठ दूरसंचार कंपनियां और दर्जनों देश ‘साल्ट टाइफून’ के नाम से जाने जाने वाले चीनी हैकिंग हमले से प्रभावित हुए हैं.

सरकारी अधिकारी और बड़े राजनेताओं की पर्सनल चैट्स

एफबीआई की जांच में ये खुलासा हुआ है कि चीन ने कई राजनेताओं और बड़ी हस्तियों के पर्सनल चैट्स और कॉल को सुना है. हैकर्स ने दूरसंचार कंपनियों के नेटवर्क में सेंध लगाई और ग्राहकों के कॉल रिकॉर्ड हासिल किए और सीमित संख्या में लोगों के निजी बातचीत को बीजिंग में बैठकर सुना है. हालांकि एफबीआई ने सार्वजनिक रूप से किसी भी पीड़ित की पहचान नहीं की है, लेकिन अधिकारियों का मानना है कि वरिष्ठ अमेरिकी सरकारी अधिकारी और प्रमुख राजनीतिक हस्तियां उन लोगों में शामिल हैं जिनके कम्युनिकेशन तक पहुंच चीनी हैकर्स ने पहुंच बनाई गई थी.

वाशिंगटन-वर्जीनिया क्षेत्र में की चीन ने जासूसी

डिप्टी एनएसए ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा- “ये नहीं पता है कि चीन की जासूसी से कितने लोग प्रभावित हुए हैं. लेकिन ये हैक बड़ी संख्या वाशिंगटन-वर्जीनिया क्षेत्र में हुई.” एफबीआई के मुताबिक- “हैकर्स ये पता कर रहे थे कि फोन किसके पास है और सरकार को लेकर किस तरह की बातचीत की जा रही है.”

हैकिंग के बाद अमेरिका सतर्क हो गया है, क्योंकि 20 जनवरी को नई सरकार सत्ता में आने वाली है. ये भी पता किया जा रहा है कि क्या चीनी हैकर्स ने सत्ता के जुड़े लोगों की बातचीत सुनने की कोशिश की है ताकि ट्रंप शासन और उनकी नीतियों पर नजर रखी जा सकी.

क्या है चीन का सॉल्ट टाइफून, जिसने ट्रंप-जेडी को किया था टारगेट

अमेरिका में चुनाव से पहले भी सॉल्ट टाइफून का खुलासा हो चुका है. अक्टूबर में बताया गया था कि चीनी हैकर्स ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और जेडी वेंस के फोन को निशाना बनाया था. अमेरिका का दावा किया था कि चीन के साइबर समूह साल्ट टाइफून के जरिए जासूसी की थी. बाकायदा एफबीआई के अधिकारियों ने इसकी जानकारी ट्रंप के टीम को दी थी और सतर्क रहने को कहा था. हालांकि चीनी दूतावास ने साइबर जासूसी के लगे सारे आरोपों से इनकार किया था. 

माना जाता है कि हैकर्स का ग्रुप साल्ट टाइफून चीनी सरकार द्वारा वित्तपोषित किया जाता है. इस ग्रुप का मकसद पारंपरिक हैकिंग या कॉरपोरेट डाटा चुराना नहीं है बल्कि ये ग्रुप खुफिया जानकारी चुराने के लिए जाना जाता है. साल्ट टाइफून, अमेरिकी संपत्तियों की जानकारी भी इकट्ठा करता है. 

चीन के हैकर्स को माइक्रोसॉफ्ट ने ‘टाइफून’ नाम दिया है. इसी तरह माइक्रोसॉफ्ट ने ईरान के हैकर्स को सैंडस्टॉर्म, रूस के हैकर्स को ब्लिजार्ड नाम दिया है.

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