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बांग्लादेश के छात्र आंदोलन में चीन की घुसपैठ (TFA Exclusive)

 बांग्लादेश में शेख हसीना के तख्तापलट के पीछे किस तरह विदेशी ताकतें काम कर रही थीं इसका खुलासा हो चुका है. अमेरिका और पाकिस्तान ने किस तरह बांग्लादेश की मुख्य विपक्षी पार्टी बीएनपी और कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी को मोहरा बनाकर शेख हसीना को न केवल इस्तीफा देने पर मजबूर किया बल्कि देश तक छोड़ने विवश किया. लेकिन टीएफए को मिली एक्सक्लूसिव जानकारी के मुताबिक, शेख हसीना के खिलाफ छात्रों के प्रदर्शन में चीन की घुसपैठ भी एक बड़ा कारण रहा है.

यानी चीन, अमेरिका और पाकिस्तान ने अपने-अपने तरीके से बांग्लादेश में अराजकता का माहौल बनाया और भारत की मित्र शेख हसीना को लोकतांत्रिक प्रक्रिया से मिली सत्ता को छोड़ने की परिस्थिति तैयार की.

टीएफए को मिली जानकारी के मुताबिक, बांग्लादेश में अपना दबदबा बनाने के इरादे से चीन ने अपने देश की पांच प्रमुख यूनिवर्सिटी में बांग्ला स्टडी का कार्यक्रम शुरू किया था. इसके तहत चीनी छात्र, एजुकेशन एक्सचेंज या फिर कल्चर एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत बांग्लादेश के अलग-अलग विश्वविद्यालयों में पढ़ाई के लिए जाते हैं.

चीन के जिन पांच विश्वविद्यालयों में बांग्ला स्टडी का कार्यक्रम चलता है उनमें युनान यूनिवर्सिटी, पीकिंग यूनिवर्सिटी, कम्युनिकेशन यूनिवर्सिटी, कुमिंग यूनिवर्सिटी और मिन्जू यूनिवर्सिटी प्रमुख हैं. बांग्ला की पढ़ाई करने वाले चीनी छात्रों को फिर ‘इंटेलिजेंस-असैट’ खड़ा करने के लिए बांग्लादेश की राजधानी ढाका भेजा जाता है. इसके अलावा ये चीनी छात्र बांग्लादेश के स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन के लिए ‘फंडिंग चैनल’ भी तैयार करने का काम करते हैं.

चीन के एजुकेशन एक्सचेंज प्रोग्राम का बांग्लादेश के छात्र संगठनों पर किस कदर प्रभाव है इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि दुनियाभर में मुस्लिमों पर होने जुल्म और अत्याचार के खिलाफ तो आवाज उठाते हैं लेकिन चीन के उइगर मुसलमानों के बारे में कभी एक शब्द नहीं बोलते हैं.

विदेश में पढ़ने वाले चीनी छात्रों के लिए बने संगठन, ‘चीनी इंटरनेशनल स्टूडेंट्स यूनियन’ की गहरी पैठ बांग्लादेश में है. ये चीनी यूनियन, खुले आम ढाका के प्रेस क्लब तक में ‘टेक अस बैक टू चायना’ यानी हमें चीन ले चलो जैसे कार्यक्रम तक आयोजित करती है. इन चीनी यूनियन का संबंध न केवल बांग्लादेश की विपक्षी पार्टी बीएनपी (बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी) की छात्र-विंग से है बल्कि शेख हसीना की अवामी लीग की स्टूडेंट्स यूनियन तक में इसने पैठ बना रखी थी. अवामी लीग के स्टूडेंट्स विंग के कार्यक्रम में चीनी दूतावास के अधिकारी तक मौजूद रहते थे.

चीनी इंटरनेशनल स्टूडेंट यूनियन की पकड़ बांग्लादेश में इतनी मजबूत है कि कोरोना काल में उसने स्थानीय छात्रों के साथ मिलकर बांग्लादेशी विदेश मंत्रालय के सामने इस बात को लेकर प्रदर्शन किया था कि बांग्ला छात्रों को चीनी वैक्सीन दी जाए ताकि वे वापस पढ़ने के लिए चीन जा सके.  

बांग्लादेश की कम्युनिस्ट पार्टी की छात्र-विंग, ‘बांग्लादेश स्टूडेंट्स यूनियन’ जिसके तले हालिया विरोध-प्रदर्शन शुरू हुए, बहुत हद तक चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की नीतियों से प्रभावित है. बांग्लादेश में चीन के राजनयिक अक्सर बांग्लादेशी कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यक्रमों में दिखाई पड़ते हैं.

पिछले साल सितंबर में बांग्लादेशी कम्युनिस्ट पार्टी ने ही ढाका में नेशनल प्रेस क्लब के ठीक सामने तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को हटाने के लिए आंदोलन किया था. इसमें पार्टी की मांग की थी बांग्लादेश में आम चुनाव एक केयरटेकर सरकार के अंतर्गत कराए जाएं, कीमतों के दाम बढ़ने से रोके जाएं और भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों को उनके पद से बर्खास्त किया जाए.

ढाका प्रेस क्लब के सामने हुए इस विरोध-प्रदर्शन की तस्वीरों को कम्युनिस्ट पार्टी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर पोस्ट कर पहली बार हैशटैग (#) ‘स्टेप डाउन शेख हसीना’ मूवमेंट चलाया था. यही हैशटैग फिर पिछले महीने सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ छात्र-प्रदर्शन के दौरान इस्तेमाल किया गया. साजिश बांग्लादेश में एक नए ‘अरब-स्प्रिंग’ को पैदा करने की थी. नतीजा, पिछले 15 सालों से देश की कमान संभाल रही शेख हसीना को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा और सेना के कहने पर देश को छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी. (बांग्लादेश में ISI की साजिश कामयाब)

शेख हसीना भी अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में चीन की चालबाजियों को समझना शुरू हो गई थी. पिछले महीने बीजिंग की यात्रा पर गई प्रधानमंत्री शेख हसीना (9-11 जुलाई) को अपनी चार दिन की यात्रा बीच में ही खत्म करके लौटना पड़ा था. हालांकि, इसका कारण शेख हसीना की बेटी की तबीयत बताया गया था लेकिन हकीकत ये थी कि शेख हसीना चीन में मिले स्वागत से नाखुश थी.

चीन ने शेख हसीना की यात्रा से पहले बांग्लादेश को पांच बिलियन डॉलर का लोन देने का वादा किया था. लेकिन जब शेख हसीना ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की तो महज एक बिलियन युआन का यानी करीब 1600 करोड़ (टका).

जानकारी के मुताबिक, शेख हसीना इस बात से बेहद नाराज हुई कि उनकी शी जिनपिंग से मुलाकात और बीजिंग दौरा का चीन के सरकारी मीडिया ने पूरी तरह बायकॉट कर रखा था. जबकि, चीनी मीडिया लगातार बांग्लादेश की बदहाली, गरीबी और बेरोजगारी के बारे में कार्यक्रम चलाता रहता है जिसके कारण बांग्लादेशी अवाम में अपनी सरकार के खिलाफ गुस्सा बढ़ रहा था. ये गुस्सा आरक्षण के विरोध में फूटा, जिसके कारण शेख हसीना को सत्ता से हाथ धोना पड़ा. (शेख हसीना के तख्तापलट का US कनेक्शन)