चीन की पीएलए सेना पहली बार यूरोप के दरवाजे पर पहुंच गई है. पीएलए सेना यूक्रेन की सीमा से महज 50 किलोमीटर की दूरी पर है. वजह है चीन और बेलारूस का साझा युद्धाभ्यास, जो इनदिनों यूक्रेन और पोलैंड से सटे बॉर्डर पर चल रहा है (8-19 जुलाई).
चीन के इस युद्धाभ्यास से नाटो को बेचैनी बढ़ने लगी है. ‘नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन’ (नाटो) के चीफ जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने अंदेशा जताया है कि बेलारुस के साथ इस मिलिट्री एक्सरसाइज के जरिए चीन, नाटो के करीब पहुंच रहा है.
पश्चिमी देशों के मुताबिक, इस युद्धाभ्यास के जरिए चीन मसल-फ्लैकशिंग करने की कोशिश कर रहा है और नाटो को चुनौती देने का संदेश दे रहा है. हाल ही में अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी में आयोजित समिट में नाटो ने चीन को यूक्रेन के खिलाफ रुस को ‘बढ़ावा देने’ का आरोप लगाया था.
चीन और बेलारूस के बीच शुरु हुए युद्धाभ्यास का नाम अटैकिंग फालकन रखा गया है. 11 दिनों तक चलने वाली इस एक्सरसाइज का मकसद काउंटर-टेररिज्म ड्रिल के अलावा इंटर-ऑपरेबिलिटी बढ़ाना है.
हाल ही में बेलारुस ने नाटो देशों के खिलाफ टेक्टिकल न्यूक्लियर वेपन इस्तेमाल करने की धमकी दी थी. क्योंकि नाटो देशों की 20 बटालियन बेलारुस के बॉर्डर पर तैनात की गई है. बेलारूस ने इस तैनाती का विरोध किया था.
इसी महीने बेलारुस, शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) का सदस्य देश बना है. एससीओ में चीन, पाकिस्तान, रुस और भारत सहित कुल 10 देश हैं.
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