अलास्का में शुक्रवार को होने वाली अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की बैठक की तैयारियां चल रही हैं, इस बीच चीन के जासूसी जहाज, अमेरिका के लिए बड़ा सिरदर्द बन चुके हैं.
जिस अलास्का में पुतिन-ट्रंप की बैठक होनी हैं, उसके करीबी क्षेत्र में चीन ने अपने एक दो नहीं 05 जासूसी जहाज भेजे हैं. जिसको लेकर नॉर्थ अमेरिकन एयरोस्पेस डिफेंस कमांड और यूएस नॉर्थर्न कमांड हाईअलर्ट है, और चीनी जहाजों पर नजर बनाए हुए है.
अलास्का के बेहद करीब पहुंचे हैं चीन के जासूसी जहाज, अमेरिका अलर्ट
चीन खुद को नियर-आर्कटिक नेशन (आर्कटिक के पास का देश) घोषित कर चुका है. पिछले कुछ सालों में चीन ने अलास्का (अमेरिकी स्टेट) के पास अपनी मौजूदगी बढ़ा दी है, खासकर पिछले साल जब उसने एक साथ तीन रिसर्च जहाज भेजे थे.
अब जब अलास्का में पुतिन और ट्रंप की बैठक होने वाली है, तो कुछ दिनों से चीन के जासूसी जहाज को अमेरिकी कोस्ट कार्ड के विमानों ने इंटरसेप्ट किया है.
ये चीनी जहाज अपने देश के तट से चलकर अलास्का के पास के पानी तक पहुंचे. अमेरिकी कोस्ट गार्ड के सी-130 जे हरक्यूलिस विमान ने बीरिंग सी में दो चीनी जहाजों को ट्रैक किया. इसके बाद एक और जासूसी जहाज को अमेरिका ने इंटरसेप्ट किया.
कोस्ट गार्ड ने चीनी रिसर्च आईसब्रेकर जू लॉंग 2 को अमेरिका की एक्सटेंडेड कॉन्टिनेंटल शेल्फ बॉर्डर के 130 नॉटिकल मील अंदर देखा.
अमेरिकी एयरोस्पेस डिफेंस कमांड और नॉर्थर्न कमांड ने चीनी जहाज पर क्या बताया
नॉर्थ अमेरिकन एयरोस्पेस डिफेंस कमांड और यूएस नॉर्थर्न कमांड के मुताबिक, इन जहाजों में रिसर्च पर केंद्रित कई आइसब्रेकर भी शामिल हैं. यह संख्या अमेरिकी कोस्ट गार्ड के पूरे आर्कटिक बेड़े से ढाई गुना ज्यादा है.
अमेरिका के पास फिलहाल सिर्फ दो ऑपरेशनल आइसब्रेकर हैं. इनमें एक हैवी पोलर स्टार है और दूसरी एक मीडियम हेली है.
अमेरिकी एजेंसियों के मुताबिक- “अभी तो ये जहाज इंटरनेशनल वॉटर बॉर्डर में हैं और फिलहाल ‘होमलैंड डिफेंस’ खतरा नहीं माने जा रहे, लेकिन यूएस नॉर्थर्न कमांड का मानना है कि पिछले वर्षों की तुलना में यह संख्या ज्यादा है और संकेत दे रही कि खतरा बढ़ रहा है.
अलास्का के करीब अपना सामरिक महत्व बढ़ा रहा चीन
अमेरिकी एक्सपर्ट्स का मानना है, कि चीन का रिसर्च करना सिर्फ एक बहाना है. क्योंकि चीन समंदर में अपनी मौजूदगी दिखाकर अपना प्रभुत्व कायम करना चाहता है. चीन, अमेरिका के करीब जियोपॉलिटिकल इफेक्ट बढ़ाने की रणनीति पर काम कर रहा है.
साथ ही 2018 में चीन पोलर सिल्क रोड प्रोजेक्ट पेश कर चुका है. शंघाई से जर्मन पोर्ट तक का सफर नॉर्दर्न रूट से स्वेज नहर की तुलना में करीब 2,900 मील छोटा है. इससे चीन को सीधा आर्थिक फायदा मिलता है.
आर्कटिक में दिखने वाली हर चीनी जहाज की लोकेशन, रूट और एक्शन पर अमेरिका कड़ी नजर रख रहा है, क्योंकि अलास्का में ट्रंप-पुतिन की द्विपक्षीय वार्ता का काउंटडाउन शुरु हो चुका है. ऐसे में वहीं कुछ एक्सपर्ट्स का ये भी मानना है, कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन जब अमेरिकी रीजन अलास्का में होंगे तो उनका समर्थन दर्ज कराने के लिए रूस का करीबी चीन अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहा है.