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WhatsApp मैसेज पढ़ती है सीआईए, जुकरबर्ग का सनसनीखेज खुलासा

मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है, जिससे हर किसी की निजी गोपनीयता खतरे में पड़ गई है. मार्क जुकरबर्ग का दावा है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए किसी भी व्हाट्सअप मैसेज को पढ़ सकती है.

जुकरबर्ग का आरोप है कि “अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए किसी के भी व्हाट्सएप मैसेज तक पहुंच सकती है. सीआईए उन मैसेज को आसानी से पढ़ भी सकती हैं.” जबकि खुद व्हाट्सएप ये दावा करता है कि वो खुद किसी के मैसेज नहीं पढ़ सकता है. जुकरबर्ग, मेटा स्वामित्व वाले फेसबुक, व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम के मालिक हैं. 

सीआईए पढ़ सकती है किसी का भी व्हाट्सएप मैसेज: मार्क जुकरबर्ग 

मेटा कंपनी के सीईओ मार्क जुकरबर्ग के मुताबिक, “अगर सीआईए चाहे तो किसी के मैसेज पढ़ सकती है.” मार्क जुकरबर्ग ने बताया कि व्हाट्सएप के संदेश एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड होते हैं, यानि केवल मैसेज लिखने और पढ़ने वाला इसे पढ़ सकता है. लेकिन अगर अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को इसकी जरूरत महसूस होती है तो वो इन संदेशों तक पहुंच सकते हैं.”

जुकरबर्ग के मुताबिक, “पेगासस सॉफ्टवेयर समेत कई स्पाईवेयर एजेंसियों को डिवाइस के डेटा तक सीधे पहुंचने में सक्षम बना रहे हैं.” जुकरबर्ग ने बताया, “ऐसे स्पाईवेयर बिना एन्क्रिप्टेड मैसेज को पढ़ने, फोटो देखने और कॉल लॉग की निगरानी की अनुमति देते हैं.” 

जुकरबर्ग ने जिस पेगासस जैसे उपकरणों का उल्लेख किया है, उसे लेकर भारत में भी बहुत बवाल हो चुका है. पेगासस को इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप द्वारा विकसित किया गया है. ये स्पाईवेयर डेटा तक पहुँचने के लिए मोबाइल फोन पर सीक्रेट तौर से स्थापित किया जा सकता है.

पुतिन का इंटरव्यू करने वाले पत्रकार टकर कार्लसन ने लगाए थे आरोप

पिछले साल फरवरी में अमेरिकी पत्रकार और टीवी होस्ट टकर कार्लसन ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का इंटरव्यू करके तहलका मचा दिया था. कई वर्षों बाद ये पहला मौका था जब किसी पश्चिमी देश की मीडिया को पुतिन ने इंटरव्यू दिया हो. लेकिन उस वक्त टकर कार्लसन ने खुलासा किया था कि तीन साल की कोशिश के बाद पुतिन ने उन्हें इंटरव्यू दिया.

क्योंकि टकर कार्लसन जब पुतिन से बात करने की कोशिश कर रहे थे, तो एनएसए (अमेरिकी खुफिया एजेंसी) और सीआईए ने कार्लसन की जासूसी करके उनके मैसेज पढ़े, जिसके बाद क्रेमलिन (पुतिन का कार्यालय) ने इंटरव्यू देने से मना कर दिया था.

कार्लसन का दावा था कि एजेंसियों ने उनके संदेशों और ईमेल को टैप करके उन पर जासूसी की, और पहले ही उसे मीडिया को लीक कर दिया, जिससे मॉस्को उनसे बात करने से ‘डर गया’. 

कार्लसन का उदाहरण देते हुए मार्क जुकरबर्ग ने कहा, “कार्लसन द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला सिग्नल मैसेजिंग ऐप भी उसी एन्क्रिप्शन का उपयोग करता है, इसलिए समान नियम लागू होते हैं. हालांकि, उन्होंने कहा कि एन्क्रिप्शन कानून प्रवर्तन को डिवाइस पर संग्रहित संदेशों को देखने से नहीं रोकता है. स्पाईवेयर के जरिए एजेंसियां सीधे मैसेज देख सकती है. वो आपके फोन तक पहुँच प्राप्त कर लेते हैं. इसलिए इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कुछ एन्क्रिप्टेड है या नहीं, वे इसे सीधे देख सकते हैं.”

गायब होने वाले मैसेज से बढ़ेगी सुरक्षा: जुकरबर्ग

जुकरबर्ग ने कहा, “अगर किसी ने आपके फोन से छेड़छाड़ की है तो आपके फोन में चल रही हर चीज को वो देख सकते हैं, तो जाहिर है कि वे आने वाली चीजों को भी देख सकते हैं, इसलिए इसे एन्क्रिप्ट करके गायब करना, मुझे लगता है कि सुरक्षा और गोपनीयता का एक बहुत अच्छा मानक है.”

जुकरबर्ग के मुताबिक, “एन्क्रिप्शन वास्तव में अच्छा है क्योंकि एन्क्रिप्टेड मैसेज को कंपनी भी नहीं देख पाती है. इसलिए अगर आप व्हाट्सएप का उपयोग कर रहे हैं, तो ऐसा कोई बिंदु नहीं है जिस पर मेटा सर्वर उस संदेश की सामग्री देख सके. अगर कोई मेटा के डेटाबेस को भी हैक कर ले तो तो भी यूजर के पर्सनल टेक्स्ट तक नहीं पहुंच सकते. यही वजह है कि मेटा गायब होने वाले संदेशों के साथ आया, जहाँ कोई व्यक्ति एक निश्चित अवधि के बाद अपने संदेश थ्रेड को मिटा सकता है.”

जुकरबर्ग ने कहा, “यूजर्स की गोपनीयता बढ़ाने के लिए व्हाट्सएप कोशिश कर रहा है, जैसे की गायब होने वाले संदेश. ये सुविधा एक निर्धारित समय के बाद मैसेज को हटा देती है, जिससे डिवाइस कलेक्ट संवेदनशील डेटा कम हो जाते हैं.”

जुकरबर्ग के खुलासे से एक बात तो साफ है, कि किसी के भी पर्सनल डेटा में सेंध लगाई जा सकती है. गौरतलब है कि साल 2021 में एक एफबीआई दस्तावेज से भी पता चला था कि एजेंसियां क्लाउड बैकअप या डिवाइस एक्सेस जैसे तरीकों से व्हाट्सएप और आईमैसेज जैसे प्लेटफार्म से एन्क्रिप्टेड कम्युनिकेशन तक पहुंच प्राप्त कर सकती हैं. 

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