ऑपरेशन सिंदूर के दौरान शिकस्त पाए पाकिस्तान ने रची थी भारत के हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट को उड़ाने की खौफनाक साजिश. लेकिन भारतीय सेना के एक्शन के बाद हाईअलर्ट सीआईएसएफ के चौकस जवानों ने पाकिस्तान की नापाक साजिश को विफल कर दिया.
सीआईएसएफ ने अपने 19 जवानों को डीजी डिस्क से सम्मानित किया है, जिन्होंने उरी हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर पर हमले को नाकाम किया था. यह सम्मान सीआईएसएफ मुख्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान दिया गया है. जिस पावर प्लांट को पाकिस्तान ने निशाना बनाने की कोशिश की थी, वहां सीआईएसएफ की तैनाती है.
सीआईएसएफ का खुलासा, पाकिस्तान ने रची थी कश्मीर को अंधेरे में रखने की साजिश
मई के महीने में पाकिस्तान पर किए गए भारत के सैन्य ऑपरेशन को लेकर एक और खुलासा हुआ है. 06-07 मई की रात सैन्य ऑपरेशन के बाद जब भारतीय एयरस्ट्राइक में आतंकियों के 09 ठिकानों को तबाह कर दिया गया था. तो उसके बाद पाकिस्तान ने उरी के हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्लांट पर हमला किया था.
पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास स्थित उरी हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट पर ड्रोन अटैक करके नुकसान पहुंचाने की कोशिश की थी. लेकिन सीआईएसएफ के एक्शन के कारण न सिर्फ पावर प्लांट को नुकसान से बचाया गया बल्कि भारी गोलीबारी और ड्रोन अटैक के बीच स्थानीय लोगों को भी सीआईएसएफ के जवानों ने सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया था.
19 जवान सम्मानित, सीआईएसएफ ने बताई उस रात की पूरी कहानी
दिल्ली मुख्यालय पर उन 19 जवानों को डीजी डिस्क से सम्मानित किया गया है, जिन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए पावर प्लांट और स्थानीय लोगों को बचाया. अगर पाकिस्तान अपनी साजिश में सफल हो जाता को घाटी अंधेरे में डूब जाती.
सीआईएसएफ ने अपने बयान में बताया कि “06 मई 2025 की रात को भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर चलाते हुए एलओसी के आसपास छिपे आतंकियों को मौत के घाट उतारा था. इसके जवाब में पाकिस्तान ने अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी. उनका निशाना उरी पावर प्रोजेक्ट समेत आसपास के आम नागरिक थे. उरी पावर प्लांट एलओसी के काफी करीब है. ऐसे में एनएचपीसी में नियुक्त सीआईएसएफ की यूनिट ने बहादुरी का परिचय दिया.”
हथियारों के भंडार को शिफ्ट किया और एनएचपीसी स्टाफ को खतरे से सुरक्षित किया: सीआईएसएफ
सीआईएसएफ ने बताया कि “पाकिस्तान ने जब अटैक किया तो उस समय टीम का नेतृत्व कमांडर रवि यादव कर रहे थे. सीआईएसएफ के जवानों ने परियोजना को निशाना बनाते दुश्मन ड्रोन को मार गिराया और हथियारों के भंडार को सुरक्षित रखने के लिए उन्हें तुरंत दूसरी जगहों पर शिफ्ट किया. लगातार फायरिंग के बीच जवानों ने आवासीय क्षेत्रों में जाकर महिलाओं, बच्चों, एनएचपीसी स्टाफ और उनके परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया. यह पूरी प्रक्रिया गोलाबारी के बीच चलती रही.”
सीआईएसएफ ने बताया कि “यह प्रोजेक्ट एलओसी के बेहद करीब है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सरकार का खुफिया तंत्र काफी मजबूत था. सभी जवान पूरी तरह से मुस्तैद थे. उस रात सिर्फ 1 नहीं, बल्कि बड़ी संख्या में ड्रोन्स को हवा में मार गिराया गया था, जिससे हजारों लोगों की जान बच गई.”

