रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने साफ कहा है कि ‘दूसरे देश हमें अपनी बेस्ट टेक्नोलॉजी नहीं देते हैं.’ जो भी देश हमें रक्षा तकनीक देते हैं, वो ना तो ‘लेटेस्ट’ (नवीनतम) होती है और ना ही ‘पोटेंट’ यानी प्रभावशाली होती हैं.
हथियारों का आयात करने वाले देशों की सूची में भारत अभी भी दुनिया में टॉप पर है. ऐसे में रक्षा मंत्री का ये बयान कि दूसरे देशों से मिलने वाली हथियारों की तकनीक सर्वश्रेष्ट नहीं होती है, बेहद अहम है. रक्षा मंत्री का ये बयान ऐसे समय में आया है जब इसी हफ्ते भारतीय नौसेना अमेरिका से खरीदे एमएच-60आर (सीहॉक) हेलीकॉप्टर को अपने जंगी बेड़े में शामिल करने जा रही है. इसके साथ ही अमेरिका से 31 एमक्यू-9बी स्काई-गार्जियन ड्रोन लेने की तैयारी भी भारत कर रहा है.
ग्लोबल थिंकटैंक, स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में हथियारों के आयात के मामले में 11 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ भारत पहले नंबर पर है (2018-2022). रफाल और सुखोई लड़ाकू विमानों से लेकर चिनूक-अपाचे हेलीकॉप्टर तक और एस-400 मिसाइल सिस्टम से एम-777 गन तक भारत आज आयात करता है या फिर लाईसेंस के आधार पर भारत में निर्माण करता है.
सोमवार को राजनाथ सिंह राजधानी दिल्ली में ‘डेफकनेक्ट 2024’ सम्मेलन के दौरान सेना के टॉप कमांडर्स, रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों और प्राईवेट डिफेंस इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान रक्षा मंत्री ने अदिति योजना का शुभारंभ किया जिसके तहत स्टार्ट-अप, रक्षा प्रौद्योगिकी में अपने अनुसंधान, विकास और नवाचार प्रयासों के लिए रक्षा मंत्रालय से 25 करोड़ रुपये तक का अनुदान प्राप्त करने के पात्र हैं.
राजनाथ सिंह ने कहा कि “टेक्नोलॉजी महारत हासिल करने के लिए मुख्यत दो तरीके होते हैं. पहला तरीका तो यह है, कि हम दूसरे देशों से उस तकनीक को ग्रहण करें, या फिर दूसरा तरीका यह हो सकता है कि हम उस टेक्नोलॉजी को खुद ही डेवलप करें. लेकिन, उन्होंने कहा कि दूसरे देशों से तकनीक लेने में काफी समस्याएं आती हैं. क्योंकि, ये ठीक उसी प्रकार से है जैसे किसी किताब को पढ़ना. किताब पढ़ने वाले व्यक्ति को कभी भी किताब के लेखक के बराबर ज्ञान प्राप्त नहीं हो सकता.”
रक्षा मंत्री ने कहा “दूसरे देश तकनीक देने के दौरान अपनी बेस्ट टेक्नोलॉजी नहीं ट्रांसफर करते हैं. ऐसे में ना तो लेटेस्ट तकनीक मिल पाती है और ना ही प्रभावशाली.”
राजनाथ सिंह ने कहा कि अतीत में ऐसा भारत के साथ हुआ भी है जब भारत किसी मुश्किल घड़ी में पड़ा है, तो हथियारों के लिए आयात पर निर्भर रहने के कारण हमें मुसीबत का सामना करना पड़ा है. इसलिए सरकार में आने के साथ ही, हमने इस बात पर जोर दिया, कि एक राष्ट्र के तौर पर हम आयुध-आयात पर निर्भर नहीं रह सकते.
रक्षा मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) के नेतृत्व में, 2014 में जब हमारी सरकार आई, तो हमने यह देखा, कि भारत के रक्षा उपकरणों का एक बड़ा हिस्सा आयात किया जाता है. भारत जैसा विशाल देश, किसी भी महत्वपूर्ण सेक्टर में इम्पोर्ट पर पूरी तरह से निर्भर नहीं रह सकता है. “यदि हम सैन्य उपकरण और हथियारों का सिर्फ आयात करेंगे, तो यह डिफेंस सेक्टर में हमें दूसरे देशों पर आश्रित बनाएगा. यह निर्भरता हमारी स्ट्रेटेजिक ऑटोनोमी के लिए घातक हो सकती है.” रक्षा मंत्री ने कहा कि बिना आत्मनिर्भरता के हम वैश्विक मुद्दों पर, अपने राष्ट्रीय हित के अनुसार स्वतंत्र पोजिशन नहीं ले सकते हैं.
रक्षा मंत्री ने कहा कि “इसलिए हम सामरिक स्वायत्तता तभी बरकरार रख पाएंगे, जब हथियार और दूसरे सैन्य साजो सामान खुद हमारे ही देश में, हमारे ही लोगों के हाथों बनाए जाएं. हमने इस ओर काम किया, और हमें इसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिले हैं.” वर्ष 2014 के आसपास जहां भारत का घरेलू रक्षा उत्पादन लगभग 44 हजार करोड़ रूपये था, वहीं आज ये एक लाख करोड़ रुपए के रिकॉर्ड आंकड़े को पार कर चुका है, और यह लगातार आगे बढ़ रहा है.
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