रक्षा मंत्रालय ने थलसेना और नौसेना के लिए 79 हजार करोड़ के हथियारों और दूसरे सैन्य उपकरण के खरीद की मंजूरी दी है. इस खरीद में भारतीय सेना( थलसेना) के लिए 2408 एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (एटीजीएम) सिस्टम ‘नाग’ भी शामिल है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार इतनी बड़ी खरीद को एक साथ मंजूरी दी गई है.
शुक्रवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने राजधानी दिल्ली स्थित साउथ ब्लॉक (रक्षा मंत्रालय मुख्यालय) में एक बैठक के दौरान लगभग 79,000 करोड़ रुपये की कुल राशि के विभिन्न सैन्य सेवाओं के प्रस्तावों को मंजूरी दी. इस बैठक में सेना के तीनों अंग (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) के प्रमुखों सहित रक्षा सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, डीएसी बैठक में भारतीय सेना के लिए, नाग मिसाइल सिस्टम (ट्रैक्ड) एमके-II (नाग मिसाइल कैरियर यानी एनएएमआईएस) की खरीद को मंजूरी दी गई. रक्षा मंत्रालय ने हालांकि, ये साफ नहीं किया गया कि कितने नाग सिस्टम खरीदे जाएंगे, लेकिन जानकारी के मुताबिक, ये संख्या 2408 है.
दुश्मन के टैंक और बंकरों को तबाह करने के लिए बनाई गई नाग मिसाइल को एक ट्रैक्ड व्हीकल पर लगा दिया गया है. ऐसे में एटीजीएम के साथ ट्रैक्ड व्हीकल भी खरीदी जाएंगी. डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) द्वारा तैयार की गई नाग मिसाइल की रेंज करीब 10 किलोमीटर है. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, “एनएएमआईएस (ट्रैक्ड) की खरीद से भारतीय सेना की दुश्मन के लड़ाकू वाहनों, बंकरों और अन्य क्षेत्रीय किलेबंदी को निष्क्रिय करने की क्षमता बढ़ेगी.”
नाग मिसाइल सिस्टम के अलावा रक्षा मंत्रालय ने थलसेना के लिए ग्राउंड बेस्ड मोबाइल ईएलआईएनटी सिस्टम (जीबीएमईएस) और मटेरियल हैंडलिंग क्रेन सहित हाई मोबिलिटी व्हीकल्स (एचएमवी) की खरीद हेतु भी आवश्यकता स्वीकृति (एओएन) प्रदान की गई है. जीबीएमईएस, दुश्मन के उत्सर्जकों की चौबीसों घंटे इलेक्ट्रॉनिक खुफिया जानकारी प्रदान करेगा. एचएमवी के शामिल होने से विविध भौगोलिक क्षेत्रों में सेनाओं को रसद सहायता में उल्लेखनीय सुधार होगा.
रक्षा खरीद परिषद ने भारतीय नौसेना के लिए, लैंडिंग प्लेटफ़ॉर्म डॉक्स (एलपीडी), 30 मिमी नेवल सरफेस गन (एनएसजी), एडवांस्ड लाइट वेट टॉरपीडो (एएलडब्ल्यूटी), इलेक्ट्रो ऑप्टिकल इन्फ्रारेड सर्च एंड ट्रैक सिस्टम और 76 मिमी सुपर रैपिड गन माउंट के लिए स्मार्ट गोला-बारूद की खरीद के लिए एओएन प्रदान किया है.
एलपीडी की खरीद से भारतीय नौसेना को भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना के साथ जल-थलचर अभियानों को अंजाम देने में मदद मिलेगी. एलपीडी द्वारा प्रदान की गई एकीकृत समुद्री क्षमता भारतीय नौसेना को शांति अभियानों, मानवीय सहायता और आपदा राहत आदि में भी मदद करेगी.
डीआरडीओ की नौसेना विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित एएलडब्ल्यूटी का आगमन पारंपरिक, परमाणु और छोटी पनडुब्बियों को निशाना बनाने में सक्षम है. 30 मिमी एनएसजी की खरीद से भारतीय नौसेना और भारतीय तटरक्षक बल की कम तीव्रता वाले समुद्री अभियानों और समुद्री डकैती विरोधी भूमिकाओं को निभाने की क्षमता में वृद्धि होगी.
डीएसी ने भारतीय वायु सेना के लिए, सहयोगी लंबी दूरी की लक्ष्य संतृप्ति-विनाश प्रणाली (सीएलआरटीएस-डीएस) और अन्य प्रस्तावों के लिए एओएन प्रदान किया है. सीएलआरटीएस-डीएस, एक तरह के कॉम्बैट ड्रोन हैं जो मिशन क्षेत्र में स्वचालित टेक-ऑफ, लैंडिंग, नेविगेशन, पता लगाने और पेलोड पहुंचाने की क्षमता रखते हैं.