पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर भले ही चीन के साथ संबंधों में स्थिरता आ रही है लेकिन भारतीय सेना किसी भी तरह से अपने ‘गार्ड्स डाउन’ नहीं करने जा रही है. ऐसे में पूर्वी लद्दाख में अब बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती 12 महीने रहने जा रही है. बेहद सर्द, सुपर हाई ऑल्टिट्यूड इलाके में हालांकि, सैनिकों के बैरक एक बड़ी समस्या है. ऐसे में राजधानी दिल्ली के एक स्टार्टअप ने 14 हजार फीट से ऊंचाई वाले इलाकों में सेना के लिए खास ‘पीक-पॉड्स’ बनाने का दावा किया है.
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) 14 हजार से 18 हजार फीट की ऊंचाई से होकर गुजरती है. इतनी ऊंचाई में सैनिकों के रहने की व्यवस्था सेना के सामने एक बड़ी चुनौती है. क्योंकि यहां पर अगर सर्दियों के मौसम में बर्फ होती है तो तापमान माइनस (-) 40 डिग्री तक पहुंच जाता है. यहां की बेहद सर्द हवाएं, सैनिकों की तैनाती को अधिक चुनौतीपूर्ण बना देते हैं.
इन ऑपरेशन्ल बाधाओं को दूर करने के लिए ही भारतीय सेना इसी महीने की 20 तारीख को लेह-लद्दाख में दो-दिवसीय ‘हिम-टेक’ (20-21 सितंबर) नाम की प्रदर्शनी आयोजित करने जा रही है. हिम-टेक में स्वदेशी कंपनियां भारतीय सेना को लद्दाख के सुपर हाई ऑल्टिट्यूड क्षेत्र के लिए सैन्य-अनुसंधान से प्रेरित टेक्नोलॉजी को प्रदर्शित करने जा रही है. (https://x.com/finalassault23/status/1831362409409499138?s=46)
‘डीटेक-360′ नाम के जिस स्टार्टअप ने सेना के लिए पीक-पॉड्स’ बनाने का दावा किया है, वो भी मिलिट्री-टेक्नोलॉजी से प्रेरित ‘हैबिटेट’ यानी मॉड्यूलर शेल्टर को प्रदर्शित करने वाली है. कंपनी का दावा है कि पीक-पॉड्स शेल्टर के भीतर तापमान हमेशा 15 डिग्री रहता है और 190 किलोमीटर प्रति घंटी की स्पीड से चलने वाली हवाओं को बर्दाश्त करने की क्षमता है. ऐसे में अगर बाहर का तापमान माइनस (-) 40 भी हो जाए तो अंदर कोई असर नहीं पड़ता है.
पीक-पॉड्स की संरचना कुछ इस तरह की गई है कि उस पर बर्फ का जमाव नहीं होता है. ऐसे में सियाचिन, नॉर्थ सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से सटी एलएसी पर सैनिक इसमें आसानी से रह सकते हैं.
डीटेक के एमडी विनय मित्तल के मुताबिक, “पीक-पॉड्स ग्रीन संरचनाएं हैं और सोलर एनर्जी यानी सौर ऊर्जा से चलते हैं. ऐसे में पर्यावरण पर न्यूनतम प्रभाव डालती है और जीरो एमिशन (शून्य उत्सर्जन) करते हैं.”
पीक-पॉड्स के भीतर सोफा-कम-बेड सहित सामान और खाद्य सामग्री के लिए अलग-अलग स्टोरेज है. गर्म पानी की टंकी उपलब्ध है तो बायो-टॉयलेट भी इसके साथ उपलब्ध है.
डीटेक के मुताबिक, पीक पॉड्स के लेह और दुरबुक (11-12 हजार फीट) पर परीक्षण पूरे हो चुके हैं और फिलहाल 16-17 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित दौलत बेग ओल्डी (डीबीओ) में ट्रायल चल रहे हैं.