मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगने के साथ ही भारतीय सेना भी अलर्ट पर है. म्यांमार बॉर्डर से सटे मणिपुर के संवेदनशील इलाकों का खुद सेना के डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने दौरा किया है. इस दौरान डीजीएमओ ने भारत-म्यांमार बॉर्डर (आईएमबी) पर सुरक्षा की समीक्षा के साथ ही राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मुलाकात की.
भारतीय सेना के मुताबिक, म्यांमार सीमा पर मौजूदा स्थिति की व्यापक समीक्षा और मणिपुर में बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास की स्थिति की जानकारी हासिल करने के लिए डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन्स (डीजीएमओ) ने दो दिवसीय (24-25 फरवरी) दौरा किया.
म्यांमार बॉर्डर पर लगेगी कटीली तार
पिछले 20 महीने से मणिपुर जातीय हिंसा की आग से जूझ रहा है. इस संकट का म्यांमार से ऑपरेट करने वाले उग्रवादी संगठन भी फायदा उठाने की फिराक में हैं. ऐसे में भारत ने पूरी म्यांमार सीमा पर पाकिस्तान और बांग्लादेश बॉर्डर की तर्ज पर तारबंदी (कटीली तार) लगाने का फैसला किया है.
तारबंदी से भारत और म्यांमार के बीच खुली आवाजाही पर काफी हद तक रोक लगाई जा सकती है. दोनों देशों के बीच फिलहाल पोरस बॉर्डर है और उग्रवादी मणिपुर और दूसरे राज्यों में हमला करने के बाद म्यांमार में आसानी से भाग खड़े होते हैं.
म्यांमार सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी, असम राइफल्स के कंधों पर हैं. लेकिन लंबे समय तक राज्य में आफस्पा (आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर्स एक्ट) लागू होने के कारण, भारतीय सेना की भी मजबूत तैनाती है.
राज्यपाल से की डीजीएमओ ने मुलाकात
अपनी यात्रा के दौरान लेफ्टिनेंट जनरल घई ने मणिपुर के माननीय राज्यपाल श्री अजय कुमार भल्ला, राज्य सुरक्षा सलाहकार, मणिपुर के मुख्य सचिव और मणिपुर के पुलिस महानिदेशक से भी मुलाकात की.
सेना के मुताबिक, मणिपुर दौरे के दौरान, डीजीएमओ ने भारतीय सेना की ऑपरेशन्ल संबंधी तैयारियों पर ध्यान केंद्रित किया, भारत-म्यांमार सीमा (आईएमबी) पर सुरक्षा स्थिति और सीमांत क्षेत्रों सहित राज्य में मौजूद सुरक्षा संबंधी क्रियाकलापों का आकलन किया. उन्होंने प्रमुख हितधारकों के साथ बातचीत के दौरान ‘सरकार के समग्र दृष्टिकोण’ पर भी जोर दिया. यह विचार-विमर्श, राज्य में मौजूद सुरक्षा स्थिति को सामान्य बनाने, विशेष रूप से सीमा प्रबंधन को बढ़ाने और आईएमबी पर सुरक्षा संबंधी इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की आवश्यकता पर केंद्रित था.
लेफ्टिनेंट जनरल घई की यात्रा ने मणिपुर में स्थिरता और लोगों के कल्याण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से रणनीतिक पहलों को लागू करने के लिए सिविल और मिलिट्री अधिकारियों के बीच सहयोगात्मक दृष्टिकोण पर बल दिया.