यूएनजीए की बैठक से पहले 1 लाख से ज्यादा सिम और 300 से ज्यादा सर्वर्स मिलने से सनसनी फैली ही हुई थी कि 04 वर्ल्ड लीडर्स ने जब भी फिलिस्तीन का नाम लिया, तो बंद हो गया माइक. फिलिस्तीन के समर्थन में जब-जब किसी नेता ने आवाज उठाई, उनका माइक ऑफ हो गया. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या ये तकनीकि गड़बड़ थी, या इसके पीछे इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद का हाथ है.
वर्ल्ड लीडर्स ने जैसे ही की फिलिस्तीन की तारीफ, बंद हो गया माइक
यूएनजीए में अभी फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के काफिले के रोके जाने की चर्चा ही थी, कि संयुक्त राष्ट्र महासभा की स्पीच के दौरान एक दो नहीं बल्कि चार-चार राष्ट्राध्यक्षों का माइक बंद हो गया.
इंडोनेशिया, तुर्किए, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्राध्यक्ष चौंक गए. हैरान करने वाली बात ये थी, जब-जब इन राष्ट्राध्यक्षों ने फिलिस्तीन के समर्थन में बोलने की कोशिश की तभी उनका माइक बंद हो गया. शुरुआत में तो लगा कि ये तकनीकि खराबी थी, लेकिन आशंका जताई जा रही है कि इसके पीछे खुफिया एजेंसी मोसाद का हाथ था.
किन-किन देशों के मुखिया की स्पीच में फिलिस्तीन पर बोलते ही बंद हुआ माइक
इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जब गाजा में शांति सेना तैनात करने की बात कर रहे थे तो उनका माइक ऑफ हो गया.
कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने जब फिलिस्तीन और दो-राष्ट्र समाधान पर बात की तो शुरुआत आवाज आती रही, लेकिन जैसे ही उन्होंने कहा कि फिलिस्तीन को मान्यता देनी चाहिए तभी माइक बंद हो गया.
तुर्किए के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोगन ने जब हमास को आतंकी न मानने और फिलिस्तीन के समर्थन की बात की तभी माइक में आवाज नहीं आई.
यही हाल दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा के साथ भी हुआ. रामाफोसा ने जैसे ही फिलिस्तीन का मुद्दा उठाया, माइक ऑफ हो गया.
यूएन ने बताया तकनीकि समस्या, लेकिन क्यों उठ रही है मोसाद पर उंगली
इस घटना के बाद संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि माइक बंद होना एक तकनीकि समस्या थी, जिसे सही कर लिया गया है. लेकिन सवाल है कि इतना बड़ा आयोजन, जहां 200 देशों के प्रतिनिधि, राष्ट्राध्यक्ष, मंत्री, राजनयिक पहुंचे हैं, वहां पर ऐसी तकनीकि गड़बड़ी होना सामान्य नहीं लगता है.
लेकिन पैटर्न पर गौर किया जाए तो इन नेताओं का माइक उसी वक्त बंद हुआ जब वो फिलिस्तीन के पक्ष में बोल रहे थे. इसे संयोग नहीं माना जा रहा है. कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसके पीछे इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद हो सकती है, क्योंकि वैश्विक मंच पर इजरायल कम से कम फिलिस्तीन के बारे में बात करते देखना चाहता है.
इस आयोजन से पहले अमेरिकी सीक्रेट सर्विस ने तकरीबन 300 सर्वर्स और 1 लाख सिम कार्ड नष्ट किए थे. जिन्हें किसी खास लक्ष्य से यूएन मुख्यालय से सिर्फ 35 किलोमीटर दूर रखा गया था. एजेंसी ने इस ओर इशारा किया कि इसके पीछे कोई बड़ी जासूसी साजिश थी, जो वित्तपोषित था. हालांकि अमेरिका ने ये खुलासा नहीं किया है कि इसके पीछे था कौन.