मिडिल-ईस्ट में चल रही जंग के बीच डीआरडीओ ने ‘अडानी डिफेंस’ के साथ मिलकर चौथी श्रेणी के वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम (वीएसएचओआरएडीएस) यानी ‘वीशॉर्डास’ का सफल परीक्षण किया है.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, पोखरण फायरिंग रेंज में वीशॉर्डास के तीन सफल परीक्षण किए गए हैं. इन टेस्ट को तेज गति से आते टारगेट पर आजमाया गया ताकि बेहद ऊंचाई पर अधिकतम दूरी पर इंटरसेप्ट किया जा सके. परीक्षण के दौरान हिट-टू-किल क्षमता को परखा गया.
वीशॉर्डास एक मैन-पोर्टबैल एयर डिफेंस सिस्टम है जिसे आसमान में ही दुश्मन के ड्रोन, मिसाइल और दूसरे एरियल टारगेट के खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है. स्वदेशी वीशॉर्डास की रेंज 250 मीटर से छह (06) किलोमीटर तक है.
हाल के दिनों में मिडिल-ईस्ट में जिस तरह इजरायल के खिलाफ 200 मिसाइलों से हमला किया गया, उससे आने वाले समय में एयर-डिफेंस का महत्व काफी बढ़ गया है. ऐसे में दुश्मन के रॉकेट, मिसाइल और कॉम्बैट ड्रोन से निपटने के लिए लॉन्ग रेंज से लेकर मीडियम रेंज और कम दूरी की एयर डिफेंस की सख्त आवश्यकता है. यही वजह है कि डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) ने ‘अडानी डिफेंस’ और एक अन्य डिफेंस प्रोडक्शन कम पार्टनर (‘आईकॉम’) के साथ मिलकर देश में ही वीशॉर्डास को तैयार किया है. (https://x.com/DRDO_India/status/1842488065132208473)
अभी तक भारत की सेना के तीनों अंग यानी थलसेना, वायुसेना और नौसेना, सैनिक के कंधे से वार करने वाली रूसी मिसाइल सिस्टम इग्ला का इस्तेमाल करती हैं. लेकिन वीशॉर्डास के निर्माण से सैनिक को मिसाइल को अपने कंधे से दागने की जरुरत नहीं पड़ेगी. ये मिसाइल के छोटे से प्लेटफार्म (ट्राइपॉड) से लॉन्च की जाती है जिसे आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है. (https://youtu.be/cfHtiLYxjhg?si=IhMreKiZP410RAIq)
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इस हफ्ते हुए परीक्षण के बाद वीशॉर्डास पूरी तरह बनकर तैयार हैं और सेना के तीनों अंग इसे अपने जखीरे में शामिल कर सकते हैं.
भारतीय सेना को करीब 500 लॉन्चर और 3000 मिसाइलों की जरूरत है. जबकि वायुसेना और नौसेना को 300 लॉन्चर और 1800 मिसाइलों की जरूरत है.
रक्षा मंत्री ने मेक इन इंडिया के तहत देश में ही तैयार किए स्वदेशी वीशॉर्डास के निर्माण पर डीआरडीओ सहित प्राईवेट कंपनियों को भी बधाई दी है.