यूक्रेन द्वारा ब्लैक सी (काला सागर) में रुस के जंगी बेड़े को अंडरवाटर यूएवी के जरिए बुरी तरह नुकसान पहुंचाने के बाद भारत में भी इस तरह के समंदर के नीचे ओपरेट करने वाले अनमैन्ड एरियल व्हीकल बनाने की कवायद शुरु हो गई है. सरकारी रक्षा उपक्रम डीआरडीओ ने पुणे के एक स्टार्टअप, सागर डिफेंस इंजीनियरिंग को ‘अंडरवाटर लॉन्च्ड अनमैन्ड एरियल व्हीकल’ (यूएलयूएवी) तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी है. इस बाबत डीआरडीओ के ‘टेक्नोलॉजिकल डेवलपमेंट फंड’ (टीडीएफ) के जरिए सागर डिफेंस यूएलयूएवी का विकास करेगी.
जानकारी के मुताबिक, डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) ने एक टेंडर प्रक्रिया के जरिए देश की 17 कंपनियों में से सागर डिफेंस को यूएलयूएवी को विकसित करने के लिए चुना है. इसके लिए डीआरडीओ का टीडीएफ, सागर डिफेंस को फंडिंग कर रहा है. इसके लिए टीडीएफ और सागर डिफेंस के बीच एक करार भी हुआ है (https://x.com/SagarDefence/status/1800769801624879496).
इन यूएलयूएवी को सबमरीन से लॉन्च किया जाएगा. कंपनी का दावा है कि इस तरह से पनडुब्बी को बिना दुश्मन की नजर में आए यूएलयूएवी से एक लंबी दूरी तक समंदर में निगहबानी की जा सकेगी. दुश्मन की हरकतों का जैसे ही यूएलयूएवी के जरिए पता चलेगा, सबमरीन एक्टिव हो जाएगी और संभावित खतरों से निपट सकती है. ऐसे में सबमरीन को दुश्मन की नजरों से बचाया जा सकेगा.
दरअसल, दुनिया के चुनिंदा देश ही हैं जिनके पास अंडर-वाटर यूएवी बनाने की टेक्नोलॉजी है. हिंद महासागर में चीन की बढ़ती हरकतों को देखते हुए ऐसे यूएलयूएवी काफी कारगर साबित हो सकते हैं. मौजूदा रुस-यूक्रेन युद्ध में इस तरह के अंडरवाटर यूएवी का जबरदस्त तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है. यूक्रेन की नौसेना अपने इन बेहद ही छोटे अंडर-वाटर यूएवी से रुस की ब्लैक सी फ्लीट के जंगी जहाज और बंदरगाहों को बड़ा नुकसान पहुंचा रहे हैं. क्रीमिया के करीब ब्लैक सी में यूक्रेनी अंडरवाटर अनमैन्ड एरियल व्हीकल के ऑपरेशन के वीडियो भी इनदिनों सोशल मीडिया पर वायरल हैं.
डीआरडीओ और सागर डिफेंस के अलावा कुछ दूसरी स्वदेशी कंपनियां भी विदेशी ओईएम के साथ मिलकर इस तरह के अंडर-वाटर यूएवी पर इन दिनों काम कर रही हैं. जल्दी ही ये कंपनियां भारतीय नौसेना को अपना पावर-डेमो भी दिखा सकती हैं.