आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत हिंदुस्तान को जल्द मिलने वाला है दुश्मनों के टैंक को तबाह करने वाला हथियार. भारतीय सेना ने स्वदेशी ‘मैन पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल सिस्टम’ (एटीजीएम) यानी एमपीएटीजीएम का सफल परीक्षण कर लिया है. परीक्षण के दौरान मिसाइल का वारहेड परफॉर्मेंस एक दम अचूक रहा, जिसके बाद अब इसे सेना की आर्मरी में जल्द शामिल किया जा सकता है. इस मिसाइल में लॉन्चर, टारगेट डिवाइस और फायर कंट्रोल यूनिट शामिल है.डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (
डीआरडीओ) द्वारा बनाई गए स्वदेशी एमपीएटीजीएम पल भर में दुश्मनों के टैंक के परखच्चे उड़ा देगी. राजस्थान के पोखरण में 13 अप्रैल को मेक इन इंडिया के तहत मिसाइल सिस्टम का सफल परीक्षण किया गया. पोखरण के परीक्षण के दौरान एमपीएटीजीएम ने टारगेट पर सटीक निशाना लगाया. इसकी खास बात ये है कि मिसाइल सिस्टम को कहीं भी ले जाया जा सकता है. आने वाले समय में मिसाइल को मुख्य युद्धक टैंक में भी तैनात किया जाएगा.
डीआरडीओ के मुताबिक, इस स्वदेशी एंटी-टैंक मिसाइल में टैंडम हाई एक्सप्लोसिव एंटी-टैंक हथियार लगा है, जो अत्याधुनिक एक्सप्लोसिव रिएक्टिव आर्मर (ईआरए) कवच वाले बख्तरबंद वाहन को भी ध्वस्त कर सकता है. स्वदेशी मिसाइल के सारे ट्रायल्स पूरे हो चुके हैं. पहली बार डीआरडीओ ने भारतीय सेना के साथ मिलकर इस एमपीएटीजीएम का परीक्षण किया है. रुस-यूक्रेन युद्ध में टैंक और आर्मर्ड व्हीकल्स के इस्तेमाल करने से एटीजीएम की उपयोगिता काफी बढ़ गई है. वर्ष 2020 में पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी की झड़प के दौरान भी चीन ने लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर आर्मर्ड ब्रिगेड की तैनाती की थी. ऐसे में दुश्मन के टैंक के खिलाफ एटीजीएम एक बेहद ही घातक हथियार है.
स्वदेशी एंटी टैंक मिसाइल का वजन 14.50 किलो और लंबाई 4.3 फीट है. इसे दागने के लिए दो लोगों की जरूरत होती है. इसकी रेंज 200 मीटर से लेकर 2.50 किलोमीटर तक है. सेना में इसके शामिल होने के बाद फ्रांस में बनी मिलन-2टी और रूस में बनी कॉन्कर्स एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों के पुराने वर्जन को हटाया जाएगा.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने टैंक रोधी मिसाइल सिस्टम के सफल परीक्षण के लिए डीआरडीओ और भारतीय सेना को बधाई दी है. राजनाथ सिंह ने टैंक रोधी मिसाइल प्रणाली आत्म-निर्भरता हासिल करने की ओर महत्वपूर्ण कदम बताया है. रक्षा मंत्रालय ने टैंक रोधी मिसाइल प्रणाली के बारे में जानकारी देते हुए कहा है कि एमपीएटीजी हथियार प्रणाली का कई बार विभिन्न उड़ान परिस्थितियों में मूल्यांकन किया गया. डीआरडीओ अध्यक्ष समीर वी कामत ने भी परीक्षण से जुड़े लोगों को बधाई दी है.
इस टैंक रोधी मिसाइल सिस्टम दिन और रात दोनों वक्त इस्तेमाल किया जा सकता है. इसमें कोई शक नहीं कि ‘मैन पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल सिस्टम’ के सेना में शामिल होने के बाद ताकत और बढ़ जाएगी.
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