लाखों वर्ग किलोमीटर में फैले समंदर में सुरक्षा एजेंसियों की आंखों में धूल झोंककर ड्रग्स स्मगलिंग का इंटरनेशनल नेटवर्क फल-फूल रहा है. लेकिन इससे भारत की चुनौतियां काफी बढ़ गई हैं. क्योंकि ‘गोल्डन क्रिसेंट’ और ‘गोल्डन ट्रायंगल’ के भंवर-जाल में फंस गया है भारत. बावजूद इसके नौसेना और कोस्टगार्ड ड्रग्स के नेटवर्क को तोड़ने में जुटी हैं.
सोमवार को इंडियन कोस्टगार्ड ने म्यांमार की एक बोट से अंडमान निकोबार के करीब छह हजार किलो से भी ज्यादा की मेटाएम्फेटामाइन ड्रग्स को जब्त किया था. ये भारत में पकड़ी गई अब तक की सबसे बड़ी खेप में से एक मानी जा रही है.
इंडियन कोस्टगार्ड के मुताबिक, ‘सामरिक लोकेशन’ के चलते भारत, ड्रग्स की तस्करी का एक ‘ट्रांजिट और कंजम्पशन हब’ बन गया है. तटरक्षक बल के एक प्रवक्ता के मुताबिक, एक तरफ अफगानिस्तान, पाकिस्तान और ईरान का ‘गोल्डन क्रिसेंट’ है तो दूसरी तरफ है म्यांमार, लाओस और थाईलैंड का ‘गोल्डन ट्राइंगल’.
गोल्डन ट्रायंगल और गोल्डन क्रिसेंट, दोनों ही दुनिया के सबसे ज्यादा अफीम की खेती करने वाले क्षेत्र हैं. ऐसे में ‘ट्रांस-नेशनल क्राइम सिंडिकेट’ के जरिए प्रतिबंधित ड्रग्स को एक देश से दूसरे देश भेजा जाता है. इसके लिए लैंड और मेरीटाइम बॉर्डर के जरिए ड्रग्स की स्मगलिंग की जा रही है.
हाल के सालों में ड्रग-कार्टेल ने ग्राउंड एनफोर्समेंट एजेंसियों की सख्त निगरानी के चलते समुद्री मार्ग से तस्करी शुरू कर दी है. क्योंकि समंदर की निगहबानी एक बड़ी चुनौती होती है.
तटरक्षक बल के मुताबिक, स्मगर्लस सैटेलाइट कम्युनिकेशन और बिना रजिस्ट्रेशन वाली बोट्स के जरिए मेरीटाइम एजेंसियों को चकमा देने की कोशिश करती हैं.
सोमवार को म्यांमार की जिस बोट से छह टन (6000 किलो) ड्रग्स जब्त की गई थी उसमें एक सैटेलाइट फोन भी बरामद किया गया था. साथ ही छह तस्कर भी पकड़े गए थे.
कोस्टगार्ड के मुताबिक, “एक रूटीन सर्विलांस फ्लाइट के दौरान डोरनियर एयरक्राफ्ट ने म्यांमार की इस बोट को अंडमान निकोबार के बैरेंस द्वीप के करीब डिटेक्ट किया था.” ये इलाका भारत के एक्सक्लुजिव इकोनॉमिक जोन (ईईजेड) का हिस्सा है.
डोरनियर की सूचना पर कोस्टगार्ड ने खराब मौसम में श्रीविजय पुरम (पोर्ट ब्लेयर) से फास्ट पेट्रोल वेसल, आईसीजी अरुणा आसफ अली को मौके पर भेजा. जानकारी के मुताबिक, रातभर संदिग्ध बोट को सर्विलांस करने के बाद सोमवार सुबह 6.30 बजे इंटरसेप्ट किया गया. बोट की पहचान सोई वाई यन हटू के तौर पर हुई.
बोट की तलाश में पाया गया कि ड्रग्स को बोरियों में भरकर छिपाया गया था. इसके बाद आईसीजी अरुणा टो (खींच कर) बोट को श्रीविजय पुरम लाई गई. ड्रग्स के साथ तस्करों से 6.43 लाख क्याट (म्यांमार करेंसी) बरामद की गई.
तटरक्षक बल के अधिकारियों के मुताबिक, जब्त की गई छह टन ड्रग्स की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में हजारों करोड़ की है. (अंडमान में ड्रग्स की सबसे बड़ी खेप जब्त, म्यांमार से हो रही थी स्मगलिंग)
तटरक्षक बल ने अपनी स्थापना से लेकर अब तक कुल 12.86 टन ड्रग्स बरामद की है. इसमें से करीब आधी यानी छह टन से ज्यादा मंगलवार को ही बरामद की गई.
सितंबर 2019 में भी कोस्टगार्ड ने अंडमान निकोबार में एक म्यांमार के वैसल से 1160 किलो केटामाइन जब्त की थी, जिसकी कीमत करीब 300 करोड़ थी. इसके तीन महीने बाद ही दूसरी बोट से 371 किलो मेथाक्वालोन जब्त की थी जिसकी कीमत 185 करोड़ थी.
समुद्री-मार्ग से होने वाली स्मगलिंग पर लगाम कसने के लिए इंडियन कोस्टगार्ड ने समंदर के साथ-साथ आसमान से भी निगरानी शुरू कर दी है ताकि मेरीटाइम सिक्योरिटी को मजबूत किया जा सके.(चीन के Grey Warfare पर नकेल, ट्रंप की ये है तैयारी)