भारत से संबंध सुधारने की कवायद में जुटे चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की है. वांग यी ने पीएम मोगी को राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ओर से चीन आने का न्योता दिया. वांग यी से मुलाकात के दौरान पीएम मोदी ने कहा है कि वो शी जिनपिंग से मिलने के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.
वांग यी ने की पीएम मोदी से मुलाकात
चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके आधिकारिक आवास पर मुलाकात की. ये मुलाकात एससीओ की बैठक से पहले हुई है. वांग यी ने प्रधानमंत्री मोदी को शंघाई सहयोग संगठन (एसीओ) शिखर सम्मेलन के एजेंडे और चीन-भारत संबंधों में आई प्रगति के बारे में बताया. मंगलवार को ही एनएसए डोवल की तरफ से कंफर्म किया गया था कि एससीओ के सम्मेलन में हिस्सा लेने पीएम मोदी 31 अगस्त और 1 सितंबर के बीच चीन की यात्रा करेंगे.
वांग यी से बोले पीएम मोदी, शी से मिलने का इंतजार
बैठक के बारे में जानकारी देते हुए पीएम मोदी ने एक्स पर लिखा, “विदेश मंत्री वांग यी से मिलकर खुशी हुई. पिछले साल कजान में राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मेरी मुलाकात के बाद से, भारत-चीन संबंधों में एक-दूसरे के हितों और संवेदनशीलता के सम्मान के साथ निरंतर प्रगति हुई है. मैं शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के दौरान तियानजिन में होने वाली हमारी अगली मुलाकात का बेसब्री से इंतजार कर रहा हूं. भारत और चीन के बीच स्थिर, विश्वसनीय और रचनात्मक संबंध क्षेत्रीय और वैश्विक शांति एवं समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देंगे.”
चीन के साथ सुधर रहे संबंध, रूस के दौरे पर एस जयशंकर
अमेरिका ने हाल ही में भारत पर रूस से तेल खरीदने को लेकर 50 प्रतिशत टैरिफ थोपा है. लेकिन भारत की ओर से साफ कह दिया गया है कि भारत दबाव में नहीं झुकेगा, राष्ट्रहितों का ध्यान रखेगा. भारत के स्पष्ट रवैये के बाद अमेरिका भड़का हुआ है. ऐसे में अमेरिका को चीन के साथ भारत के सुधरते संबंध अखर रहे हैं. उल्टा रूस के साथ भी भारत की प्रगाढ़ता बढ़ती जा रही है,
ट्रंप के मनमाने टैरिफ के बाद एनएसए अजीत डोवल ने मॉस्को का दौरा किया, तो अब विदेश मंत्री एस जयशंकर रूस पहुंचे हैं. वहीं पिछले 10 दिनों में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पीएम मोदी से दो बार बात की है. यानी भारत अमेरिका के जवाब में अपनी रणनीति तैयार कर रहा है.
एससीओ में रूसी राष्ट्रपति पुतिन के भी जाने की संभावना है. ऐसे में पुतिन-मोदी-जिनपिंग, रूस-भारत-चीन के त्रिपक्षीय मंच की घोषणा कर सकते हैं, जिसे अमेरिका के सामने सबसे बड़ा जवाब माना जाएगा.