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Europe पर आक्रमण नहीं करेगा रुस: पुतिन

रुस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने साफ कर दिया है कि यूरोप के खिलाफ युद्ध करने के लिए न तो उनके पास कोई कारण है और ना ही कोई दिलचस्पी. ऐसे में अमेरिका को नाटो देशों को रुस के नाम पर डराना छोड़ देना चाहिए. 

पुतिन के मुताबिक, “रुस को नाटो देशों के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए कोई जियो-पॉलिटिकल, आर्थिक, राजनीतिक और सैन्य कारण भी नहीं है और ना ही कोई दिलचस्पी है.” रुस के राष्ट्रपति के मुताबिक, “हमारा नाटो देशों (यूरोप) के साथ कोई सीमा विवाद नहीं है और ना ही हम अपने संबंध उनसे खराब करना चाहते हैं. पुतिन ने कहा कि हम नाटो देशों से संबंध बढ़ाने के पक्ष में हैं.” 

रुस के राष्ट्रपति मंगलवार को अपने देश के रक्षा मंत्रालय की बोर्ड मीटिंग को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान रुस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु भी उनके साथ मीटिंग में मौजूद थे. पुतिन ने कहा कि बीता साल (2023) बेहद ‘तनावपूर्ण’ था. उन्होनें कहा कि “पश्चिमी देशों का रुस के खिलाफ हाइब्रिड युद्ध जारी है.” इससे यूक्रेन को रियल-टाइम इंटेलिजेंस मिल रही है, आधुनिक हथियार मिल रहे हैं, क्लस्टर-म्यूनिशन, रॉकेट, मिसाइल और ड्रोन मिल रहे हैं. पश्चिमी देशों के मिलिट्री एडवाइजर कीव (यूक्रेन की राजधानी) पहुंच रहे हैं. पश्चिमी देश यूक्रेन को एफ-16 फाइटर जेट देने की तैयारी कर रहे हैं और यूक्रेनी पायलट्स को ट्रेनिंग मिल रही है. 

पुतिन ने कहा कि अमेरिका के नेतृत्व में “पश्चिमी देश रुस को डराना चाहते हैं. लेकिन हम यूक्रेन में अपना लक्ष्य पूरा करके रहेंगे.” पुतिन ने कहा कि रशिया को नाटो की जरूरत नहीं पड़ेगी. उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन “नाटो देशों को ये कहकर डराते रहते हैं कि अगर रुस की यूक्रेन में जीत हुई तो उनका (रुस) अगला निशाना यूरोप होगा.” जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है. फिनलैंड का उदाहरण देते हुए पुतिन ने कहा कि हाल ही में पड़ोसी देश नाटो में शामिल हुआ है लेकिन हमारा उनसे कोई विवाद नहीं है. हमारा सीमा विवाद फिनलैंड से बहुत पहले से सुलझाया जा चुका है.

पुतिन ने अपने मिलिट्री कमांडर्स की मौजदूगी में यूक्रेन के खिलाफ जंग (स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन) छेड़ने का कारण भी बताया. पुतिन के मुताबिक, “पश्चिमी देश कानूनी तौर से अपना लक्ष्य पूरा नहीं कर पाए इसलिए उन्होंने यूक्रेन में तख्ता पलट दिया.” पुतिन ने कहा कि हम यूक्रेन के इलाकों को कुछ शर्तों के साथ वापस देने के लिए तैयार थे ताकि रूसी मूल के लोगों की जान खतरे में ना पड़े. लेकिन अमेरिका ने जानबूझकर रुस और यूरोप के बीच विवाद पैदा करा दिया. ऐसे में मास्को के पास (युद्ध के सिवाय) कोई दूसरा विकल्प नहीं था. उन्होंने कहा कि “अगले 10-15 सालों में भी यूक्रेन को नाटो गठबंधन में शामिल होना रुस नहीं स्वीकार करेगा.” 

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