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राजनीति के ‘विमान’ में सवार पूर्व IAF Chief भदौरिया

देश के लिए राफेल (रफाल) फाइटर जेट लाने वाले पूर्व वायु सेनाध्यक्ष आर के एस भदौरिया (2019-2021) अब राजनीतिक विमान में सवार हो गए हैं. चुनावी समर में एयर चीफ मार्शल भदौरिया (रिटायर) ने रविवार को बीजेपी में शामिल होकर हर किसी को चौंका दिया. 

एसीएम भदौरिया के कार्यकाल में ही फ्रांस से 36 राफेल जेट की खरीद पर मुहर लगाई गई थी. राफेल सौदे के लिए भारत और फ्रांस की कोस्ट नेगोशिएशन कमेटी (सीएनसी) के प्रमुख के तौर पर उनकी अहम भूमिका रही थी. आर के एस भदौरिया के कार्यकाल में ही राफेल पर विवाद हुआ था. आर के एस भदौरिया ही वो वायुसेनाध्यक्ष थे जिन्होंने देश को राफेल की क्षमता और जरूरत के बारे में बताया था. खुद फ्रांस के मोंट द मारसन एयर बेस पर राफेल में उड़ान भरी थी. आर के एस भदौरिया के योगदान के लिए ही पहले राफेल की ‘टेल’ पर उनके नाम के दो शुरुआती अक्षरों ‘आरबी 001’  लिखा गया था.

‘सेना बन रही आत्मनिर्भर, दुश्मन कांप रहे थर-थर’
केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भदौरिया को बीजेपी में शामिल करवाया. बीजेपी में आने के बाद भदौरिया ने कहा कि हमारी सशस्त्र सेनाओं को सशक्त, आधुनिक और आत्मनिर्भर बनाने के लिए मोदी सरकार ने अहम कदम उठाए हैं. पूर्व वायुसेना प्रमुख ने कहा कि मोदी सरकार ने सेना (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) में नई क्षमता और आत्मविश्वास जगाया है. देश की सुरक्षा के नजरिए से सरकार के जरिए उठाए जा रहे कदम बेहद अहम हैं और भारत को वैश्विक स्तर पर नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे. भदौरिया ने कहा मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि “मैं एक बार फिर राष्ट्र निर्माण में योगदान देने का अवसर देने के लिए तैयार हूं. मैंने चार दशकों से भारतीय वायुसेना की सेवा की, लेकिन मेरी सेवा का सबसे अच्छा समय बीजेपी सरकार के नेतृत्व में पिछले आठ (08) साल बीता.”

आर के एस भदौरिया साल 2021 में रिटायर हुए थे. जिसके बाद भारतीय एयरफोर्स की कमान एयर चीफ मार्शल विवेक राम चौधरी ने संभाली. अपने कार्यकाल के दौरान उप वायुसेनाध्यक्ष रहते हुए फ्रांस से 36 राफेल जेट खरीदने के लिए बातचीत करने वाली टीम का नेतृत्व किया था. आर के एस भदौरिया को कई तरह के लड़ाकू विमान उड़ाने के एक्सपर्ट माने जाते हैं. 

भदौरिया ने स्वदेशी तेजस लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) प्रोग्राम में भी अहम भूमिका निभाई थी. तेजस एलसीए परियोजना पर मुख्य परीक्षण पायलट भी रहे चुके हैं. साल 2021 में भदौरिया ने सिंगल-सीटर लाइट लड़ाकू विमान (एलसीए) एमके 1 एफओसी तेजस लड़ाकू विमान उड़ाकर दंग कर दिया था. यहां तक की मिग-21 के लगातार हो रहे क्रैश के दौरान उन्होंने खुद इस विमान में उड़ान भरकर युवा पायलट को साबित किया कि ये एक सुरक्षित और बेहद ही बेहतरीन लड़ाकू विमान है.

गलवान घाटी (2020) में चीन से तनातनी के दौरान भदौरिया ने साफ कह दिया था कि वायुसेना किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है. यानी वायुसेना को चीन से आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार कर रखा था. साथ ही अमेरिका जैसे देशों की तरफ इशारा करते हुए उस दौरान भदौरिया ने साफ कह दिया था कि भारत को “अपनी जंग खुद लड़नी होगी”, कोई दूसरा देश नहीं आएगा. उनके इन बयानों ने देश-दुनिया में भारतीय वायुसेना की धाक जमाने में अहम भूमिका निभाई थी. रिटायरमेंट के बाद भदौरिया यूपी डिफेंस कॉरिडोर में अपनी सेवाएं दे रहे थे. 

ये पहली बार नहीं है कि किसी पूर्व सेना प्रमुख ने राजनीति में कदम रखा है. उनसे पहले पूर्व थलसेना प्रमुख जनरल वी के सिंह (मौजूदा केंद्र सरकार में राज्य मंत्री) और जनरल जे जे सिंह भी राजनीति में हाथ आजमा चुके हैं. 70 के दशक में देश के पहले कमांडिंग इन चीफ (थलसेना प्रमुख) जनरल (बाद में फील्ड मार्शल) के एम करियप्पा ने भी चुनाव लड़ा था. 

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