समुद्री-तटों के करीब दुश्मन की पनडुब्बियों के लिए काल साबित होने वाले आईएनएस अर्नाला युद्धपोत को भारतीय नौसेना जल्द अपने जंगी बेड़े का हिस्सा बनाने जा रही है. जीआरएसई (कोलकाता) द्वारा निर्मित पहले एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट (एएसडब्लू-एसडब्लूसी), आईएनए अर्नाला (या अर्णाला) को 18 जून को विशाखापट्टनम में नौसेना का हिस्सा बनाया जाएगा. इस मौके पर सीडीएस जनरल अनिल चौहान चीफ गेस्ट के तौर पर मौजूद रहेंगे.
नौसेना के लिए बन रहे 16 एंटी-सबमरीन वारफेयर जहाज
भारतीय नौसेना के लिए इस वक्त 16 ऐसे एएसडब्लू-एसडब्लूसी जहाज बनाए जा रहे हैं. आईएनएस अर्नाला इस श्रेणी का पहला जहाज है. जहाज को महाराष्ट्र के वसई में स्थित ऐतिहासिक अर्नाला किले का नाम दिया गया है.
वसई के करीब है मराठाओं का अर्नाला फोर्ट
नौसेना के मुताबिक, यह युद्धपोत भारत की समृद्ध समुद्री विरासत को दर्शाता है. विभिन्न खतरों के खिलाफ मजबूती से खड़े किले की तरह यह जहाज समुद्र में दुर्जेय उपस्थिति दर्ज कराएगा. इसका मजबूत निर्माण और उन्नत क्षमताएं सुनिश्चित करती हैं कि यह समुद्री क्षेत्र की चुनौतियों का सामना कर उभरते खतरों से जलीय क्षेत्र में भारत की रक्षा करेगा.
अर्नाला फोर्ट का निर्माण 1737 में मराठा शासकों ने करवाया था. ये किला वैतरणी नदी के मुहाने पर बना था और उत्तरी कोकंण तट की पहरेदारी करता था. (https://x.com/indiannavy/status/1930988630396240022)
आर्दश-वाक्य है अर्णवे शौर्यम
आईएनएस अर्नाला का आदर्श-वाक्य है ‘अर्णवे शौर्यम’ यानी समंदर में शौर्य. अर्नाला के क्रेस्ट पर एक खास स्पाइरल शंख बना है और देवनागरी में लिखा है अर्णवे शौर्यम.
जीआरएसई कोलकाता ने किया है निर्माण
अर्नाला जहाज का निर्माण कोलकाता की गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स ने लॉर्सन एंड टुब्रो शिपबिल्डर्स के साथ सार्वजनिक-निजी भागीदारी में किया है. अर्नाला रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भर भारत की पहल की सफलता का प्रमाण है.
80 प्रतिशत स्वदेशी तकनीक से निर्मित यह पोत भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल), एलएंडटी, महिंद्रा डिफेंस और मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड – एमईआईएल सहित प्रमुख भारतीय रक्षा फर्मों की उन्नत प्रणालियों से युक्त है. इस परियोजना में घरेलू उद्योग को बढ़ावा देने और संबंधित आर्थिक गतिविधियां उत्पन्न करने वाले 55 से अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम शामिल रहे हैं. (https://x.com/OfficialGRSE/status/1920457944485015739)
अर्नाला एएसडब्लू-एसएडब्लू की खासियत जानिए
एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट ऑपरेशन श्रृंखला के लिए डिज़ाइन और निर्मित किया गया, अर्नाला पोत, उपसतह-तटीय इलाकों में खुफिया निगरानी, तटीय सुरक्षा, खोज और बचाव तथा कम तीव्रता वाले समुद्री अभियानों में सक्षम है. 1490 टन से अधिक वजन का 77.6 मीटर लंबा भारतीय नौसेना का यह सबसे बड़ा डीजल इंजन-वॉटरजेट संयोजन से चलने वाला युद्धपोत है.
अर्नाला पोत के नौसेना बेड़े में शामिल होने से यह भारत की नौसैनिक क्षमताओं में परिवर्तनकारी बदलाव लाएगा. इससे तटीय सुरक्षा मजबूत होगी और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद महासागर क्षेत्र में यह आत्मनिर्भर समुद्री शक्ति के रूप में भारत की स्थिति को और सुदृढ़ बनाएगा.