विदेश मंत्री एस जयशंकर अमेरिका की सफल यात्रा से लौट रहे हैं तो रविवार को विदेश सचिव विक्रम मिसरी दो दिवसीय दौरे पर बीजिंग जा रहे हैं. विदेश सचिव की यह यात्रा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोवल की चीन दौर के बाद हो रही है.
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, विक्रम मिसरी की चीन यात्रा 26-27 जनवरी को होगी. बीजिंग में मिसरी, चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात करेंगे. दोनों के बीच राजनीतिक, आर्थिक और लोगों के बीच आपसी संबंधों पर चर्चा होगी.
चीन से संबंध सुधारने की कवायद
कजान में पीएम मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद भारत और चीन के संबंधों को सुधारने की पहल की गई है. तकरीबन डेढ़ महीने पहले अजीत डोवल बीजिंग गए थे और अब विक्रम मिसरी को चीन जाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
अजीत डोवल और वांग यी के बीच मुलाकात एलएसी पर हुए समझौते के बाद हुई थी. विक्रम मिसरी की यात्रा को लेकर दिए गए विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि इस द्विपक्षीय तंत्र की बहाली नेतृत्व स्तर पर हुए समझौते से हुई है, जिसमें भारत-चीन संबंधों के लिए अगले कदमों पर चर्चा की जाएगी. इसमें राजनीतिक, आर्थिक और लोगों के बीच आपसी संबंध जैसे क्षेत्र भी शामिल हैं.
किन मुद्दों पर होगी बात, क्या है यात्रा का एजेंडा?
माना जा रहा है भारत और चीनी पक्ष में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव कम करने के तरीकों और कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने सहित कई मुद्दों पर चर्चा करेंगे. अजीत डोवल की यात्रा के दौरान मानसरोवर यात्रा फिर से शुरु करने पर सहमति बनी थी. इसके अलावा चीन की मांग है कि अब चीन और भारत के बीच डायरेक्ट फ्लाइट फिर से शुरु की जानी चाहिए, जो कोविड काल के दौरान बंद की गई थी.
डोवल और वांग यी के बीच छह सूत्रीय सहमति बनी थी लेकिन डायरेक्ट फ्लाइट को लेकर हामी नहीं भरी गई थी.
चीन में रह चुके हैं राजदूत
विदेश सचिव विक्रम मिसरी, बीजिंग में भारत के राजदूत के पद पर कार्य कर चुके हैं (जनवरी 2019-दिसंबर 2021). भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई गलवान घाटी की झड़प के दौरान मिसरी बीजिंग में कार्यरत थे.
पिछले साल अक्टूबर के महीने में चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) विवाद सुलझाने के लिए हुए डिसएंगेजमेंट समझौते में मिसरी की भी अहम भूमिका थी.
भारत-चीन के बीच दीर्घकालिक विकास पर विचार करने की आवश्यकता: जयशंकर
भारत यह कहता रहा है कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं होगी, तब तक चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते. डेमचोक और देपसांग में सैनिकों की वापसी के बाद सीमा पर पेट्रोलिंग शुरु की गई है.
पिछले हफ्ते, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मुंबई के एक कार्यक्रम में कहा था कि “भारत-चीन संबंध सुधर रहे हैं और संबंधों के दीर्घकालिक विकास पर अधिक विचार किए जाने की आवश्यकता है.”
एस जयशंकर के बयान पर चीन ने भी सहमति जताई है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने जयशंकर के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हमें द्विपक्षीय संबंधों को रणनीतिक ऊंचाई व दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य में देखने की जरूरत है, संबंधों को मधुर और स्थिर विकास की पटरी पर वापस लाने तथा बड़े पड़ोसी देशों के लिए सद्भाव के साथ रहने तथा साथ-साथ विकास करने का सही रास्ता खोजने की जरूरत है.”
क्वाड बैठक में चीन को घेरने पर हुई थी चर्चा
22 फरवरी को अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी में क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक हुई थी. इस बैठक में अमेरिका के नए विदेश सचिव मार्को रूबियो और जयशंकर सहित जापान और ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री शामिल हुए थे. बैठक के बाद जारी किए गए साझा बयान में चीन पर निशाना साधा गया था. (https://x.com/DrSJaishankar/status/1882410934603501659)
क्वाड बैठक के बाद चीन ने साउथ चायनी सी पर अपना अधिकार बताया था. हालांकि, चीन ने कहा था कि क्वाड से दूसरे देशों का नुकसान नहीं होना चाहिए. (क्वाड से बिदका चीन, साउथ चायना सी को बताया अपना)