चुनाव नतीजों के आने और नई सरकार के बनने से पहले ही भारतीय नौसेना के लिए रफाल (या राफेल) फाइटर जेट के मरीन वर्जन लेने की कवायद तेज होने जा रही है. गुरूवार को फ्रांसीसी सरकार और रफाल बनाने वाली कंपनी दासो का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल राजधानी दिल्ली पहुंच रहा है. ये प्रतिनिधिमंडल रक्षा मंत्रालय की ‘कोस्ट नेगोशिएशन कमेटी’ (सीएनसी) से रफाल (एम) से जुड़े सौदे को लेकर अहम बातचीत करेगी.
जानकारी के मुताबिक, फ्रांसीसी प्रतिनिधिमंडल और सीएनसी, रफाल (एम) सौदे की कीमत, तकनीक और हथियारों को लेकर चर्चा करेगी. रक्षा मंत्रालय की सीएनसी में भारतीय नौसेना के टॉप कमांडर भी शामिल रहेंगी. वहीं फ्रांसीसी प्रतिनिधिमंडल में दासो के अलावा हथियार मुहैया कराने वाली ‘थेल्स’ कंपनी के एग्ज्यूकेटिव मौजूद रहेंगे.
माना जा रहा है कि वायुसेना के 36 रफाल लड़ाकू विमानों की तरह ही रफाल (एम) भी ‘इंटरगर्वमेंटल डील’ (आईजीआई) यानी दोनों देशों की सरकार के बीच समझौते के तहत ही खरीदे जाएंगे. इस सौदे की कुल कीमत करीब 5.5 बिलियन यूरो यानी करीब 50 हजार करोड़ होने का अनुमान है. दासो कंपनी द्वारा रक्षा मंत्रालय को सौंपी अपनी बोली के बाद अब दोनों देशों की उच्च-स्तरीय कमेटी कीमत, हथियारों, एवियॉनिक्स और दूसरी शर्तों पर चर्चा करने जा रही है.
फ्रांसीसी डेलिगेशन के भारत पहुंचने से पहले हालांकि, दासो कंपनी ने अपने आधिकारिक ‘एक्स’ अकाउंट पर लिखा कि “हमारे रफाल फाइटर (जेट) ने मार्केट में जगह बना ली है. हमें अगले दस सालों के लिए मिले ऑर्डर के लिए (एयरक्राफ्ट का) निर्माण पूरा करना है.” (https://x.com/DassaultFalcon/status/1795022516911579570)
गौरतलब है कि रफाल फाइटर जेट सौदे पर ऐसे समय में बातचीत हो रही है जब चुनाव का आखिरी चरण बाकी है और 4 जून को नतीजे आने जा रहे हैं. खास बात ये है कि पिछले आम चुनाव (2019) में कांग्रेस सहित सभी विपक्षी पार्टियों ने भारतीय वायुसेना को मिले 36 रफाल लड़ाकू विमानों की खरीद को मुख्य मुद्दा बनाया था. लेकिन इस बात रफाल का मुद्दा पूरी तरह चुनाव से गायब है.
भारतीय नौसेना का स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत, ‘आईएनएस विक्रांत’ बनकर तैयार हो चुका है. सितंबर 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में कोच्चि (केरल) में आईएनएस विक्रांत को नौसेना के जंगी बेड़े में शामिल कर लिया गया था. लेकिन उस पर तैनात करने के लिए भारत के पास फिलहाल कोई मेरीटाइम फाइटर जेट नहीं है. ऐसे में कमीशनिंग समारोह में नौसेना के दूसरे एयरक्राफ्ट कैरियर, ‘आईएनएस विक्रमादित्य’ पर तैनात होने वाले फाइटर जेट, मिग-29के को विक्रांत पर तैनात किया गया था. यही वजह है कि नौसेना को जल्द से जल्द रफाल के मरीन वर्जन की दरकार है.
जानकारी के मुताबिक, फ्रांस से रफाल (एम) के कॉन्ट्रैक्ट साइन होने के करीब चार साल बाद पहला लड़ाकू विमान नौसेना को मिल पाएगा. यानि पहला रफाल (एम) 2027 से पहले विक्रांत पर तैनात नहीं हो पायेगा. क्योंकि भारत ने जब वायुसेना के लिए वर्ष 2015 में रफाल फाइटर जेट खरीदने की घोषणा की थी, तब पहला विमान 2019 में जाकर मिला था. कुल 36 रफाल लड़ाकू विमानों की खेप इस साल जाकर पूरी हुई है.
पिछले साल जुलाई के महीने में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस की राजधानी पेरिस में आयोजित ‘बेस्टिल-डे परेड’ में हिस्सा लेने गए थे, तब रक्षा मंत्रालय ने इन 26 रफाल (एम) और फ्रांस से ही तीन (03) स्कॉर्पिन क्लास सबमरीन खरीदने की मंजूरी दी थी. इसके बाद अक्टूबर के महीने में रक्षा मंत्रालय ने फ्रांस को इन फाइटर जेट को खरीदने के लिए लेटर फॉर रिक्वेस्ट भेजा था, जो टेंडर प्रक्रिया का अहम हिस्सा होता है. इसी के जवाब में दिसंबर (2023 में) फ्रांस ने अपना लेटर ऑफ एक्सप्टेंस (एलओए) रक्षा मंत्रालय को भेजा है.
नौसेना के लिए जो 26 रफाल (एम) खरीदे जाएंगे, उनमें 22 सिंगल सिटर फाइटर जेट होंगे और चार ट्विन-सीटर यानि ट्रेनिंग के लिए होंगे. जरुरत पड़ने पर ट्रेनर को भी फाइटर रोल में तब्दील किया जा सकता है.
भारतीय नौसेना के पास मेरीटाइम कॉम्बेट के लिए फिलहाल रुस के 45 मिग-29 के लड़ाकू विमान हैं. लेकिन ये अब पुराने पड़ते जा रहे हैं. हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने डीआरडीओ के साथ मिलकर एलसीए-तेजस का मेरीटाइम वर्जन तैयार किया है जिसके एलसीए (नेवल) के नाम से जाना जाता है. लेकिन सिंगल इंजन होने के कारण नौसेना इस फाइटर जेट को एयरक्राफ्ट कैरियर पर तैनात करने में हिचकिचा रही है. ऐसे में एचएएल ने ‘डेक बेस्ड ट्विन इंजन फाइटर जेट’ (टीईडीबीएफ यानी टेडबेफ) पर काम करना शुरु कर दिया है. टेडबेफ का प्रोटो वर्जन 2026 तक आने की उम्मीद है और इसका प्रोडक्शन 2030 से शुरु हो जाएगा. 2040 तक 45 टेडबेफ नौसेना को मिल सकते हैं. यही वजह है कि इस गैप को भरने के लिए 26 रफाल (एम) की जरूरत है.
आईएनएस विक्रांत के लिए भारतीय नौसेना ने शुरुआत में रफाल (एम) के साथ अमेरिकी एफ/ए-18 सुपर होरनेट को भी टेंडर प्रक्रिया में शामिल किया था. हालांकि, दोनों ही मेरीटाइम फाइटर जेट की क्षमताएं लगभग बराबर थी. लेकिन बाद में नौसेना ने रफाल (एम) को इसलिए चुना क्योंकि भारतीय वायुसेना पहले से 36 रफाल लड़ाकू विमान इस्तेमाल कर रही है. ऐसे में नौसेना के फाइटर पायलट्स की ट्रेनिंग और रफाल (एम) की मेंटेनेंस और रखरखाव में काफी मदद मिलेगी.
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