क्या बांग्लादेश की (पूर्व) प्रधानमंत्री शेख हसीना को रूस से नजदीकियां भारी पड़ गई. ये सवाल इसलिए क्योंकि रूस पर लगे प्रतिबंधों के बावजूद हाल के सालों में बांग्लादेश की नजदीकियां काफी बढ़ गई थीं. रूस न केवल बांग्लादेश को परमाणु ईंधन सप्लाई कर रहा था बल्कि शेख हसीना ने ब्रिक्स समूह में शामिल होने के लिए अर्जी दे दी थी.
दरअसल, पिछले साल ही इस बात का खुलासा हुआ था कि बांग्लादेश के रूपपुर न्यूक्लियर पावर प्लांट (एनपीपी) के लिए रुस परमाणु ईंधन देने जा रहा है. खुद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शेख हसीना के साथ वीडियो-कांफ्रेंसिंग के दौरान इस बात की जानकारी दी थी. माना जा रहा था कि ये परमाणु संयंत्र केंद्र इस साल के अंत तक शुरू हो सकता था.
रूस के न्यूक्लियर फ्यूल सप्लाई से बांग्लादेश की गिनती परमाणु संपन्न देशों में हो सकती थी. लेकिन विदेशी ताकतों को ये मंजूर नहीं था. जिसका खामियाजा शेख हसीना को अपने पद से इस्तीफा देने और बांग्लादेश से भागकर चुकानी पड़ी है. (https://x.com/neeraj_rajput/status/1820710308362481828)
गौरतलब है कि पिछले साल ही बांग्लादेश ने ब्रिक्स समूह में शामिल होने के लिए भी एप्लीकेशन दी थी. ब्राजील, रूस, इंडिया, चीन और साउथ अफ्रीका वाले इस संगठन में तेजी से विकासशील देशों के शामिल होने की होड़ लग गई है. साफ है कि पश्चिमी देशों को ये कतई मंजूर नहीं था. बस फिर क्या था, शुरु हो गया बांग्लादेश के खिलाफ ग्रेट गेम.
रूस के करीबी देश, अमेरिका को फूटी आंख नहीं सुहाते हैं. यही वजह है कि अमेरिका ने बांग्लादेश की मुख्य विपक्षी पार्टी बीएनपी यानी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी को समर्थन देना शुरू कर दिया था. टीएफए ने अपनी एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में खुलासा किया है कि किस तरह पूर्व प्रधानमंत्री खालिया जिया की पार्टी के सोशल मीडिया अकाउंट अमेरिका से संचालित किए जाते थे. यहां तक की शेख हसीना के विरोध वाली पोस्ट को अमेरिका से ही एम्प्लीफाई किया जा रहा था. (शेख हसीना के तख्तापलट का US कनेक्शन)
पुतिन से नजदीकियों का ही नतीजा है कि माना जा रहा है कि शेख हसीना भारत से रूस में जाकर शरण ले सकती हैं. हालांकि, इसको लेकर अभी तक रूस की तरफ से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है.