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Greenland डील पर पक्की खबर, कुटिल मुस्कान में छिपा राज

अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप क्या वाकई ग्रीनलैंड खरीदने में कामयाब हो जाएंगे? ये सवाल इसलिए उठ रहा क्योंकि ट्रंप की डील पर कड़ा रुख अख्तियार करने वाले ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री के सुर थोड़ बदल गए हैं.

“ग्रीनलैंड बिकाऊ नहीं है” कहने वाले ग्रीनलैंड के पीएम म्यूट एज ने अपने ताजा बयान में मुस्कुराते हुए कहा है कि “वो डोनाल्ड ट्रंप से बातचीत के लिए तैयार हैं.”

कुछ दिनों पहले डोनाल्ड ट्रंप ने ग्रीनलैंड का जिक्र करते हुए कहा था कि “ग्रीनलैंड पर अमेरिका का मालिकाना हक होना चाहिए और राष्ट्रीय सुरक्षा और विचारों की स्वतंत्रता के लिए ये बेहद जरूरी है.”

ग्रीनलैंड में दुनिया के कई दुर्लभ खनिजों के बड़े भंडार भी मौजूद हैं जो बैटरी और हाई-टेक डिवाइस बनाने में इस्तेमाल होते हैं. इसके अलावा ट्रंप का मानना है कि रूसी और चीनी जहाज़ों की निगरानी के लिए भी ग्रीनलैंड अहम है.

ग्रीनलैंड के पीएम हंसे तो ट्रंप के जाल में फंसे !

ट्रंप के चुनाव जीतने के बाद से पनामा नहर और कनाडा के बाद जो चर्चा में सबसे ज्यादा है वो है ग्रीनलैंड. ट्रंप ने ग्रीनलैंड खरीदने की बात की है. इस चर्चा ने और जोर तब पकड़ लिया जब अमेरिका के प्रतिनिधिमंडल के साथ ट्रंप के बेटे ग्रीनलैंड पहुंचे थे. अब ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री म्यूट एज ने डेनमार्क के कोपेनहेगन में एक प्रेसवार्ता को संबोधित किया. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान डेनमार्क की पीएम मेटे फ्रेडरिक्सन भी थीं.

इस दौरान जब ग्रीनलैंड के पीएम से पूछा गया कि क्या वो डोनाल्ड ट्रंप के संपर्क में हैं? तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि “नहीं, लेकिन हम बातचीत के लिए तैयार हैं. मुझे लगता है कि दोनों पक्षों को आपसी बातचीत बढ़ाने की जरूरत है. साथ ही हमें उन मुद्दों पर भी बात करनी चाहिए, जो हमें साथ लेकर आती है.”

हम न डेनिस बनना चाहते हैं और न ही अमेरिकी: ग्रीनलैंड पीएम 

ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री म्यूट एज ने कहा कि “जिन्होंने खनिज समृद्ध आर्कटिक द्वीप पर नियंत्रण लेने में रुचि व्यक्त की है, हम उनसे बातचीत कर सकते हैं. मुझे लगता है कि हम दोनों अपनी बातचीत बढ़ाने और पहुंच बढ़ाने के लिए तैयार हैं. हमें स्वतंत्रता की इच्छा है, हम स्वतंत्रता चाहते हैं. अपने घर का मालिक बनने की इच्छा है. यह ऐसी चीज है जिसका हर किसी को सम्मान करना चाहिए.”

एज ने कहा कि “हम डेनिस (डेनमार्क के निवासी) नहीं बनना चाहते और न ही अमेरिकी. हम बस ग्रीनलैंड के निवासी रहना चाहते हैं और अपने भविष्य का फैसला ग्रीनलैंड के लोग ही करेंगे और सभी को इस बात का सम्मान करना चाहिए. यह एक ऐसी जगह है. जिसे अमेरिकी अपनी दुनिया के हिस्से के रूप में देखते हैं.”

ग्रीनलैंड पर अभी किसका कंट्रोल है?

ग्रीनलैंड दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप है, जो अभी डेनमार्क का हिस्सा है. ग्रीनलैंड बर्फ की सफेद चादर से ढका हुआ द्वीप है. ग्रीनलैंड में प्राकृतिक संसाधन मौजूद हैं. लौह अयस्क, सीसा, जिंक, हीरा, सोना और यूरेनियम व तेल जैसे दुनिया के दुर्लभ तत्वों मौजूद होने की संभावनाएं हैं. साल 2009 में एक जनादेश के तहत ग्रीनलैंड ने डेनमार्क के नियंत्रण से आजाद होने का अधिकार हासिल कर लिया है. ग्रीनलैंड हालांकि, डेनमार्क से मिल रही सब्सिडी पर निर्भर है. 

ग्रीनलैंड की आबादी तकरीबन 57 हजार है और रणनीतिक तौर पर ग्रीनलैंड की भौगोलिक स्थिति बेहद अहम है. उत्तरी अमेरिका से यूरोप जाने के सबसे छोटे रूट पर ग्रीनलैंड स्थित है. अमेरिका लंबे समय से ग्रीनलैंड को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मानता है. 

3 जनवरी को ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री म्यूट एज ने डेनमार्क से स्वतंत्रता की इच्छा जाहिर की थी. हालांकि ट्रंप की टिप्पणी के बाद डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन ने यह साफ किया कि ग्रीनलैंड बिक्री के लिए नहीं है. 

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