Acquisitions Breaking News Geopolitics

रशियन सिविल एयरक्राफ्ट बनेंगे भारत में, ट्रंप की धमकी दरकिनार

भारत-रूस संबंध और स्वदेशी एविएशन क्षेत्र में एक नया आयाम जुड़ने जा रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की धमकियोॉ को दरकिनार करते हुए स्वदेशी सरकारी एविएशन कंपनी एचएएल ने रूस के साथ एसजे-100 यात्री विमान बनाने का एक अहम करार किया है.

मंगलवार को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के सीएमडी डी के सुनील के मौजूदगी में मॉस्को में इस एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए गए.

सुखोई सुपरजेट बनेंगे भारत में, छोटी दूरी के यात्री विमान हैं एसजे-100

एचएएल ने आधिकारिक बयान जारी कर बताया कि इन एसजे-100 (सुखोई सुपरजेट) विमानों का इस्तेमाल उड़ान स्कीम के तहत छोटी दूरी की कनेक्टिविटी के लिए किया जाएगा. एचएएल ने हालांकि, ये साफ नहीं किया कि कितने विमानों का भारत में बनाने पर सहमति बनी है और कब से उत्पादन शुरू होगा. लेकिन एविएशन कंपनी ने जरूर बताया कि उड़ान स्कीम के तहत इस वक्त देश में करीब 200 विमानों की जरूरत है.

साथ ही हिंद महासागर क्षेत्र के अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थलों (जैसे श्रीलंका, मालदीव इत्यादि) को इसमें जोड़ दें तो 350 अतिरिक्त विमानों की आवश्यकता होगी. 

रुस की घरेलू एयरलाइंस करती हैं एसजे-100 का इस्तेमाल

टू इन इंजन वाले एसजे-100 विमान को रूस की सरकारी कंपनी, पब्लिक ज्वाइंट स्टॉक कंपनी यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन (पीजेएससी-यूएसी) बनाती है. रूस में इस तरह के 200 विमानों को 16 कमर्शियल एयरलाइंस घरेलू उड़ानों के लिए इस्तेमाल करती है. 

एचएएल फिलहाल बनाती है लड़ाकू एयरक्राफ्ट

एचएएल के मुताबिक, कम दूरी की उड़ानों के लिए एसजे-100 एक गेम चेंजर साबित होगा. साथ ही एचएएल और यूएसी की साझेदारी, एक दूसरे पर भरोसा का नतीजा है. एचएएल ने भारतीय वायुसेना के लिए रूस से लाइसेंस के जरिए करीब 250 सुखोई लड़ाकू विमान और 600 मिग-21 फाइटर जेट का निर्माण देश में ही किया है. लेकिन रूस से सिविल एयरक्राफ्ट के लिए अपने तरह का ये पहला समझौता है. 

तीन दशक बाद सिविल एयरक्राफ्ट बनाएगा एचएएल

एचएएल के लिए भी ये पहला सिविल एयरक्राफ्ट है. फिलहाल, स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस के अलावा एचएएल, लाइट कॉम्बेट हेलीकॉप्टर (एलसीएच) प्रचंड, एडवांस लाइट हेलिकॉप्टर (एएलएच) ध्रुव और एचटीटी (ट्रेनर) एयरक्राफ्ट बनाती है. ये सभी मिलिट्री एयरक्राफ्ट हैं. 1961 में हालांकि, एचएएल ने एवरो (एवीआरओ एचएस-748) यात्री विमान को भी बनाया था. लेकिन ये प्रोजेक्ट 1988 में बंद हो गया था. 

एचएएल के मुताबिक, एसजे-100 विमान का निर्माण भारतीय विमानन उद्योग के इतिहास में एक नए अध्याय की शुरुआत है. यह नागरिक उड्डयन क्षेत्र में ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सपने को साकार करने की दिशा में एक कदम है. विनिर्माण से निजी क्षेत्र को भी मजबूती मिलेगी और विमानन उद्योग में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे.

भारत ने ट्रंप को दिखाया ठेंगा

एचएएल के करार से भारत ने एक बार फिर ट्रंप को ठेंगा दिखाया है. ट्रंप ने रूस से संबंध रखने के चलते ही भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया है. लेकिन भारत ने रुस से संबंधों के खातिर ट्रंप के टैरिफ के झेलना भी मंजूर किया है. भारत ने साफ कर दिया है कि ट्रंप की धमकियों के आगे झुका नहीं जाएगा.

editor
India's premier platform for defence, security, conflict, strategic affairs and geopolitics.