कनाडा में मंदिर परिसर में हंगामे और भक्तों की लाठी-डंडों से पिटाई की तस्वीरें हिंदुओं का खून खौला देने वाली है. खालिस्तानी रेड लाइन क्रॉस कर चुके हैं. पानी सिर से ऊपर उठ चुका है, क्योंकि कनाडा की पुलिस ने खालिस्तान समर्थकों को नारेबाजी से नहीं रोका और ना ही हमला कर रहे खालिस्तानी समर्थकों को पकड़ा, उल्टा ट्रूडो की पुलिस हिंदू समर्थकों को ही धमकाने लगी. ऐसे में कनाडा के हिंदुओं को एकजुट होने का आह्वान किया गया है.
कनाडा में लगे ‘बंटोगे तो कटोगे’ के नारे
कनाडा में खालिस्तानी हमले के बाद हिंदुओं में नाराजगी है. अब हिंदुओं ने “बंटागे तो कटोगे” के नारे लगाए हैं और एकजुटता की अपील की है. मंदिर के पुजारी ने एकता का परिचय देने की अपील की है और ‘बंटोगे तो कटोगे’ के नारे लगाए हैं. मंदिर के पुजारी ने कहा है कि “अब सबको एक होना पड़ेगा. कनाडा में हिंदुओं को एकजुट होने की जरूरत है. आप एकजुट रहेंगे तो सुरक्षित बने रहेंगे.”
हिंदू सभा मंदिर के बाहर हिंदुओं ने एकजुट होकर ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाए. पर पुजारी का कहना था कि “सिर्फ नारे नहीं लगाने हैं. ये हमला सिर्फ हिंदू सभा पर नहीं बल्कि पूरे दुनिया के हिंदुओं पर हुआ है. आज वो समय आ गया है, जब हम लोगों को एकजुट होने की जरूरत है.” (https://x.com/MeghUpdates/status/1853295078824956016)
भड़के सिख समुदाय ने कहा “हद में रहें खालिस्तानी”
टोरंटो के पास ब्रैंपटन में हिंदू मंदिर पर हुए अटैक के बाद कनाडा में रह रहे सिख लोगों ने खालिस्तानी चरमपंथियों का विरोध किया है. ओंटारियो सिख एवं गुरुद्वारा परिषद (ओएसजीसी) ने हमले की कड़ी निंदा करते हुए “खालिस्तानियों को हद में रहने” की नसीहत दी है. इतना ही नहीं, जस्टिन ट्रूडो की सरकार को भी ओएसजीसी ने कहा है कि “ऐसे अपराधियों से सख्ती से निपटा जाना चाहिए.”
ओंटारियो सिख एवं गुरुद्वारा परिषद ने एक बयान जारी कर कहा, “ब्रैंपटन में हिंदू सभा मंदिर के बाहर जो कुछ भी हुआ, उसकी निंदा की जानी चाहिए. हिंसा और धमकी का हमारे समुदाय में कोई स्थान नहीं है. शांति, एकता और सम्मान होना चाहिए. पूजा स्थल हिंसा और गड़बड़ी फैलाने की जगह नहीं है. मंदिर के बाहर की घटना हमारे समुदाय में समझ की कमी को दर्शाती है.”
ओंटारियो सिख एवं गुरुद्वारा परिषद ने कहा, “जस्टिन ट्रूडो सरकार और स्थानीय प्रशासन को इस घटना की गंभीरता से जांच करें. हिंसा की हमारे समाज में कोई जगह नहीं है. सभी एकजुट होकर ऐसे लोगों के खिलाफ खड़े हों, ताकि एक शांतिपूर्ण समाज की स्थापना की जा सके.”
नेताओं की मंदिरों में नो-एंट्री
मंदिर में खालिस्तानी समर्थकों के हमले के बाद कनाडाई राष्ट्रीय हिंदू परिषद (सीएनसीएच) और हिंदू फेडरेशन ने मंदिर नेताओं और हिंदू वकालत समूहों के साथ मिलकर एक बड़ा निर्णय लिया है. निर्णय ये कि हमले के बाद कनाडा के सभी हिंदू मंदिरों और संस्थाओं में नेताओं को राजनीतिक उद्देश्यों के लिए मंदिर में आने पर रोक लगा दी गई है. कनाडाई राष्ट्रीय हिंदू परिषद ने कहा है कि “चाहे नेता किसी भी पार्टी से जुड़े हों, सिर्फ भक्त बनकर आ सकते हैं. लेकिन जब तक खालिस्तानी चरमपंथियों के मुद्दों पर कनाडाई नेता बोलेंगे नहीं, उन्हें मंदिर के चबूतरे तक भी नहीं जाने दिया जाएगा, चाहे वो कोई भी हो.”
कैनेडियन नेशनल काउंसिल ऑफ हिंदू की तरफ से एक प्रेस रिलीज जारी की गई है, जिसमें कहा गया कि “ब्रैम्पटन के हिंदू मंदिर में को खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारियों ने एक हिंसक घटना के दौरान निशाना बनाया. जिसने कनाडा के हिंदू समुदाय की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं. प्रदर्शनकारी मंदिर के मुख्य द्वार पर इकट्ठा हुए, जबरन परिसर में घुस गए और मंदिर के सदस्यों पर जिसतरह से अटैक किया गया है, उससे पूरा हिंदू समाज हिल गया है. हम हमले का विरोध करते हैं.”
भारत सरकार ने की धार्मिक स्थलों की सुरक्षा की मांगभारत के विदेश मंत्रालय ने ब्रैम्पटन में मंदिर में हमले पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हम कट्टरपंथियों द्वारा हिंदू सभा मंदिर पर हुए हमले की भर्त्सना करते हैं.
विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम चाहेंगे कि कनाडा की सरकार सभी धार्मिक स्थलों को सुरक्षा प्रदान करे. साथ ही हिंसा में शामिल कट्टरपंथियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करे.
जायसवाल ने कहा कि हमें कनाडा में रहने वाले भारतीयों की सुरक्षा की गहरी चिंता है.