जो दूसरों के लिए खोदता है गड्ढा, वो खुद ही उस गड्ढे में गिरता है. कुछ ऐसा ही हुआ है कनाडा के बड़बोले प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के साथ. भारत-अमेरिका से पंगा लेकर और खालिस्तानी आतंकियों के साथी जस्टिन ट्रूडो अब कनाडा की पीएम कुर्सी से चलता हो गए हैं.
न्यू ईयर की छुट्टी पर गए ट्रूडो की पिछले दो सप्ताह से कोई खबर नहीं है. अब खबर है कि ट्रूडो अपने घर (कनाडा) में ऐसे घिरे हैं कि ना चाहते हुए भी कसमसा कर अपना इस्तीफा देने को मजबूर हो गए हैं. कनाडा में ट्रूडो के इस्तीफे के पीछे कई कारण हैं. भारत से तल्खी, घटती लोकप्रियता, अलगाववादियों को पनाह देकर कनाडा की सुरक्षा खतरे में डालना, इसके अलावा सबसे बड़ा ट्रंप का कनाडा को अमेरिका में मिलाने और बार-बार ट्रंप को पीएम की जगह गवर्नर बुलाना, ट्रूडो को महंगा पड़ा है. (Trudeau का इस्तीफा पक्का, भारत से संबंध किए बेहद खराब)
पियरे पोइलिवर के सामने घटी ट्रूडो की लोकप्रियता
जस्टिन ट्रूडो अपने ऊंटपटांग फैसलों के कारण पिछले साल अपने घर में घिरे रहे. साल 2013 में जब जस्टिन ट्रूडो ने लिबरल नेता का पद संभाला था, तब ट्रूडो बेहद आक्रामक और लोकप्रिय नेता के तौर पर उभरे थे. साल 2013 में लिबरल पार्टी चूंकी संकट में थी और पहली बार हाउस ऑफ कॉमन्स में तीसरे स्थान पर पहुंच गई थी. लेकिन ट्रूडो के करिश्मे के चलते साल 2015 और 2019 के चुनावों में ट्रूडो जीतते गए.
ट्रूडो ने हालांकि, खुद को अश्वमेध का घोड़ा समझ लिया और कनाडा में लिबरल की नीतियां साल 2021 से गिरती गईं और विपक्षी पार्टी के नेता पियरे पोइलिवर एक मजबूत नेता को तौर पर उभरने लगे. पियरे पोइलिवर ने मजबूती से ट्रूडो की नीतियों का विरोध किया और साल 2024 में पियरे पोइलिवर की पार्टी कंजर्वेटिव हावी हो गई. स्थिति ये है कि अपना कार्यकाल पूरा करने से पहले ही ट्रूडो को इस्तीफा देना पड़ रहा है.
सर्वे में भी ट्रूडो से आगे निकले पियरे पोइलिवर
कनाडा में इस साल चुनाव होने वाले हैं. चुनाव से पहले पिछले साल सितंबर महीने में कनाडा में एक चुनावी सर्वे किया गया था. जिसमें प्रधानमंत्री के तौर पर कनाडा के लोगों की पहली पसंद जस्टिन ट्रूडो नहीं थे. सर्वे में लोगों की पहली पसंद कंजर्वेटिव पार्टी और विपक्ष के नेता पियरे पोइलिवरे थे. 40 प्रतिशत लोगों ने माना पियरे को पहली पसंद बताया था, जबकि सिर्फ 31 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वो ट्रूडो को पीएम बनाना चाहते थे.
ग्लोबल मार्केट रिसर्च संस्थान इप्सोस के ताजा सर्वे के अनुसार, लगभग 73 फीसदी कनाडाई चाहते थे कि वे इस्तीफा दे दें. यहां तक कि खुद लिबरल पार्टी को सपोर्ट करने वाले 43 फीसदी लोग ट्रूडो को अपना नेता नहीं देखना चाहते थे.
चीन की मदद लेना ट्रूडो को पड़ा भारी, पियरे ने बनाया मुद्दा
विपक्षी नेता पियरे पोइलिवरे ने ट्रूडो पर सनसनीखेज आरोप लगाया था. पियरे ने कहा था कि ट्रूडो, चीन की मदद से जीते थे. कनाडा की अपनी खुफिया एजेंसियों का भी मानना है कि बीजिंग ने 2019 और 2021 के संघीय चुनावों में गुप्त रूप से हस्तक्षेप किया, जिनमें से दोनों में ट्रूडो ने जीत हासिल की. इसके अलावा, 2024 में कनाडा के विदेशी हस्तक्षेप आयोग ने चीन के दखलअंदाजी की बात मानी थी. (चीन की दुखती रग उइगर-तिब्बत, कनाडा से जताई नाराजगी)
भारत से ली दुश्मनी, मिल गया सबक
ट्रडो अपनी कुर्सी बचाने के लिए इस कदर लालची बन चुके थे, कि वो आतंकियों को संरक्षण देने लगे. ट्रूडो का खालिस्तानी आतंकियों के प्रति प्रेम खुलकर तब सामने आया जब उन्होंने भारत के मोस्ट वांटेड खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के आरोप में भारत को कटघरे में खड़ा किया.
सिर्फ इतना ही नहीं, बिना रुके, बिना थके ट्रूडो कनाडा में खालिस्तानी समर्थकों द्वारा आयोजित भारत विरोधी कार्यक्रमों में हिस्सा लेने लगे. ट्रूडो कनाडा की जमीन से भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने वाले खालिस्तानियों को पुलिस से संरक्षण भी दिलवाया. (ट्रूडो का कबूलनामा, पन्नू ने किया शर्मिंदा)
कनाडा में जब भारत की पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की हत्या को आपत्तिजनक रुप में दिखाया गया तब भी ट्रूडो की पुलिस ने कुछ नहीं किया और जब हाल ही में कनाडा के मंदिर में हमला हुआ तब भी कनाडाई पुलिस तमाशबीन बनी रही. (कनाडा में मौजूद हैं खालिस्तानी, ट्रूडो ने माना)
पिछले साल ट्रूडो के चलते भारत संग इस कदर रिश्ते खराब हुए कि भारत ने अपने हाई कमिश्नर संजय वर्मा को वापस बुला लिया और भारत में मौजूद कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया. (मोदी दहाड़े, कनाडा में हमले नहीं बर्दाश्त)
भारत संग रिश्ते खराब होने पर भी पियरे पोइलिवरे ने ट्रूडो को घेरा था और ऐलान किया था कि अगर वो पीएम बनते हैं तो भारत संग रिश्ते को बहाल करेंगे. पियरे पोइलिवरे ने कहा, “हिंदुओं और हिंदू मंदिरों पर होने वाले हमले को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. हमें भारत सरकार के साथ प्रोफेशनल रिश्ते बनाने की जरूरत है. भारत, दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है.”
ट्रंप ने ट्रूडो को गवर्नर बताकर उड़ाई खिल्ली
कनाडा में तमाम मुद्दों पर घिरे जस्टिन ट्रूडो की मुश्किलें तब और बढ़ गईं जब अमेरिका में सत्ता परिवर्तन हो गया. जो बाइडेन की रवानगी के बाद सत्ता में डोनाल्ड ट्रंप आ गए. ट्रंप ने आते ही कनाडा में ऊंचा टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी और जस्टिन ट्रूडो को ये ऑफर दे दिया कि कनाडा को अमेरिका का ’51वां राज्य’ बन जाना चाहिए. इतना तक तो ठीक था पर ट्रंप ने बार-बार ट्रूडो को ‘गवर्नर’ बताया.
राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद अपने पहले ही डिनर के दौरान ट्रंप ने ट्रूडो को महान राज्य का गवर्नर बता दिया था और फिर कई बार उन्हें गवर्नर ही बताया. ट्रंप ने ट्रूडो के लिए लिखा था- “कनाडा के महान राज्य के गवर्नर जस्टिन ट्रूडो के साथ दूसरा रात्रिभोज करना खुशी की बात थी. मैं जल्द ही गवर्नर से फिर मिलने की उम्मीद करता हूं ताकि हम टैरिफ और व्यापार पर अपनी गहन बातचीत जारी रख सकें, इसके परिणाम सभी के लिए वास्तव में शानदार होंगे.” (ट्रूडो के पीछे हाथ धोकर ट्रंप, कनाडा बनेगा अमेरिका का राज्य ?)
ट्रंप की इस पोस्ट के बाद ट्रोलर्स को तो मौका मिल गया. जिसके बाद ट्रूडो का खूब मजाक उड़ाया गया. माना जा रहा है कि ट्रूडो को गवर्नर बताया जाना भी लोकप्रियता पर भारी पड़ा है.