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एलसीए तेजस क्रैश, महज हादसा या तकनीकी खराबी

दुबई एयर शो में भारतीय वायुसेना के स्वदेशी लड़ाकू विमान एलसीए-तेजस के क्रैश होने के बाद लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर ये दुर्घटना आखिर कैसे हुई. क्या ये महज एक दुर्घटना है या फिर कोई तकनीकी खराबी. घटना के बाद भारत की मेक फॉर द वर्ल्ड नीति को भी बड़ा झटका लग सकता है. 

दुबई एयर शो (16-21 नवंबर) के आखिरी दिन, उड़ान (प्रदर्शनी) के दौरान जब लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस क्रैश हुआ, उस वक्त वहां हजारों की संख्या में दर्शक मौजूद थे. ऐसे में क्रैश के वीडियो भी सामने आए हैं. क्रैश के वीडियो देखकर साफ प्रतीत हो रहा है कि लो-फ्लाइंग यानी नीचे उड़ान भरने के दौरान पायलट विंग कमांडर नमंश स्याल ने अपने विमान को मैन्युवर किया यानी करतब दिखाने की कोशिश की. उसी दौरान, विमान अचानक नीचे गिर गया. पायलट को विमान से इजेक्ट करने का मौका भी नहीं मिल पाया.

आखिरी दम तक फाइटक जेट को कंट्रोल करने की कोशिश करते दिखे विंग कमांडर नमंश स्याल

क्रैश के वीडियो देखकर ऐसा भी लग रहा है कि पायलट ने आखिरी वक्त तक एयरक्राफ्ट को कंट्रोल करने की कोशिश की. क्योंकि इजेक्ट करने की सूरत में लड़ाकू विमान, ड्रिफ्ट होकर दर्शक-दीर्घा या फिर एयरबेस पर खड़े एयरक्राफ्ट पर भी गिर सकता था. लेकिन विंग कमांडर स्याल ने खाली मैदान के ऊपर ही विमान को रखा और जान-माल की कम से कम नुकसान में अपना बलिदान दे दिया.

दुर्घटना की जांच के लिए वायुसेना ने किया कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का गठन

वायुसेना ने कोर्ट ऑफ इंक्वायरी यानी उच्च स्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं, जिससे दुर्घटना का कारण पता लगाया जा सकेगा. 

क्रैश के बाद हालांकि, पिछले दो दिनों से सोशल मीडिया पर दुबई में हिस्सा लेने वाले तेजस की उन तस्वीरों के बारे में फिर से चर्चा होने लगी है, जिसमें विमान से तेल जैसा कोई पर्दाथ गिरता दिखाई पड़ रहा है. बताया जा रहा है कि फ्लाइंग के बाद तेजस, टारमेक पर खड़ा था. उसी दौरान उसमें पानी या फिर तेल जैसा कोई तरल पदार्थ गिरता दिखाई पड़ता है. पाकिस्तान से ऑपरेट होने वाले सोशल मीडिया अकाउंट्स में इसे एलसीए-तेजस में तकनीकी खराबी का कारण बताया जाने लगा. 

पीआईबी-फेक्टचेक ने दुबई एयर शो में एलसीए के खिलाफ दुष्प्रचार की निकाल दी थी हवा

सोशल मीडिया पर तेजस के खिलाफ दुष्प्रचार के बाद, भारत सरकार की पीआईबी-फैक्टचेक टीम ने ‘एक्स’ पर आधिकारिक बयान जारी किया. पीआईबी ने तेजस के खिलाफ दुष्प्रचार पर लगाम लगाते हुए इन खबरों को पूरी तरह फेक यानी झूठी करार दिया. 

पीआईबी के मुताबिक, वायरल वीडियो में एयरक्राफ्ट से पानी की बूंदे गिर रही हैं जो एक रूटीन प्रक्रिया है. ये पानी, लड़ाकू विमान के ईसीएस यानी एनवायरमेंटल कंट्रोल सिस्टम और ऑन-बोर्ड ऑक्सीजन जेनरेटिंग सिस्टम से निकल रहा था, जो एक स्टैंडर्ड प्रोसिजर है. 

पीआईबी के मुताबिक, सोशल मीडिया पर तेल की निकलने और तकनीकी खामियों के जरिए, एलसीए तेजस की टेक्निकल क्षमताओं को कमजोर दिखाने की साजिश थी. ये तेजस के खिलाफ झूठा नैरेटिव गढने और निराधार प्रोपेगेंडा करना था. 

मार्च 2020 में जैसलमेर में एक्सरसाइज के दौरान भी हुआ था हादसा

पिछले 20 महीनों में एलसीए तेजस का ये दूसरा बड़ा क्रैश है. इससे पहले मार्च 2024 में राजस्थान के पोखरण में वायुसेना की एक अहम एक्सरसाइज के दौरान भी जैसलमेर शहर के बाहरी हिस्से में तेजस क्रैश हो गया था. इस एक्सरसाइज में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वायुसेना की ऑपरेशन्ल क्षमताओं की समीक्षा करने के लिए पहुंचे थे. 

जैसलमेर में क्रैश हुए एलसीए तेजस की जांच रिपोर्ट को वायुसेना ने सार्वजनिक नहीं किया है. लेकिन उस दौरान भी दुबई की तरह, तेजस एक फ्री-फॉल की तरह जमीन पर आ गिरा था. लेकिन उस दौरान, पायलट ने क्रैश से पहले एयरक्राफ्ट से इजेक्ट कर लिया था और सुरक्षित बच गया था. 

एचएएल ने डीआरडीओ के साथ मिलकर किया है तेजस का निर्माण

एलसीए तेजस को स्वदेशी एविएशन कंपनी, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने डीआरडीओ (डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन) की मदद से तैयार किया है. वर्ष 2016 में एलसीए तेजस को वायुसेना में शामिल किया गया था. इस वक्त, वायुसेना में तेजस की 02 स्क्वाड्रन हैं. इनमें से एक स्क्वाड्रन, तमिलनाडु के सुलूर एयरबेस (कोयम्बटूर) पर तैनात रहती है और दूसरी, पाकिस्तान सीमा के करीब एक फॉरवर्ड एयरबेस पर तैनात रहती है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, एलसीए तेजस ने एयर-स्पेस की पैट्रोलिंग में हिस्सा लिया था. 

तेजस का एडवांस वर्जन मार्क-1ए भी बनकर तैयार

पिछले महीने नासिक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में एलसीए तेजस के एडवांस वर्जन, मार्क-1ए की पहली फ्लाइट का आयोजन किया गया था. वर्ष 2021 में रक्षा मंत्रालय ने एचएएल से 83 मार्क-1ए लड़ाकू विमानों का करार किया था. लेकिन अमेरिका से संबंधों में आई खटास के चलते एलसीए के एविएशन इंजन (एफ-404) की सप्लाई में करीब दो वर्षों की देरी हुई थी. करार के तहत अभी तक एचएएल को अमेरिकी कंपनी जीई-एयरोस्पेस से महज 04 इंजन ही मिल पाए हैं.

कुल 180 एलसीए लड़ाकू विमानों का हो चुका है करार

सितंबर के महीने में रक्षा मंत्रालय ने एचएएल से 97 अतिरिक्त एलसीए-मार्क 1ए का करार किया था. ऐसे में अगले एक दशक में वायुसेना को एचएएल से कुल 180 एलसीए तेजस (मार्क-1ए) मिलने की संभावना है. इन अतिरिक्त एयरक्राफ्ट के लिए एचएएल ने इसी महीने के शुरुआत में एक बार फिर जीई-

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