वर्ष 2017 में जिस तरह भारतीय सेना ने जम्मू कश्मीर के बडगाम में एक पत्थरबाज को जिप्सी में बांधकर घुमाया था, ठीक वैसी ही तस्वीरें इजरायली सेना के एक एक्शन में दिखी हैं. आतंकियों का गढ़ माने जाने वाले वेस्ट बैंक के जेनिन में एक घायल फिलिस्तीनी शख्स को छापेमारी के दौरान गिरफ्तार करके इजरायली सैनिकों ने गाड़ी के बोनट पर बांधकर घुमाया है.
शनिवार को कब्जे वाले वेस्ट बैंक के शहर जेनिन में इजरायली सैनिकों ने उसे एक ग्राउंड एक्शन में छापे के दौरान गिरफ्तार किया गया था. इजरायली सेना के जवान उस शख्स को जीप पर आगे बांधकर बाहर निकले. वीडियो सोशल मीडिया पर जबरदस्त तरीके से वायरल हो रहा है. इस घटना को लेकर इजरायली आर्मी की आलोचना की जा रही है. लिहाजा इजरायली डिफेंस फोर्स (आईडीएफ) ने फिलिस्तीनी शख्स को सैनिकों की जीप के बोनट में बांधकर घुमाने की जांच शुरु कर दी है.
आतंकियों के गढ़ जेनिन में हुआ क्या था?
इजरायली सैनिक शनिवार को कुछ वांटेड आतंकियों ती तलाश में वेस्ट बैंक के बुरकिन इलाके में पहुंची थी. ये इलाका हमास आतंकियों का गढ़ माने जाने वाले जेनिन में है. इस दौरान फायरिंग में मुजाहिद आजमी नाम का एक संदिग्ध शख्स घायल हुआ था. घायल व्यक्ति के परिवार ने कहा कि सैनिकों को एंबुलेंस बुलाने की गुहार लगाई पर एंबुलेंस की जगह आईडीएफ के सैनिकों ने संदिग्ध घायल को सेना की जीप के बोनट पर बांध लिया और मानव ढाल की तरह से इस्तेमाल करते हुए घायल को रेड क्रीसेंट को सौंप दिया.
हमारे सैनिकों से गलती हुई: आईडीएफ
जैसे ही मिलिट्री जीप में घायल को बांधकर घुमाने का वीडियो वायरल हुआ. इजरायली सेना ने जांच शुरु कर दी. आईडीएफ ने अपना बयान जारी करते हुए सैनिकों की गलती मानी है. आईडीएफ ने कहा कि “शनिवार को काउंटर टेररिज्म अभियान के दौरान हमास लड़ाकों और इजरायली सैनिकों के बीच गोलीबारी हुई. इस गोलीबारी के दौरान एक संदिग्ध घायल हो गया, जिसे गिरफ्तार कर लिया गया. इसके बाद आदेश और प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते हुए उसे गाड़ी के ऊपर बांधकर ले जाया गया. ये इजरायली सेना के मूल्यों के अनुरूप नहीं हैं. घटना की जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी. घायल को फिलिस्तीन रेड क्रीसेंट को इलाज के लिए सौंपा गया है”
भारतीय सेना के नक्शे कदम पर इजरायली सैनिक!
9 अप्रैल साल 2017 को जम्मू-कश्मीर के बडगाम में भी कुछ ऐसा ही हुआ था. राष्ट्रीय राइफल (आरआर) के मेजर नितिन लीतुल गोगोई ने स्थानीय युवक को सेना की जिप्सी के आगे बांध लिया था. स्थानीय युवक को पत्थरबाजों से बचने के लिए मानव ढाल के तौर पर इस्तेमाल किया गया था. पेशे से दर्जी फारूक अहमद डार नाम के शख्स को मेजर गोगोई ने आगे बांध लिया और फिर सैन्य काफिले को पत्थरबाजों वाले इलाके से बाहर निकाला था.
दरअसल उस वक्त बडगाम में उपचुनाव हो रहा था. इस बीच मेजर गोगोई को खबर मिली थी कि पास के पोलिंग बूथ पर कुछ पोलिंग ऑफिसर्स और सुरक्षाकर्मी अंदर फंस गए हैं क्योंकि भीड़ बाहर पथराव कर रही थी. खबर के फौरन बाद मेजर गोगोई क्विक रिएक्शन टीम के साथ मौके पर पहुंचे. जब वो पोलिंग अफसरों को सुरक्षित निकाल रहे थे, उस वक्त महिलाएं, बच्चे, पुरुष हर कोई सेना और पोलिंग अधिकारियों पर पत्थर फेंक रहे थे. लाउडस्पीकर से बार बार घोषणा करने के बाद भी भीड़ हिंसक हो रही थी. इस दौरान सुरक्षाकर्मियों पर भीड़ से पेट्रोल बम भी फेंके जाने लगे. भीड़ लगातार बढ़ रही थी.
एक हजार से ज्यादा लोगों ने सुरक्षाकर्मियों को घेर लिया. लाउडस्पीकर पर ऐलान करने के बावजूद जब भीड़ ने उनकी बात नहीं सुनी तो उन्होंने इस दौरान हालात पर काबू पाने के लिए भीड़ को उकसा रहे फारूक अहमद डार को सेना ने पकड़ लिया और जिप्सी पर बांध लिया. ऐसा करते ही पत्थरबाजी रुक गई और सेना को उन सभी पोलिंग अफसर और सुरक्षाकर्मियों को लेकर वहां से निकलने का मौका मिल गया. बाद में मेजर गोगोई ने घटना की जानकारी देते हुए बताया था कि “मानव ढाल सिर्फ स्थानीय लोगों को बचाने के लिए किया गया, क्योंकि मौके पर 1200 से ज्यादा लोगों की भीड़ थी, जो उनकी बात नहीं सुन रही थी. अगर वो फायरिंग का आदेश देते तो 10-12 स्थानीय लोग मारे जाते.” हालांकि बाद में एक दूसरे मामले में मेजर नितिन लितुल गोगोई सेना के कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी में दोषी पाए गए थे और उन्हें सेना को छोड़ना पड़ा था.
हालांकि, इजरायली फोर्सेज एक लंबे समय से इस तरह फिलिस्तीनियों को जीप या गाड़ी के बोनट के आगे बांधती आई हैं. बॉलीवुड की एक फिल्म में भी मिथुन चक्रवर्ती ने पुलिस ऑफिसर की भूमिका में इसी तरह एक बदमाश को अपनी जीप के आगे बांधा था.