क्या पाकिस्तान के साथ सीजफायर में अमेरिका ने मध्यस्थता करवाई थी? ऑपरेशन सिंदूर से पहले क्या पाकिस्तान को दी गई थी सूचना? राहुल गांधी के इस सवाल से शुरु हुए विवाद पर सोमवार को विदेश सचिव ने जवाब दिया. विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने संसदीय समिति के सामने सारे सवालों को सिलसिलेवार ढंग से जवाब दिया. विदेश सचिव ने समिति को बताया कि भारत ने पहले दिन 9 जगहों पर जब अटैक किया था, तो अटैक के बाद हमने पाकिस्तान को ये जानकारी दी थी कि हमने उनके आतंकी ठिकानों पर हमला किया है. लेकिन आगे की किसी सैन्य कार्रवाई पर कोई बात नहीं की गई.
पाकिस्तान के अनुरोध के बाद रोकी गई सैन्य कार्रवाई:विक्रम मिसरी
पहलगाम नरसंहार के बाद सीमा पार बढ़े तनाव के मद्देनजर संसदीय समिति की बैठक हुई. इस बैठक में विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने विपक्ष के सामने पूरे ऑपरेशन पर पक्ष रखा और सांसदों के तमाम सवालों का जवाब दिया. बताया जा रहा है कि संसदीय समिति को विदेश सचिव ने बताया कि भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष हमेशा पारंपरिक दायरे में रहा. पड़ोसी देश की ओर से कोई परमाणु संकेत नहीं दिया गया था. विदेश सचिव ने संसदीय समिति के सामने कहा कि हमारी कोई भूमिका नहीं, पाकिस्तान के अनुरोध पर सैन्य कार्रवाई रोकी गई.
डोनाल्ड ट्रंप की सीजफायर में क्या थी भूमिका, विदेश सचिव ने बताया?
संसदीय समिति की बैठक में कई सांसदों का ये सवाल था कि सैन्य कार्रवाई रोकने के पीछे अमेरिकी राष्ट्रपति की क्या भूमिका रही. इसपर विक्रम मिसरी ने सरकार के रुख को दोहराया कि सैन्य कार्रवाई रोकने का निर्णय द्विपक्षीय स्तर पर लिया गया था. विक्रम मिसरी ने कहा, यह सही नहीं है. यह भारत और पाकिस्तान के बीच का द्विपक्षीय मुद्दा था और उसी तरीके से सीजफायर का फैसला हुआ है. किसी अन्य देश को जम्मू-कश्मीर के मुद्दों पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है.”
सूत्रों के मुताबिक विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा की ट्रंप हमसे पूछ कर तो बीच में कूदे नहीं थे अब वह अचानक आ गए तो हम क्या कर सकते हैं. ये बात सच है कि पाकिस्तान ने सैन्य एक्शन रोकने के लिए कॉल किया था.
चीन और तुर्किए के रोल पर भी पूछे गए सवाल
कुछ सांसदों ने पूछा कि क्या पाकिस्तान ने संघर्ष में चीन और तुर्किए के मंचों का इस्तेमाल किया है, जिसपर विक्रम मिसरी ने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि भारत ने पाकिस्तानी हवाई ठिकानों को तबाह कर दिया.विदेश सचिव ने संसदीय समिति को जानकारी दी कि ऐतिहासिक रूप से तुर्किए के साथ भारत के संबंध बीते कई दशकों से अच्छे नहीं रहे हैं. पाकिस्तान के साथ कैसे रिश्ते हैं, ये बताने की जरूरत नहीं है.
बैठक में कौन-कौन शामिल हुआ
कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता में विदेश मामलों पर संसद की स्थायी समिति की बैठक में तृणमूल कांग्रेस के अभिषेक बनर्जी, कांग्रेस के राजीव शुक्ला और दीपेंद्र हुड्डा, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और बीजेपी की अपराजिता सारंगी और अरुण गोविल शामिल हुए. वहीं विदेश मंत्रालय की ओर से विदेश सचिव विक्रम मिसरी के अलावा विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल और विदेश मंत्रालय के अन्य अधिकारी मौजूद रहे.
सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल को ब्रीफ करेगा विदेश मंत्रालय
भारत सरकार ने 33 सदस्यीय सांसदों के प्रतिनिधिमंडल को विदेशों में भेजने का निर्णय लिया है, ताकि भारत का सही संदेश दुनिया को दिया जा सकते. प्रतिनिधिमंडल की रवानगी से पहले विदेश सचिव सर्वदलीय डेलिगेशन को ‘भारत एवं पाकिस्तान के संबंध में वर्तमान विदेश नीति घटनाक्रम’ पर जानकारी देंगे. ये प्रतिनिधिमंडल ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की पृष्ठभूमि में आतंकवाद के खिलाफ कड़ाई से निपटने के भारत के संकल्प के बारे विदेशी नेताओं को बताएंगे.