रक्षा क्षेत्र में दिनो दिन भारत दूसरे देशों पर अपनी निर्भरता खत्म कर रहा है. ड्रोन, तोप, टैंक, फाइटर जेट्स और युद्धपोत से लेकर गोला बारूद तक सब आज ‘मेक इन इंडिया’ के तहत ही बनाया जा रहा है. बावजूद इसके पिछले 5 सालों में सबसे ज्यादा हथियार खरीदने वाला देश बना है भारत.
ग्लोबल थिंकटैंक, ‘स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट’ यानी सिपरी (एसआईपीआर) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने पिछले पांच वर्षों में दुनिया में सबसे ज्यादा हथियार खरीदे हैं. हैरान करने वाली बात ये है 40 साल में पहली बार ऐसा हुआ है कि रूस से भारत को हथियारों का निर्यात 50 फीसदी से कम हो गया है. हालांकि भारत अब भी रूस से सबसे ज्यादा हथियार लेता है लेकिन कुल हथियारों में यह आंकड़ा गिरकर 36 फीसदी हो गया है. सिपरी की रिपोर्ट में बताया गया है कि “साल 1960-64 के सोवियत समय के बाद यह पहली बार है जब भारत के हथियार आयात में रूस की हिस्सेदारी 50 फीसदी से कम है.”
सिपरी की ताजा रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब मंगलवार (12 मार्च) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजस्थान के पोखरण में सेना की तीनों अंगों की पहली साझा ‘स्वदेशी’ मिलिट्री एक्सरसाइज में शिरकत करेंगे. ‘भारत-शक्ति’ नाम के इस युद्धाभ्यास में थलसेना, वायुसेना और नौसेना अपने-अपने स्वदेशी हथियारों के साथ शक्ति-प्रदर्शन करेंगे. इस एक्सरसाइज का आदर्श-वाक्य है ‘स्वदेशीकरण से सशक्तिकरण’.
सिपरी की ओर से जारी डाटा के मुताबिक, न सिर्फ भारत, बल्कि पिछले पांच वर्षों में सबसे ज्यादा हथियार एशियाई देशों ने खरीदे हैं. हथियार के क्षेत्र में रूस का दबदबा थोड़ा कम हो गया है, जबकि भारत के दूसरे दोस्त अमेरिका और फ्रांस ने हथियार के क्षेत्र में रूस से आगे निकल गए हैं. रूस हथियार बेचने के मामले में तीसरे नंबर पर पहुंच गया है. जबकि पहले और दूसरे नंबर पर अमेरिका और फ्रांस ने मैदान मार लिया है.
सिपरी की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, रूस हथियार निर्यात में परंपरागत बड़ा देश माना जाता है. लेकिन यूक्रेन के साथ युद्ध और तमाम तरह के बैन लगाए जाने के बाद रूस मैदान से पिछड़ गया है. रूस का हथियार निर्यात 53 फीसदी तक गिर गया है. साल 2019 में रूस ने 31 देशों को हथियार बेचे पर साल 2023 में सिर्फ 12 देशों ने रुस से हथियार खरीदे. भारत ने रूस से 34 प्रतिशत हथियार खरीदे है. रूस के पिछड़ने की एक वजह ये भी है कि रूस ने समय के साथ अपने हथियारों को अपग्रेड नहीं किया है.
रूस-यूक्रेन के युद्ध और पश्चिमी देशों के दबाव का असर था कि मिस्र ने भी रूस से फाइटर जेट की डील नहीं की. अमेरिकी दबाव के चलते मिस्र फ्रांस से फाइटर जेट का सौदा कर रहा है. पर भारत अभी भी रूस से बड़े पैमाने पर तेल और गैस सस्ते दामों में ले रहा है. रूस के पिछड़ने की एक वजह ये भी है कि रुस युद्ध के चलते एस-400 जैसे सिस्टम की समय से आपूर्ति भी नहीं कर पा रहा है. फ्रांस के अलावा अमेरिका का हथियारों का एक्सपोर्ट भी 17 फीसदी बढ़ गया है. चीन चौथे नंबर पर है.सिपरी के मुताबिक, फ्रांस दुनिया के हथियार बाजार में बड़ा खिलाड़ी बन गया है और भारत ने भी उससे राफेल समेत कई हथियार और मिसाइलों के सौदे किए. फ्रांस के हथियार का सबसे बड़ा खरीदार भारत रहा है, जो फ्रांस के कुल निर्यात का करीब 30 फीसदी रहा. भारत ने फ्रांस से महंगे राफेल फाइटर जेट खरीदे हैं. फ्रांस का हथियार निर्यात 2014-18 और 2019-23 के बीच 47 फीसदी बढ़ा है.
पिछले पांच वर्षों में भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार खरीदार बना है. सिपरी के मुताबिक, भारत में आयात पांच फीसदी बढ़ गया है. साल 2014-18 और 2019-23 के बीच भारत का हथियार आयात 4.7 फीसदी बढ़ा है. भारत 9.8 फीसदी हथियार आयात के साथ दुनिया में पहले नंबर पर है. भारत के बाद सऊदी अरब है जिसने 8.4% हथियारों का आयात किया है. कतर ने 7.8%, यूक्रेन ने 4.9%, पाकिस्तान ने 4.3%, दक्षिण कोरिया से 3.1% और चीन ने 2.9% हथियार आयात किया है. कंगाली में भी पाकिस्तान ने 43% हथियार खरीदने में सफलता हासिल की है. पाकिस्तान ने 82% हथियार मददगार चीन से खरीदे हैं. यूरोप में सबसे ज्यादा हथियार यूक्रेन ने खरीदे हैं जिसका पिछले दो सालों से रुस से युद्ध चल रहा है.
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