By Nalini Tewari
ऑपरेशन सिंदूर पर सोमवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सिलसिलेवार ढंग से दिया विपक्ष के एक-एक सवाल का जवाब. लोकसभा में 16 घंटे की विशेष चर्चा के दौरान राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान की कलई खोली और कहा, भारतीय सेना ने इस ऑपरेशन में अपने सभी तय टारगेट्स को सफलतापूर्वक हिट किया और ऑपरेशन पूरी तरह से सफल रहा.
वहीं विपक्ष पर कटाक्ष किया कि “उन्होंने हमसे कभी नहीं पूछा कि दुश्मन के कितने विमान मार गिराए.” राजनाथ सिंह बोले परीक्षा में रिजल्ट की अहमियत है, इसकी नहीं कि कितनी पेंसिल टूटी.
रिजल्ट अहमियत रखता है, हमारी सेना ऑपरेशन में पूरी तरह सफल रहा: राजनाथ सिंह
लोकसभा में बोलते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, कि “विपक्ष के लोग यह पूछते रहे हैं कि हमारे कितने विमान गिरे. उन्होंने हमसे कभी यह नहीं पूछा कि हमारी सेनाओं ने दुश्मन के कितने विमान मार गिराए. उनको प्रश्न ही पूछना है तो यह प्रश्न पूछें कि क्या ऑपरेशन सिंदूर सफल रहा, उत्तर है हां. राजनाथ सिंह ने कहा कि लक्ष्य जब बड़े हों, तो छोटे मुद्दों पर ध्यान नहीं जाना चाहिए. इससे देश की सुरक्षा, सैनिकों के सम्मान और उत्साह से ध्यान हट सकता है.”
“हमने 1962 में चीन के साथ युद्ध में दुखद परिणाम आया, तब हमने पूछा था कि हमारी धरती पर दूसरे देश का कब्जा कैसे हुआ.हमने पूछा कि सेना के जवान हताहत कैसे हुए. हमने मशीनों और तोपों की चिंता न करके देश की बेहतरी की चिंता की.”
“1971 में जूब हमने पाकिस्तान को सबक सिखाया, हमने राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व की प्रशंसा की थी. अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद में खड़े होकर उस समय के नेतृत्व की प्रशंसा की थी. हमने उस समय भी ऐसे प्रश्न नहीं पूछे.”
“इसे और भी प्रैक्टिकल तरीके से समझाऊं, तो परीक्षा के परिणाम में रिजल्ट मैटर करता है. हमें बच्चे के मार्क्स का ध्यान रखना चाहिए, इस बात का नहीं कि एग्जाम के दौरान उसकी पेंसिल टूट गई थी. रिजल्ट यह है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमारी सेनाओं ने जो लक्ष्य निर्धारित किया था, उसे पूर्ण रूप से प्राप्त करने में कामयाबी हासिल की है.”
शठे शाठ्यं समाचरेत्, दुष्ट के साथ उसी तरीके से व्यवहार करना चाहिए:राजनाथ सिंह
रक्षा मंत्री ने एक संस्कृत मंत्र का उच्चारण करते हुए कहा कि “शठे शाठ्यं समाचरेत्’ यानी दुष्ट के साथ उसी तरीके से व्यवहार करना चाहिए. हमें भगवान कृष्ण से सीखना चाहिए कि धर्म की रक्षा के लिए अंत में सुदर्शन चक्र उठाना पड़ता है. हमने 2006 के संसद हमले, 2008 के मुंबई हमले देखे हैं. अब हमने कहा कि बस अब काफी हो गया और अब हमने सुदर्शन चक्र उठा लिया.”
राजनाथ सिंह ने कहा कि “हमारी नीति भगवान राम और भगवान कृष्ण से प्रेरित है, जो हमें शौर्य और धैर्य, दोनों सिखाती है. हमारी नीति स्पष्ट है. हमने एक समय लाहौर बस यात्रा की भाषा में बात की थी, लेकिन पाकिस्तान ने उसे नहीं समझा. अब हम बालाकोट स्ट्राइक की भाषा में जवाब देगा. हम शांति के पक्षधर हैं और शक्ति भी है. यह शक्ति हमारी सामर्थ्य से आई है. यह नहीं कह रहा हूं कि पहले नहीं था, पहले भी था लेकिन पिछले 11 वर्षों में कई गुना बढ़ गया.”
पहलगाम के बाद सीडीएस ने कहा, हम तैयार हैं: राजनाथ सिंह
पहलगाम नरसंहार के बाद लगातार हो रही मीटिंग का जिक्र करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, “हमारे सीडीएस से जब पूछा गया कि क्या आप ऑपरेशन के लिए तैयार हैं, उन्होंने क्षणभर भी देर नहीं लगाई और कहा कि यस सर. हमारी मिसाइल फिजिकल सीमाएं लांघेंगी और बहादुर सैनिक दुश्मन की कमर तोड़ेंगे.”
राजनाथ सिंह ने वीएस नायपाल को कोट करते हुए कहा कि “उन्होंने सही ही लिखा था कि पाकिस्तान में होना एक कॉन्ट्रेस्टिंग रियलिटी है. पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पागलपन नहीं, सोची समझी साजिश का हिस्सा है. यह एक टूलकिट है, जिसे पाकिस्तान और उसकी एजेंसियों ने एक नीति के तहत अपनाया हुआ है. यह ऐसी कट्टरपंथी सोच के साथ है, जिसमें सहिष्णुता नहीं है.पाकिस्तान के हुक्मरान जानते हैं कि उनके सैनिक भारत से नहीं जीत सकते. पाकिस्तान दोहरे मापदंड और झूठ की बुनियाद पर खड़ा एक ऐसा देश है, जो अब फेल स्टेट के तौर पर जाना जाता है. भारत ने इस ऑपरेशन के साथ दुनिया को दिखा दिया है कि हमने आतंकवाद को जड़ से मिटाने का संकल्प ले चुके हैं.”
वायुसेना के प्रहार से कांपा पाकिस्तान, बोला, महाराज रोकिए: राजनाथ सिंह
राजनाथ सिंह ने कहा कि “भारत ने यह कार्रवाई इसलिए रोकी, क्योंकि जो भी टारगेट तय किए गए थे, हमने उन्हें हासिल कर लिया था. यह मानना कि भारत ने किसी दबाव में कार्रवाई रोकी, यह सरासर गलत है. ऑपरेशन सिंदूर शुरू करने का उद्देश्य था उन टेरर नर्सरीज को खत्म करना, जिन्हें पाकिस्तान में वर्षों से पाला-पोसा गया था. हमारी सेनाओं ने केवल उनको टारगेट किया, जो इन आतंकियों को सपोर्ट कर भारत को टारगेट करने में लगातार इनवॉल्व थे. इस ऑपरेशन का उद्देश्य युद्ध छेड़ना नहीं था.”
“10 मई की सुबह जब भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान की एयरफील्ड पर पर करारा प्रहार किया, तब पाकिस्तान ने हार मान ली. पाकिस्तान ने हमारे डीजीएमओ से बात की और कहा कि महाराज अब रोकिए. हमने इस आधार पर स्वीकार किया, कि यह ऑपरेशन केवल पॉज किया गया है. पाकिस्तान की ओर से अगर कुछ हुआ तो यह ऑपरेशन दोबारा शुरू होगा.”
“पाकिस्तान की हार एक सामान्य विफलता नहीं, यह उसके सैन्यबल और मनोबल, दोनों की हार थी. पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारत के डीजीएमओ से संपर्क किया और कार्रवाई रोकने की अपील की. दोनों पक्षों में संवाद हुआ और हमने इसे रोकने का निर्णय लिया. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सेना के शौर्य के दर्शन 140 करोड़ लोगों ने देखा.”
आज का भारत सहता नहीं, जवाब देता है, उखाड़ फेंकने की सामर्थ्य रखता है: राजनाथ सिंह
राजनाथ सिंह ने मुंबई हमले का जिक्र करते हुए कहा कि “तब की सरकार ने कठोर कदम उठाए होते, तो पाकिस्तान की पोजिशन बदल सकती थी. उस समय की सरकार ने सिर्फ बातचीत का मार्ग चुना था. यह कोई आलोचना नहीं है, उस समय की सरकार या लीडरशिप की. उनको जो सही लगा, उन्होंने वह निर्णय लिया.”
“लेकिन आज का भारत अलग सोचता है. आज पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत वह देश नहीं रहा, जो पहले था. आज भारत सहता नहीं है, जवाब देता है. भारत आतंक की जड़ तक जाता है, और उसे उखाड़ फेंकने का सामर्थ्य रखता है. हम सभी लोग मिलकर देश की एकता और अखंडता की रक्षा के लिए जो भी कदम जरूरी होगा, हम उठाएंगे. आतंक को समर्थन करने वालों को यह संदेश जा चुका है कि भारत अपनी सुरक्षा के लिए एकजुट है.”
राजनाथ सिंह ने कांग्रेस पर तंज करते हुए कहा, कि “पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को दोनों देशों की डायलॉग प्रॉसेस से 2009 की सरकार ने डीलिंक कर दिया था. 2006 में यह मान लिया गया था कि पाकिस्तान आतंक से पीड़ित है. इसने भारत की रणनीति को कमजोर किया. हमारे डेलिगेशन ने दुनिया के देशों में जाकर ऑपरेशन सिंदूर को लेकर भारत के स्टैंड को प्रभावी तरीके से रखा.”
ऑपरेशन सिंदूर रूका है, समाप्त नहीं हुआ, अगर कुछ बचा होगा, तो वो भी पूरा होगा: राजनाथ सिंह
राजनाथ सिंह ने संसद से देश को बताया कि, “पीएम मोदी ने भी कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर रुका है, समाप्त नहीं हुआ है. पाकिस्तान अगर फिर कोई हरकत करता है, तो हम और भी कठोर कार्रवाई करेंगे. पाकिस्तान के मन में गलतफहमी थी, उसे हमने ऑपरेशन सिंदूर से दूर कर दिया. अगर कुछ बचा होगा तो उसे भी दूर कर देंगे. भारत ने न केवल अपनी सैन्य क्षमता का प्रदर्शन किया, बल्कि नैतिकता और राजनीतिक समझ का भी परिचय दिया. भारत अब किसी भी तरीके के न्यूक्लियर धमकी के किसी दबाव के आगे झुकने वाला नहीं है. हमारी सरकार ने आतंक के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति को दुनिया के हर मंच पर बता दिया है और किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करेंगे.”
विदेश में बता दिया, हमारा स्टैंड नहीं तो हस्ताक्षर नहीं:राजनाथ सिंह
राजनाथ सिंह ने एससीओ की बैठक का जिक्र करते हुए लोकसभा में कहा, “शंघाई सहयोग संगठन में हमने साफ कह दिया कि हमारा स्टैंड नहीं आएगा तो हम इस पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे. ब्रिक्स के इतिहास में पहली बार हुआ जब जम्मू कश्मीर में हुए आतंकी हमले की निंदा की गई. मुंबई हमले में भी जितनी निंदा होनी चाहिए थी इंटरनेशनल फोरम पर, उतना नहीं हुआ. मोदी जी की सरकार बनने के बाद हालात बदलने शुरू हुए. 2017 में पहली बार लश्कर और जैश जैसे संगठनों के नाम आए. हमने दुनिया को बताया कि हम आतंकियों को जरूरत पड़ी तो घर में घुसकर भी मारेंगे. यह वही नीति है, जो पहले की सरकारों को भी अपनाना चाहिए था.”
पाकिस्तान के साथ सीमा विवाद नहीं, सभ्यता बनाम बर्बरता का संघर्ष: राजनाथ
रक्षा मंत्री ने कहा कि “भारत शांति चाहता है, लेकिन जो अशांति फैलाते हैं, उनके खिलाफ कड़ा कदम उठाने में भी हम पीछे नहीं हटेंगे. राजनाथ सिंह ने बताया कि भारत की लड़ाई अब सिर्फ सीमा पर ही नहीं, बल्कि वैचारिक स्तर पर भी आतंकवाद के खिलाफ जारी है.”
“भारत का पाकिस्तान के साथ कोई सीमाई विवाद नहीं है, यह सभ्यता बनाम बर्बरता का संघर्ष है. पाकिस्तान के हुक्मरान जानते हैं कि वे भारत से सीधे युद्ध में नहीं जीत सकते, इसलिए वे आतंकवाद को पाला-पोसा करते हैं, उसका प्रशिक्षण देते हैं, और फिर खुद को निर्दोष दिखाते हैं.”
राजनाथ सिंह ने “भारत का इरादा सिर्फ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाना था, युद्ध को बढ़ाना नहीं था.”