अमेरिका से टैरिफ विवाद के बीच भारत और सिंगापुर ने बढ़ाई है अपनी रणनीतिक और सैन्य साझेदारी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सिंगापुर समकक्ष लॉरेंस वोंग के साथ नई दिल्ली के हैदाराबाद हाउस में बातचीत के दौरान मलक्का स्ट्रेट पर संयुक्त पेट्रोलिंग पर सहमति बनाई गई है. की तो सिंगापुर में डिफेंस वर्किंग ग्रुप का बैठक का भी आयोजन हुआ, जिसकी सह अध्यक्षता भारत की ओर से संयुक्त सचिव अमिताभ प्रसाद ने किया.
कूटनीतिक रिश्तों से कहीं ज्यादा हैं भारत-सिंगापुर के संबंध: पीएम मोदी
भारत और सिंगापुर के बीच राजनयिक संबंध के 60 वर्ष पूरे हुए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सिंगापुर पीएम लॉरेंस वोंग के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई है. भारत और सिंगापुर ने अपने व्यापक रणनीतिक साझेदारी के लिए नए रोडमैप की घोषणा की है, इसका मकसद आर्थिक सहयोग, कौशल विकास, डिजिटल, कनेक्टिविटी, स्थिरता, स्वास्थ्य सेवा, लोगों के बीच संपर्क और रक्षा एवं सुरक्षा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को आगे बढ़ाना है. रोडमैप की घोषणा करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि सिंगापुर के साथ भारत के संबंध कूटनीति से कहीं आगे तक जाते हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “भारत और सिंगापुर के रिश्ते सिर्फ राजनयिक नहीं हैं. यह एक ऐसा रिश्ता है जिसका एक लक्ष्य है. यह साझा मूल्यों पर आधारित है. यह आपसी हितों से चलता है. यह शांति, प्रगति और समृद्धि के लिए एक समान दृष्टिकोण से प्रेरित है. पीएम मोदी ने सीमा पार आतंकवाद और पहलगाम हमले के मुद्दे पर भारत को समर्थन देने के लिए सिंगापुर का आभार जताया.”
मलक्का स्ट्रेट में भारत-सिंगापुर की होगी संयुक्त गश्त
सिंगापुर के पीएम ने मलक्का स्ट्रेट में भारत की पेट्रोलिंग की कोशिशों का समर्थन किया है. अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिहाज से मलक्का स्ट्रेट भारत के लिए बेहद अहम है और भारत इसकी पेट्रोलिंग में शामिल होने का इच्छुक है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत अंडमान सागर से नजदीकी के कारण मलक्का स्ट्रेट में पेट्रोलिंग में दिलचस्पी रखता है. इस स्ट्रेट में फिलहाल मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड और सिंगापुर पेट्रोलिंग करते हैं.
मलक्का स्ट्रेट क्यों है महत्वपूर्ण, इसके बारे में जानिए
मलक्का स्ट्रेट दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण और व्यस्त समुद्री रास्तों में से एक है. यह एक संकरा समुद्री रास्ता है, जो हिंद महासागर को प्रशांत महासागर से जोड़ता है. यह इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप और मलेशिया प्रायद्वीप के बीच फैला है जो आगे जाकर सिंगापुर स्ट्रेट में मिल जाता है. इसे ‘मरिन सिल्क रूट’ भी कहा जाता है. हर साल 90,000 से ज्यादा जहाज इस रास्ते से गुजरते हैं. वैश्विक तेल आपूर्ति का लगभग 25% इसी समुद्री रास्ते से होता है. भारत के लिए रणनीतिक और व्यापारिक दोनों दृष्टिकोण से ये स्ट्रेट बेहद अहम है.
सिंगापुर में हुई रक्षा कार्य समूह की 16वीं बैठक
सिंगापुर में 16वीं भारत–सिंगापुर रक्षा कार्य समूह (डिफेंस वर्किंग ग्रुप) बैठक का आयोजन हुआ, जिसकी सह-अध्यक्षता भारत की ओर से अमिताभ प्रसाद (संयुक्त सचिव, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग) और सिंगापुर की ओर से कोलोनल डैक्सन यप ने की. इस बैठक में पिछली रक्षा मंत्रियों की वार्ता और द्विपक्षीय रक्षा साझेदारी की पहल की प्रगति की समीक्षा की गई.
बैठक ने दोनों देशों के बीच रक्षा प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण, रक्षा उद्योग व प्रौद्योगिकी, समुद्री सुरक्षा और बहुराष्ट्रीय सहयोग की दिशा में आगे बढ़ने पर प्रतिबद्धता जताई. बैठक के दौरान नए सहयोग के क्षेत्रों और वैश्विक सुरक्षा ढांचे में योगदान की संभावनाओं पर भी चर्चा हुई.
संयुक्त सैन्य अभ्यास करेगी भारत-सिंगापुर की सेना
भारत की एक्ट ईस्ट नीति में सिंगापुर की अहम भूमिका है. लिहाजा दोनों देशों के बीच रक्षा और सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने पर भी काफी ध्यान दिया गया. दोनों नेताओं ने रक्षा मंत्रियों के बीच नियमित बैठकों, संयुक्त सेना, नौसेना और वायु सेना के अभ्यासों के माध्यम से सैन्य सहयोग और आदान-प्रदान जारी रखने का समर्थन किया.
पीएम मोदी के साथ हुई बैठक में क्वांटम कंप्यूटिंग, एआई, ऑटोमेशन और मानव रहित जहाजों जैसे उभरते क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी सहयोग को गहरा करने पर भी सहमति जताई गई. भारत और सिंगापुर ने अंतरिक्ष, डिजिटल तकनीक, नागरिक उड्डयन और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में पांच समझौतों पर हस्ताक्षर किए. दोनों देशों के बीच सिविल न्यूक्लियर सहयोग को तलाशने पर भी सहमति जताई गई.