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सेना को टाइम-टारगेट की खुली छूट, मोदी ने याद दिलाया राष्ट्रीय संकल्प

पहलगाम नरसंहार के एक सप्ताह बाद पाकिस्तानी आतंकियों और उनके आकाओं पर कहर का काउंटडाउन शुरु हो चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेना पर भरोसा जताते हुए सेना को दे दी है खुली छूट. मंगलवार को पीएम मोदी ने अपने आवास एक हाईलेवल बैठक की.

बैठक में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, सीडीएस और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ-साथ एनएसए अजीत डोवल भी मौजूद रहे. बैठक में पीएम मोदी ने सेना को खुली छूट दी है कि पाकिस्तान के खिलाफ वो जो चाहे फैसले ले सकती है. बैठक में प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवाद को करारा झटका देना हमारा राष्ट्रीय संकल्प है. 

पीएम मोदी ने जताया सेना पर भरोसा, दी एक्शन लेने की छूट

पीएम मोदी ने अचानक अपने आवास पर एक हाईलेवल मीटिंग बुलाई, जिसमें देश की सुरक्षा से जुड़े सबसे बड़े अधिकारी मौजूद थे. इस बैठक में पीएम मोदी ने भारतीय सशस्त्र बलों की पेशेवर क्षमताओं में पूर्ण विश्वास और भरोसा जताया. प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें हमारी प्रतिक्रिया के तरीके, टारगेट और टाइम पर निर्णय लेने की स्वतंत्रता है. बैठक में प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवाद को करारा झटका देना हमारा राष्ट्रीय संकल्प है. इस बैठक में पीएम मोदी ने कहा कि हमारी जवाबी कार्रवाई का तरीका क्या हो, इसके टारगेट क्या हो, और इसका समय क्या हो, इस प्रकार के ऑपरेशनल निर्णय लेने के लिए सैन्य बलों को खुली छूट है.

पीएम मोदी के बैठक में कौन-कौन रहा मौजूद

पीएम मोदी की उच्च स्तरीय बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और एनएसए अजीत डोवल के अलावा थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी और वायु सेना प्रमुख ए पी सिंह मौजूद रहे. वहीं सीडीएस अनिल चौहान जिनपर तीनों सेनाओं के कोऑर्डिनेशन की जिम्मेदारी है, वो भी बैठक में शामिल थे. लगभग 90 मिनट तक चली इस बैठक में पहलगाम हमले के बाद की सुरक्षा स्थिति, आतंकियों के खिलाफ चल रहे ऑपरेशनों और भविष्य की रणनीति पर मंथन किया गया. 

संघ प्रमुख मोहन भागवत और पीएम मोदी की बैठक

सेनाओं के प्रमुखों की हाईलेवल बैठक के बाद संघ प्रमुख मोहन भागवत भी पीएम आवास पहुंचे. मोहन भागवत और पीएम मोदी के बीच 1 घंटे से ज्यादा की बैठक हुई. संघ प्रमुख और पीएम की बैठक ऐसे वक्त में हुई है जब हाल ही में मोहन भागवत ने कहा था कि प्रजा की रक्षा करना राजा की जिम्मेदारी होती है. मोहन भागवत ने कहा था, “भारत अपनी परंपरा के अनुसार कभी भी किसी पड़ोसी देश को नुकसान नहीं पहुंचाता है, लेकिन यदि कोई देश या समूह गलत रास्ता अपनाता है और अत्याचार करता है तो राजा (सरकार) का कर्तव्य है कि वह अपनी प्रजा की रक्षा करे.” 

रावण का संहार, हिंसा नहीं, अत्याचारियों का दमन, होता है धर्म का पालन: मोहन भागवत 

मोहन भागवत ने बड़ा बयान देते हुए कहा था कि  “भगवान ने रावण का संहार किया, वह हिंसा नहीं थी. अत्याचारियों को रोकना धर्म है. रावण का वध उसके कल्याण के लिए हुआ था. ये हिंसा नहीं बल्कि अहिंसा थी. जब कोई अत्याचार की सारी सीमाएं पार कर लेता है और उसके सुधार का कोई उपाय नहीं बचता, तो उसका दमन करना भी एक प्रकार की अहिंसा ही है, धर्म का पालन. इसलिए राजा का कर्तव्य है कि वह जनता की रक्षा करे और दोषियों को दंड दे.”

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, कि “अहिंसा हमारा मूल स्वभाव है. हमारा अहिंसा लोगों को बदलने के लिए है, लेकिन कुछ ऐसे बिगड़े हैं कि वो उपद्रव करेंगे, मानेंगे ही नहीं. अहिंसा हमारा धर्म है तो गुंडागर्दी से मार न खाना भी हमारा धर्म है. रावण को उसके सुधार के लिए भगवान ने वध किया. जिनका सुधार नहीं हो सकता है उनका वहां भेज देते हैं जहां उनका कल्याण हो. हम पड़ोसी को छोटा नहीं दिखाते हैं. प्रजा का कल्याण राजा का काम है वो अपना कर्म करेगा, वही उसका धर्म है, वो करेग

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