भारत और चीन कैलाश मानसरोवर यात्रा एक बार फिर से शुरू करने पर राजी हो गए हैं. साथ ही दोनों देश सीधी फ्लाइट भी शुरू करने जा रहे हैं. बीजिंग के दौरे पर गए विदेश सचिव विक्रम मिसरी की चीन के उप-विदेश मंत्री के साथ हुई बैठक के बाद, दोनों देशों के बीच कई संबंधों को पटरी पर लाने पर सहमति बनी.
भारत और चीन, ऐसी नदियों से जुड़े डाटा को साझा करने के लिए भी तैयार हो गए हैं, जो दोनों देशों में बहती हैं. खुद विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक बयान जारी कर ये जानकारी दी है.
बीजिंग दौर पर विदेश सचिव
विदेश सचिव, दो दिवसीय (26-27 जनवरी) बीजिंग दौरे पर गए थे. इस दौरान, विक्रम मिसरी ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी से भी मुलाकात की थी. वांग यी ने इस दौरान, दोनों देशों को एक दूसरे पर संदेह और अलगाव के बजाय आपसी समझ और आपसी समर्थन पर जोर दिया था.
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, पिछले साल रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई मीटिंग में दोनों देशों के संबंधों को स्थिर करने के साथ एक बार से मजबूत करने पर जोर दिया था. इसी कड़ी में विदेश सचिव ने चीन के उप-विदेश मंत्री सुन वीडोंग से मुलाकात की थी.
उल्लेखनीय है कि वीडोंग, भारत में चीन के राजदूत के पद पर भी रह चुके हैं. (एक-दूसरे पर शक बंद करें, वांग यी की विदेश सचिव से मुलाकात)
इस साल गर्मियों में शुरु हो जाएगी मानसरोवर यात्रा
भारत के विदेश मंत्रालय के मुताबिक, दोनों देश इसी साल गर्मियों में मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू करने के लिए तैयार हो गए हैं.
पहले कोरोना और फिर गलवान घाटी की झड़प (2020) के चलते दोनों देशों के बीच चल रही तनातनी के चलते कैलाश मानसरोवर यात्रा को बंद कर दिया गया था.
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, दोनों देश एक-दूसरे के मीडिया, थिंक-टैंक और सामान्य लोगों के बीच आदान-प्रदान के लिए भी तैयार हो गए हैं.
साथ ही दोनों देश एक दूसरे के शहरों को सीधी फ्लाइट से जोड़ने के लिए भी तैयार हो गए हैं.
ट्रांस-बॉर्डर नदियों का डाटा करेंगे साझा
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, दोनों देश हाइड्रोलॉजिकल डाटा और ट्रांस-बॉर्डर नदियों पर सहयोग को लेकर एक एक्सपर्ट स्तर की मीटिंग को लेकर भी सहमति बनी है.
दरअसल, ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन, दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने की तैयारी कर रहा है. भारत के लिए खतरे की घंटी इसलिए है क्योंकि ये बांध उस मोड़ पर बन रहा है जहां ब्रह्मपुत्र नदी अरुणाचल प्रदेश में दाखिल हो रही है.
इस साल, भारत और चीन के बीच राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे हो रहे हैं. ऐसे में दोनों देश, पब्लिक डिप्लोमेसी के जरिए एक दूसरे को समझने की लिए तैयार हो गए हैं ताकि आपसी विश्वास और भरोसा कायम किया जा सके.
दोनों देश चरणबद्ध तरीके से इन वार्ताओं और सहमति को लागू करने के लिए तैयार हुए हैं. साथ ही आर्थिक और व्यापारिक क्षेत्र में दोनों देशों के बीच जो भी मतभेद हैं, उन पर भी मिसरी और चीनी उप-विदेश मंत्री ने चर्चा की.